What is Share (Shares) and its types in Hindi | शेयर क्या है और कितने प्रकार के होते हैं | Equity Shares Preference Shares Difference in Hindi
दोस्तो, आप अगर शेयर मार्किट में इन्वेस्ट करना चाहते हैं, या आप कॉमर्स के स्टूडेंट हैं आपको शेयर के बारे में सटीक जानकारी होनी चाहिए| शेयर क्या हैं कितनी तरह के होते हैं|
Preference Shares और Equity Shares क्या हैं और इनमें क्या अंतर है| इन सभी सवालों के जवाब यहाँ हम चर्चा करने वाले हैं| बने रहिये हमारे साथ|
What is Share in Hindi
शेयर क्या है
दोस्तो, जैसा की आप सभी लोग जानते ही होंगे| बिज़नस करने के लिए एक फर्म बनानी पड़ती है| यदि बिज़नस छोटा है और कम पूँजी में किया जा सके तो आप ऐसे धंधे को Proprietorship (Single Owner) में कर सकते हैं|
लेकिन पूँजी की ज्यादा जरुरत है और बिज़नस को चलाने के लिए कुछ ज्यादा लोगों की जरुरत है तो इसे Partnership Firm बना कर किया जा सकता है|
ये दोनों ही तरह की फर्म में पार्टनर्स और ओनर को ही पैसा लगाना होता है आप जनरल पब्लिक से पैसा नहीं ले सकते हैं|
यदि आपको और पैसे की जरुरत है, तो आपको सिर्फ किसी Financial Institution जैसे बैंक से सिर्फ लोन लेने का अधिकार है|
एक और बिज़नस करने का तरीका है जिसे हम कंपनी कहते हैं| जब आप बहुत बड़े स्केल पर बिज़नस करना चाहते हैं जिसमें बहुत ज्यादा पैसे और Man Power की जरुरत है
आइये जानते हैं कंपनी और शेयर के बीच का सम्बन्ध|
कंपनी वैसे दो तरह की होती हैं
- प्राइवेट लिमिटेड
- पब्लिक लिमिटेड
प्राइवेट लिमिटेड कम्पनी में कम से कम 2 और Maximum 200 मेंबर होते हैं| इसमें सारा पैसा मेंबर ही लगाते हैं, बाहर से यानि जनरल पब्लिक से पैसा नहीं ले सकते हैं|
अब बात आती है पब्लिक लिमिटेड कंपनी की आप अपने चारों तरफ कंपनी के नाम सुनते होंगे, रिलायंस, टाटा, बिडला, डाबर, colgate|
ये सारी कंपनी पब्लिक लिमिटेड कंपनी हैं और ये बहुत बड़े स्केल पर धंधा करती हैं, इन कंपनियों को अधिकार होता हैं की ये जनरल पब्लिक से अपने धंधे के लिए पैसा इकट्ठा कर सकती हैं यानि मांग सकती हैं|
कंपनी कितनी तरह की होती है यहाँ पढ़ें (कंपनी क्या है और इसके प्रकार)
यह पैसा शेयर्स (Share) और डिबेंचर (Debenture) के रूप में जनरल पब्लिक से माँगा जाता है| यदि आप डिबेंचर के बारे में जानना चाहते हैं तो यह आर्टिकल पढ़ लें (डिबेंचर के बारे में विस्तार से जानकारी)
आइये जानते हैं शेयर के बारे में विस्तार से
What is shares in Hindi
शेयर्स के बारे में समझने के लिए एक साधारण सा उधाहरण लेते हैं| मान लेते हैं आप एक सीमेंट की फैक्ट्री खोलना चाहते हैं|
सीमेंट की फैक्ट्री खोलने के लिए कम से कम 1000 करोड़ रूपए तो चाहिए ही| अब 1000 करोड़ रूपए आपके पास हैं नही तो कैसे होगा|
अब इसमें एक आप्शन है आप पब्लिक लिमिटेड कंपनी बनाएं|
मान लेते हैं यह कंपनी खोलने के लिए 10 लोग आते हैं और प्रत्येक व्यक्ति 60,00,00000 (60 करोड़) रूपए लगा देता है| कैपिटल हो गई 600 करोड़|
ऊपर बतायें गए 10 लोग एक बोर्ड ऑफ़ डायरेक्टर की टीम बना लेंगे और कंपनी का होल्ड इन्ही के पास रहेगा क्योंकि 50% से ज्यादा पैसा इन्ही लोगों ने लगाया है|
यदि आप सारा पैसा ही पब्लिक से मांगेंगे तो कंपनी का होल्ड उस आदमी के पास चला जाएगा जिसके पास 50% से ज्यादा शेयर होंगे|
अब बचे हैं 400 करोड़, अब यह 400 करोड़ कहाँ से आयेंगे| यदि आप बिज़नस कंपनी बनाकर चला रहे हैं और वो भी पब्लिक लिमिटेड कंपनी|
इस व्यवस्था में आप यह पैसा जनरल पब्लिक से मांग सकते हैं और यह होगा कैसे आइये जानते|
अभी हमें 400 करोड़ रूपए की जरुरत है| ऐसा करिये (400,0000000/100) कर देते हैं| ऐसा करने से हमारे पास जो अमाउंट आया है वो है 4,00,00000 करोड़|
