What is GST rules History in hindi | Types of GST in Hindi | जीएसटी क्या है, जीएसटी का इतिहास और नियम | What is CGST, SGST, IGST in hindi
दोस्तो, जब से जीएसटी भारत सरकार ने लागू किया है, सभी व्यापारी कंफ्यूज हैं यह जीएसटी क्या है, कैसे काम करता है, कितनी तरीके के कागज़ इसमें भरने पड़ते हैं|
इसके अलावा आपने और भी तरह तरह के GST सुने होंगे जैसे CGST, SGST or IGST, क्या हैं ये, क्या मतलब है इनका, बाप रे बाप
एक और अफवाह मार्किट में है इससे उत्पादों के दाम भी बढ़ जायेंगे और व्यापारियों और जनता को जीएसटी आने से नुकसान ही नुकसान है, फायदा कुछ नहीं|
यही सवाल आपके दिमाग में भी होंगे, लेकिन दोस्तो ऐसा कुछ नहीं है| जीएसटी आने से अब धंधा करना और भी आसान हो गया है| आने वाले समय में उत्पादों के दाम स्वतः ही कम हो जाएंगे|
व्यापारी पर VAT और सर्विस टैक्स के समय जो कर का अतिरिक्त भार आता था, वो भी इससे कम हो जाएगा| जीएसटी कर प्रणाली में व्यापारी ‘Input tax credit’ प्रावधान के अंतर्गत टैक्स में छुट प्राप्त करता है|
भाईसाहब, जीएसटी के आने से फायदा ही फायदा है, नुकसान कुछ नहीं| आइये विस्तार से चर्चा करते हैं, जीएसटी क्या है, जीएसटी के नियम क्यां है| थोडा बहुत इतिहास के बारे में भी जान लेंगे|
जीएसटी क्या है
What is GST in Hindi
जीएसटी का पूरा नाम ‘वस्तु एवं सेवा कर’ है| अंग्रेजी में इसे ‘Goods and Services tax’ के नाम से जाना जाता है| यह एक प्रकार का अप्रत्यक्ष (Indirect) कर है|
इसके अलावा जीएसटी, एक व्यापक, बहु-स्तरीय, गंतव्य आधारित कर है| इस टैक्स में चार बातें महत्वपूर्ण हैं
- अप्रत्यक्ष कर (Indirect Tax)
- बहु-स्तरीय ( Multi stage)
- गंतव्य आधारित ( Destination Based Tax)
- टैक्स पर टैक्स नहीं लगता (No Cascading Effect of tax)
- इनपुट टैक्स क्रेडिट (Input Tax Credit)
आइये इन तीनों सिद्धांत (Concept) को समझते हैं|
1. Indirect Tax
अप्रत्यक्ष कर:- देखिये टैक्स को दो भागों में बांटा गया है 1) प्रत्यक्ष कर (Direct Tax) और 2) अप्रत्यक्ष कर (Indiarect Tax).
प्रत्यक्ष कर एक ऐसा कर है जिसमें देयता (Liabilities) और कर भार (Burden) एक ही व्यक्ति पर होता है| जैसे आय कर, सम्पति कर, हाउस टैक्स इत्यादि|
इस तरह के कर में सरकार, सीधा एक व्यक्ति पर कर का भार और देयता रखती है| जैसे इनकम टैक्स सरकार सीधा मुझसे ही मांगती है, इसलिए इनकम टैक्स का दायित्व और भार दोनों ही मेरे ऊपर हैं|
अप्रत्यक्ष कर:- लेकिन अप्रत्यक्ष कर एक ऐसा कर होता है, जिसमें देयता और कर भार दोनों अलग अलग व्यक्ति पर होता है| जैसे सेल्स टैक्स, सेल्स टैक्स विक्रेता (दुकानकार) के द्वारा उपभोक्ता (consumer) से लिया जाता है और दुकानदार ही इसे सरकार को जमा कराता है|
इस उदहारण में कर की देयता (Liabilities), विक्रेता की है लेकिन कर का भार (Burden) उपभोक्ता पर आया है|
अब आप समझ गए होंगे, GST एक अप्रत्यक्ष कर है, यह कर, विक्रेता के द्वारा ग्राहक से इकठ्ठा किया जाता है और सरकार को जमा कर दिया जाता है| आपको नाम से ही स्पष्ट हो रहा होगा इस कर का नाम ही है ‘वस्तु एवं सेवा कर’ (Goods and Services Tax) है.
