नवरात्री त्यौहार व्रत का महत्त्व | Navratri Festival Importance in Hindi | नवरात्री की पूजा 9 दिन ही क्यों की जाती है | नवरात्री व्रत महत्त्व
नवरात्री के त्यौहार में व्रत और आहार संयम का बड़ा महत्त्व है| इन 9 दिन माँ दुर्गा की विधिवत पूजा की जाती है और श्रद्धालु इन नौ दिन व्रत रखते हैं और सात्विक भोजन ग्रहण करते हैं|
वैसे तो हिन्दू धर्म ग्रंथों के अनुसार साल में चार बार नवरात्री का त्यौहार आता है| लेकिन 2 ही नवरात्रों का ज्यादा महत्त्व है|
चैत्र और अश्विन मास के नवरात्रे प्रमुख रूप से मनाये जाते हैं|
आइये चर्चा करते हैं नवरात्री (नवरात्रे) त्यौहार का महत्त्व क्या है| नवरात्री के इन 9 दिन व्रत क्यों रखें और इसके क्या फायदे हैं|
नवरात्री का महत्त्व | Navratri Festival Importance in Hindi
नवरात्री का त्यौहार मनाने का तरीका भारत के अलग अलग राज्यों में अलग हो सकता है| लेकिन सभी जगह माता के शक्ति स्वरुप की पूजा की जाती है|
नवरात्री त्यौहार मनाने का पौराणिक महत्त्व

पौराणिक कथाओं के अनुसार माँ शक्ति (दुर्गा) ने धर्म (अच्छाई) को बचाने के लिए महिसासुर राक्षस से 9 दिन तक युद्ध कर उसका वध किया था|
इसलिए यह 9 दिन अच्छाई की बुराई पर जीत के तौर पर उत्सव के रूप में मनाये जाते हैं और माता दुर्गा की पूजा की जाती है|
धार्मिक वैज्ञानिक महत्त्व
जैसे दिन और रात के बीच के समय को गौ धूलि बेला बोला जाता है और इस समय में पूजा और मन्त्रों की सिद्धि आसानी से हो सकती है|
इसी प्रकार ऋतुओं क संधि बेला नवरात्री है| यदि आप चैत्र नवरात्री का समय देखेंगे तो वसंत ऋतू के समाप्त होने पर गर्मी के दिन की शुरुआत होती है|
चैत्र मास के शुक्ल पक्ष के प्रथम से नौ दिन तक नवरात्रे चलते हैं| यह नौ दिन ऋतू परिवर्तन के दिन माने जाते हैं| चैत्र नवरात्रे समाप्त होने के बाद गर्मियां शुरू हो जाती है|
इसी प्रकार अश्विन मास के शुक्ल पक्ष के प्रथम दिन से जो नवरात्रे शुरू होते हैं| यह नौ दिन गर्मी और सर्दी की ऋतू के बीच की संधि है| यह नौ दिन में न तो ज्यादा सर्दी होती है और न ज्यादा गर्मी|
इन नवरात्रों (शारदीय नवरात्री) के बाद सर्दी का मौसम शुरू हो जाता है|
इसलिए यह 9 दिन मन्त्र, मनोकामना सिद्धि के लिए प्रमुख माने जाते हैं|
स्वास्थ्य की द्रष्टि से नवरात्रि का महत्त्व
आयुर्वेद के अनुसार जब मौसम में बदलाव होता है, इस समय हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है और संक्रमण और बीमार होने का खतरा बढ़ जाता है|
नवरात्री के यह नौ दिन ही ऐसे दिन है जब ऋतू परिवर्तन होता है| इन दिनों में यदि हम अपने शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा लें और ताम्सिक खाने की वस्तुओं से दूर रहे और बिमारियों से बच सकते हैं|
इसलिए नवरात्री में व्रत का अपना महत्त्व है और सभी तामसिक वस्तुओं का त्याग कर सात्विक भोजन करने का महत्त्व है|
तामसिक वस्तुओं जैसे मॉस, शराब, प्याज, लहसुन का त्याग तो क्या ही किया जाता है|
इसके अलावा अनाज, और तीखे मिर्च मसालों का त्याग कर केवल स्वातिक भोजन जैसे कुट्टू, सिंघाड़े का आटा, दूध, छाछ, दही के व्यंजन केवल काली मिर्च और सेंधा नमक के साथ केवल दिन में एक बार खाए जाते हैं|
इन 9 दिन ऐसी दिनचर्या रखने का केवल एक ही कारण है जिससे हमारे शरीर के आतंरिक अंग पुनः अपनी पूर्ण उर्जा प्राप्त कर लें और हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाए|
नवरात्री 9 दिन ही क्यों मनाई जाती है
इस प्रकृति में 9 दिन का अपना महत्त्व है| 9 के आकडे कई जगह देखे जा सकते हैं| शिशु का जन्म भी 9 महीने में ही होता है|
मौसम परिवर्तन में भी 9 दिन ही लगते हैं| वसंत ऋतू से ग्रीष्म ऋतू में और ग्रीष्म ऋतू से शरद ऋतू में पूर्ण परिवर्तन में पुरे 9 दिन लगते हैं|
इसलिए नवरात्री 9 दिन मनाई जाती है|
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