इसका मतलब यह है कंपनी ने अपनी 400 करोड़ की कैपिटल के 4 करोड़ टुकड़े कर दिए हैं और हर एक टुकड़े की कीमत है 100 रूपए|
ये जो 100 रूपए का टुकड़ा है इसे ही शेयर कहते हैं| बड़े ही साधारण शब्दों में समझायें तो शेयर, कंपनी की पूरी कैपिटल का छोटा सा टुकड़ा होता है जिसकी कीमत कंपनी के द्वारा तय की जाती है|
अब इसका फायदा क्या हुआ, फायदा सर यह है की आपको 4 करोड़ लोगों से सिर्फ हर एक व्यक्ति से 100 रूपए चाहिए| आपके 400 करोड़ रूपए की व्यवस्था हो गई|
कितना आसान है| इसमें कम्पनी का होल्ड भी कुछ लोगों के पास भी नहीं जाएगा क्योंकि हर एक बन्दे ने बहुत ही कम पैसा दिया है|
और भारत जैसे देश में जहाँ 125 करोड़ लोग हैं 4 करोड़ लोग नहीं मिलेंगे क्या इन्वेस्ट करने के लिए|
अब इन लोगों को फायदा क्या है कंपनी में पैसा लगाने का, कंपनी इन लोगों को प्रॉफिट (Profit) में हिस्सा देगी|
जिन लोगों ने कंपनी में पैसा लगाया है यानि कंपनी के शेयर ख़रीदे हैं ये लोग शेयर होल्डर कहलाते हैं और इन्हें कंपनी के प्रॉफिट में मिलने वाला हिस्सा डिविडेंड (Dividend) कहलाता है|
Definition of Shares
“A Share is the interest of a sharehlder in a company. The capital of a company is divided into certain indivisible units of a fixed amount. These units are called Shares.”
According to Section 2(84)
“Share means a share in the share capital of a company and it includes stock”
यदि आप किसी कम्पनी के शेयर्स खरीदेंगे आपको एक शेयर का सर्टिफिकेट मिलेगा जिस पर कंपनी की सील लगी होगी| पहले सर्टिफिकेट फिजिकल मिलता था लेकिन अब इलेक्ट्रॉनिक हो गए हैं|
शेयर खरीदने के लिए आपको एक Demat Account खुलवाना होगा|
Types of Shares in Hindi ( शेयर के प्रकार )
सेक्शन 43 (Company Act 2013) के अनुसार कंपनी दो तरह के शेयर जारी कर सकती है|
- Preference Shares
- Equity Shares
Equity Shares:-
Equity Shares वो शेयर्स होते हैं जो preference शेयर्स नहीं हैं| आसान शब्दों में कहें इक्विटी शेयर होल्डर कंपनी के true (सच्चे) ओनर (मालिक) कहलाते हैं|
- इक्विटी शेयर पर preference शेयर के बाद डिविडेंड दिया जाता है और Dividend fix नहीं होता है| मान लेते हैं preference शेयर पर डिविडेंड 1,00,000 बनता है और प्रॉफिट भी 1,00,000 ही हुआ है| यहाँ इक्विटी शेयर को प्रॉफिट में हिस्सा नहीं मिलेगा| इसके उलट यदि प्रॉफिट 10,00,000 हुआ है तो इक्विटी शेयर होल्डर को 9,00,000 रूपए मिलेंगे|
- ऊपर दिए हुए Example में risk इक्विटी शेयर होल्डर ने लिया है इसलिए इक्विटी शेयर होल्डर true ओनर कहलाते हैं|
- इक्विटी शेयर होल्डर को बोर्ड ऑफ़ डायरेक्टर को चयन करने के लिए वोटिंग राईट होता है|
- कंपनी की बुक चेक करने का अधिकार होता है|
Preference Shares:-
Preference Shares holder के पास 2 अधिकार होते हैं|
- इनको इक्विटी शेयर होल्डर से पहले डिविडेंड दिया जाता है और इनका डिविडेंड फिक्स्ड होता है| जैसे किसी ने कंपनी के 10% preference shares @ 100 each ख़रीदे हैं| यदि 200 शेयर्स ख़रीदे हैं तो 20,000 लगायें हैं| इन्हें 20,000 का 10%, 2000 रूपए डिविडेंड के रूप में मिल जाएगा|
- यदि कंपनी बंद होती है, इस परिस्थिति में पहले Preference Share holder का पैसा वापस किया जाएगा| यदि पैसा बचता है तो इक्विटी शेयर होल्डर को जाएगा| बाकि नुक्सान इक्विटी शेयर होल्डर को ही उठाना पड़ेगा|
Types of Preference Shares (प्रेफेरेंस शेयर के प्रकार)
On The Basis of Dividend (लाभ के आधार पर):-
Cumulative Preference Share:-