जब भी कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति को कोई वस्तु और सर्विस की सेवा देगा या बेचेगा वह कीमत के साथ सरकार के द्वारा तय किये गए रेट (प्रतिशत) के अनुसार GST वसूल करेगा और सरकार को जमा कराएगा|
2. GST एक बहु-स्तरीय कर है
जी हाँ GST एक बहुस्तरीय कर है, आइये इसको एक उधाहरण के माध्यम से समझते हैं| देखिये किसी भी वस्तु का निर्माण कई चरणों में होता है|
पहले कच्चा माल ख़रीदा जाता है, उत्पादक (Manufacturer) इसे प्रयोग करने योग्य आकार (Finished Goods) में ढालता है| और आगे थोक व्यापारी (whole seller) को बेच देता है| whole seller इस पर लेबल लगा कर और पेकिंग करके आगे फुटकर व्यापारी (Retailor) को बेच देता है| अंतिम चरण में फुटकर व्यापारी इसे ग्राहक (Consumer) को बेच देता है|
वस्तु के निर्माण और value Addition के प्रत्येक चरण में GST लगाया जाएगा| आइये इसे एक छायाँ चित्र से समझते हैं|
3. GST एक गंतव्य आधारित कर है
मान लेते हैं एक बिस्कुट फैक्ट्री उत्तर प्रदेश के किसी शहर में लगी हुई है| यह फैक्ट्री आटा और चीनी उत्तर प्रदेश से ही खरीदती है| कच्चे माल पर दिया गया GST उत्तर प्रदेश की सरकार को ही जाएगा| अब फैक्ट्री से बने हुए बिस्कुट उत्तर प्रदेश में ही स्थित किसी थोक व्यापारी को बेचे जाते हैं| इस बिक्री पर लगाया गया GST भी उत्तर प्रदेश की सरकार को ही जाएगा| लेकिन यदि थोक व्यापारी अपने माल को किसी और राज्य में जैसे कर्णाटक के किसी फुटकर व्यापारी को बेचता है तो इस बिक्री पर लगाया गया GST कर्णाटक सरकार के पास जाएगा| इसलिए यह टैक्स गंतव्य आधारित टैक्स है|
4. No Cascading Effect of Tax
“GST में टैक्स पर टैक्स (Cascading effects of tax) नहीं लगता है, केवल मूल्य संवर्धन (Value Addition) पर ही टैक्स लगाया जाता है “
जी हाँ दोस्तो आपने सही पढ़ा, GST में टैक्स पर टैक्स नहीं लगता है केवल ‘Value Addition’ पर ही टैक्स लगाया जाता है|
इसे समझने के लिए एक उदहारण ले लेते हैं|
दोस्तो इसे समझने के लिए जीएसटी से पहले की टैक्स की सरंचना कैसी थी इसे समझ लेते हैं| पहले वैट (VAT), और उत्पादन शुल्क (Excise Duty) लगाया जाता था|
अलग अलग राज्य अपने अनुसार vat और excise duty की दर निर्धारित करते थे| इसलिए एक उत्पाद, अलग अलग राज्यों में अलग कीमत से मिलता था|
लेकिन GST कर रेट पूरे भारत में एक है| अब आप भारत के किसी भी कोने से कोई वस्तु खरीदेंगे उसकी कीमत एक जैसी होगी|
लेकिन आप कहोगे पेट्रोल के दाम तो सभी जगह अलग अलग हैं| दोस्तो इसके लिए हमारे नेताओं को गाली देना बनता है, इन्होने अपनी कमाई का सबसे मोटे साधन को GST के दायरे में नहीं रखा है|
इसके अलावा पिछली व्यवस्था में टैक्स पर भी टैक्स लग जाता था| और व्यापारी को input credit tax लेने की भी व्यवस्था नहीं थी|
छायाँ चित्र में आप GST से पहले की कर व्यवस्था देख सकते हैं|
Cascading tax effect का उदहारण (टैक्स के भी ऊपर टैक्स लगाना)
मान लेते हैं एक फैक्ट्री 100 रूपए का कच्चा माल खरीदती है| राज्य सरकार का वैट 10% है| फैक्ट्री, कच्चे माल के व्यापारी को 110 रूपए का भुगतान करेगी|
फैक्ट्री इस कच्चे माल को उत्पाद में तब्दील करके, थोक व्यापारी को 150 (110 + 40) रूपए में बेचता है| राज्य सरकार इस पर 10% का टैक्स लगाएगी और इसका मूल्य हो जाएगा 165 रूपए (150 + 15). इसी प्रकार थोक व्यापारी अपना मूल्य संवर्धन 35 रूपए लगा के इसे फुटकर व्यापारी को बेचेगा 200 रूपए में| सरकार इस मूल्य पर फिर वाट लगाएगी 10% और मूल्य हो जाएगा (200 + 20) 220 रूपए|
अंत में फुटकर व्यापारी अपना मूल्य संवर्धन 50 रूपए लगा कर ग्राहक को बेचेगा 270 रूपए में, सरकार इस मूल्य पर पुनः 10% का VAT लगाएगी और मूल्य हो जाएगा 297 रूपए|
यहाँ ग्राहक को यह उत्पाद रूपए 297 का पड़ता था| इसके अलावा ऊपर आपने देखा होगा टैक्स का मूल्य जोड़ने के बाद जो मूल्य आया है, सरकार ने उसी मूल्य पर पुनः कर लगाया है|
कहने का मतलब सरकार अपने ही लगाए गए कर पर उत्पाद के दुसरे चरण में दुबारा से कर लगा रही है| यदि आप ध्यान से समझेंगे थोक व्यापारी इसे 150 रूपए में बेच रहा है और इस मूल्य में पहले चरण पर लगाया गया 10 रूपए का टैक्स भी शामिल है, सरकार इस पूरे 150 रूपए पर टैक्स ले रही है|
लेकिन GST में ऐसा नहीं होता है| GST में दुसरे चरण में सरकार केवल मूल्य संवर्धन यानि 140 रूपए पर GST लगाएगी|
बात पहले चरण और दुसरे चरण की नहीं है, उत्पाद के बनाने के प्रत्येक चरण पर केवल मूल्य संवर्धन पर ही टैक्स लगेगा|
अब आप समझे क्यों GST पहली वाली VAT कर प्रणाली से बेहतर है|
आइये पुरानी व्यवस्था को एक टेबल से समझते हैं
विक्रेता | लागत | 10% VAT | Total |
उत्पादक (Manufacturer) | 100 | 10 | 110 |
थोक व्यापारी (मूल्य संवर्धन 40 रूपए) | 150 | 15 | 165 |
फुटकर व्यापारी (मूल्य संवर्धन 35 रूपए) | 200 | 20 | 220 |
Total | 450 | 45 | 495 |
यदि आप ऊपर दी गई गणना पर ध्यान देंगे तो आपने देखा होगा थोक व्यापारी के कर की गणना 150 रूपए पर की गई है जिसमे उत्पादक के द्वारा दिया गया 10 रूपए का टैक्स भी शामिल है|
कहने का मतलब थोक व्यापारी टैक्स पर भी टैक्स दे रहा है| इसी प्रकार प्रत्येक चरण में ऐसा हो रहा है| यानि सरकार अपने द्वारा लगाए गए टैक्स पर भी टैक्स ले रही थी|
इसे ही cascading effect of tax कहा जाता है|
ऊपर दी गई गणना के अनुसार सरकार ने 45 रूपए का टैक्स अर्जित किया है और हर एक व्यापारी को टैक्स पर भी टैक्स देना पड़ा है|
अब इसी उदहारण को नई कर प्रणाली GST से समझते हैं|
विक्रेता | लागत | 10% GST | टैक्स का भार | Total |
उत्पादक (Manufacturer) | 100 | 10 | 10 | 110 |
थोक व्यापारी (मूल्य संवर्धन 40 रूपए) | 140 | 14 | 4 | 154 |
फुटकर व्यापारी (मूल्य संवर्धन 35 रूपए) | 175 | 17.5 | 3.5 | 192.5 |