इस तरह के शेयर्स में पिछले साल का डिविडेंड भी इकठ्ठा होता रहता है, मान लेते हैं 2019 चल रहा है, कंपनी 2018 और 2017 का डिविडेंड कम प्रॉफिट होने के कारण, preference शेयर्स को pay नहीं कर पायी|
इस case में यदि आपके पास Cumulative Preference Share हैं तो आको पिछले साल का भी डिविडेंड मिल जाएगा| इस तरह के शेयर में पिछले साल का डिविडेंड भी इकठ्ठा (Cumulate) होता रहता है|
Non-Cumulative Preference Share:-
इस तरह के शेयर में पिछले साल का डिविडेंड नहीं मिलता है| यदि पिछले साल डिविडेंड मिलने से रहा गया था कम प्रॉफिट होने के कारण तो वो अगले साल नहीं मिलेगा|
On the Basis of Participation in Profits
Participating Preference Shares:-
कंपनी में डिविडेंड पहले preference Shares होल्डर को दिया जाता है इसके बाद Equity शेयर holder को, इसके बाद भी यदि प्रॉफिट बच जाता है, तो इस तरह के प्रॉफिट के लिए भी Preference शेयर्स participate कर सकते हैं| इस तरह के preference शेयर्स, Participating Preference Shares कहलाते हैं| लेकिन यह आर्टिकल ऑफ़ एसोसिएशन (AOA) में लिखा होना चाहिए|
कभी कभी कंपनी Equity Share holder को भी Fixed Dividend देती है|
Non-Participating Preference Shares:-
इस तरह के शेयर्स को, equity शेयर होल्डर को प्रॉफिट बाटने के बाद बचे हुए प्रॉफिट में हिस्सा लेने का अधिकार नहीं होता है|
On The Basis of Redemption
Irredeemable Preference Shares:-
इस तरह के शेयर्स का पैसा कंपनी बंद होने के समय पर ही दिया जाता है| लेकिन कंपनी एक्ट 2013 के अनुसार कंपनी लिमिटेड By शेयर्स, Irredeemable Preference Shares issue नहीं कर सकती हैं|
Redeemable Preference Shares:-
इस तरह के शेयर के पैसा कंपनी को 20 साल के भीतर वापस करना होता है, लेकिन Infrastructure Company 20 साल के बाद के भी Redeemable Preference Shares issue कर सकती है|
On The Basis of Conversion
Convertible Preference Shares:-
इस तरह के शेयर्स का जब टेन्योर (टाइम) पूरा हा जाता है तो शेयर होल्डर पैसा लेने के बजाये इन शेयर्स को equity शेयर्स में कन्वर्ट करवा सकते हैं|
Non-Convertible Preference Shares:-
इस तरह के शेयर्स को कन्वर्ट नहीं किया जा सकता है| टाइम पूरा होने के बाद आपको कंपनी से cash ही मिलेगा|
Difference between Equity Shares and Preference Shares in Hindi
इक्विटी शेयर और प्रेफेरेंस शेयर में अंतर
Basis | Preference Share | Equity Share |
Rate of Dividend | डिविडेंड फिक्स्ड रेट पर मिलता है | डिविडेंड फिक्स्ड रेट पर नहीं मिलता, Preference शेयर्स पर डिविडेंड देने के बाद बचा हुआ प्रॉफिट इक्विटी शेयर्स को दिया जाता है |
Dividend लेने का अधिकार | पहले डिविडेंड मिलता है | Preference शेयर्स को डिविडेंड मिलने के बाद बचा हुआ प्रॉफिट इन्हें मिलता है |
पैसा वापस करने के आधार पर | पैसा सेक्शन 55(2) के आधार पर वापस किया जाता है | इनका पैसा कंपनी बंद होने के समय ही वापस किया जाता है, लेकिन सेक्शन 68(2) के अनुसार कंपनी अपने ही शेयर्स को मार्किट से खुद भी खरीद सकती है| |
Convertibility | इनको equity Shares में कन्वर्ट किया जा सकता है | इन्हें कन्वर्ट नहीं किया जा सकता |
वोटिंग राईट | इन्हें वोटिंग राइट् नहीं होता | वोटिंग राईट होता है |
Arrear Of Dividend | इन्हें पिछले साल का भी डिविडेंड मिल जाता है | पिछले साल का डिविडेंड मिल जाता है |
Management में हिस्सा लेने का अधिकार | अधिक्कर नहीं होता | अधिकार होता है |
आशा करते है आपको शेयर की यह जानकारी (What is shares and types in Hindi) पसंद आई होगी| आपके कोई और डाउट हैं तो आप कमेंट में पूछ सकते हैं| जवाब देने की पूरी कोशिश करेंगे
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