Total | 415 | 17.5 | 456.5 |
ऊपर दी गई गणना में आपने देखा होगा, थोक व्यापारी के टैक्स की गणना में उत्पादक के 100 रूपए के मूल्य संवर्धन में केवल थोक व्यापारी का मूल्य संवर्धन 40 रूपए जोड़ा गया है और केवल 140 रूपए पर ही GST लगा है|
उत्पादक के द्वारा दिए गए 10 रूपए के टैक्स को नहीं जोड़ा गया है| यहाँ टैक्स का cascading effect नहीं है| इसकी प्रकार प्रत्येक चरण में केवल लागत (मूल्य संवर्धन) पर ही GST लगाया गया है|
यहाँ उत्पाद की कीमत केवल 465.5 रूपए है, वहीँ पहले वाले टैक्स सिस्टम में कीमत 495 रूपए थी| कहने का मतलब है ग्राहक को सीधा सीधा 29.5 रूपए का फायदा|
जीएसटी में ‘Input Tax Credit’ क्या है
व्यापारियों के लिए इनपुट टैक्स क्रेडिट बहुत महत्वपूर्ण है| मोदी सरकार ने एक ऐसी व्यवस्था की है, जिससे व्यापारी पर टैक्स का भार कम आये|
पहले वाले टैक्स सिस्टम में टैक्स का भार बहुत ज्यादा था| लेकिन GST कर प्रणाली में टैक्स केवल value Addition (मूल्य संवर्धन) पर ही लिया जाएगा|
इसे समझने के लिए एक बार नीचे दी हुई टेबल को एक बार देख लेते हैं|
विक्रेता | लागत | 10% GST | टैक्स का भार | Total |
उत्पादक (Manufacturer) | 100 | 10 | 10 | 110 |
थोक व्यापारी (मूल्य संवर्धन 40 रूपए) | 140 | 14 | 4 | 154 |
फुटकर व्यापारी (मूल्य संवर्धन 35 रूपए) | 175 | 17.5 | 3.5 | 192.5 |
Total | 415 | 17.5 | 456.5 |
देखिये यहाँ उत्पादक ने 10 रूपए का टैक्स चुकाया है, थोक व्यापारी का टैक्स बनता है 14 रूपए, लेकिन GST में टैक्स केवल मूल्य संबर्धन पर ही लगता है, इसलिए थोक व्यापारी का टैक्स बनता है केवल 40 रूपए पर 10% = 4 रूपए|
VAT प्रणाली में थोक व्यापारी को 15 रूपए का टैक्स देना पड़ा, लेकिन GST प्रणाली में थोक व्यापारी का टैक्स बन रहा है 14 रूपए, लेकिन GSTR2 return जमा करा कर उत्पादक के द्वारा चुकाए गए 10 रूपए का क्रेडिट थोक विक्रेता को मिल जाएगा|
कहने का अर्थ है थोक विक्रेता को केवल 4 रूपए का टैक्स ही चुकाना है| इसी प्रकार फुटकर विक्रेता को भी केवल 3.5 रूपए ही टैक्स के चुकाने होंगे|
देखा व्यापारी को भी कितना फायदा है, टैक्स का भार कितना कम हो गया| हाँ एक बात ध्यान रहे इनपुट टैक्स क्रेडिट लेने के लिए आपने जिससे माल ख़रीदा है उसके पास जीएसटी नंबर होना चाहिए और उसने अपने जीएसटी return भी जमा कराई होनी चाहिए|
यही ऐसा नहीं है तो आपको इनपुट टैक्स क्रेडिट नहीं मिलेगा|
जीएसटी कर प्रणाली की सरंचना
जीएसटी में तीन प्रकार के कर (टैक्स) रखे गए हैं|
CGST:- केंद्र सरकार के द्वारा टैक्स एकत्रित किया जाएगा
SGST:- राज्य में बिक्री के लिए राज्य सरकार के द्वारा टैक्स एकत्रित किया जाएगा
IGST:- एक राज्य से दुसरे राज्य में बिक्री के लिए केंद्र सरकार द्वारा टैक्स एकत्रित किया जाएगा|
कर की सरंचना निचे दी हुई टेबल के अनुसार होगी|
लेन-देन | कर प्रणाली | पुरानी व्यवस्था | डिटेल |
राज्य के भीतर बिक्री | CGST + SGST | VAT + Excise Duty + Service Tax | टैक्स अब केंद्र सरकार और राज्य सरकार के बीच साझा किया जाएगा |
एक राज्य से दुसरे राज्य में बिक्री | IGST | VAT + Excise Duty + Service Tax | टैक्स केवल केंद्र सरकार के पास ही जाएगा |
जीएसटी का इतिहास
विश्व में कई देशों ने GST टैक्स सिस्टम को अपना लिया है|
1991 में कनाडा ने
2000 में ऑस्ट्रेलिया ने
1986 में न्यूजीलैंड ने
भारत ने 1 जुलाई 2017 में Dual GST system (CGST + SGST) को लागू कर दिया|
सन 2000 में वाजपेयी सरकार ने GST सिस्टम की वकालत की और असीम दासगुप्ता के नेतृत्व में एक कमिटी का गठन किया|
2003 में विजय केलकर के नेतृत्व में टैक्स सिस्टम में सुधार के लिए एक कमिटी का गठन किया गया|
2004 में विजय केलकर कमिटी ने सुझाव दिया की वर्तमान टैक्स सिस्टम को GST में तब्दील कर दिया जाए|
2006 इस साल के बजट में वित्त मंत्री पी चिदम्बरम ने 1 अप्रैल 2010 से GST लागू करने का प्रस्ताब दिया|
2008 Empowerd Committe ने GST को लागू करने के लिए रोड मैप प्रस्तुत किया|
2009 कमिटी ने GST पर बहस के लिए महत्वपूर्ण कागज़ उपलव्ध करवाए| वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने GST का आधारभुत सरंचना प्रस्तुत की
2010 वित्त मंत्रालय ने कमर्शियल टैक्स का Computerization प्रारंभ कर दिया और GST को 1 अप्रैल 2011 के लिए टाल दिया गया|
2011 कांग्रेस पार्टी ने GST लागु करने के लिए, संविधान में 115वां संसोधन पेश किया| विपक्ष के विरोध के बाद इसे स्टैंडिंग कमिटी को भेज दिया गया|
2012 राज्य के वित्त मंत्रियों के साथ मीटिंग के बाद, 31 दिसंबर 2012 तक इस बिल की कमियों को दूर करने का मानक रखा गया|
2014 स्टैंडिंग कमिटी ने GST बिल को पास कर दिया, लेकिन लोक सभा भंग हो जाने के कारण NDA सर्कार के वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 122वां संसोधन पेश किया|
2015 GST बिल लोक सभा में पास हो गया लेकिन राज्य सभा में नहीं हो पाया|
2016 राज्य सभा में भी GST बिल पास हो गया. GST कौंसिल ने चार तरह के टैक्स रेट (5%, 12%, 18%, 28%) तय किये|
2017 चार और सहायक (Supplementary) GST बिल पास किये गए और 1 जुलाई 2017 को पूरे देश में GST टैक्स सिस्टम लागू कर दिया गया|
Advantages of GST tax system
1. जीएसटी टैक्स सिस्टम में टैक्स पर टैक्स नहीं लगता है, इससे अंतिम उत्पाद की कीमत कम हो जाती है और सीधा सीधा ग्राहक के लिए फायदा है|
2. जीएसटी के आने से सभी व्यापारियों को अप्रत्यक्ष रूप से GST लेना अनिवार्य सा हो गया है, इससे सरकार का टैक्स कलेक्शन बढ़ा है|
3. इस सिस्टम में रोजमर्रा की चीजों पर टैक्स कम है और लक्ज़री वस्तुओं पर ज्यादा
GST का पूरा सिस्टम ऑनलाइन है
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