वायु पर संस्कृत श्लोक हिंदी अर्थ सहित | Sanskrit Shlokas on Air with Hindi Meaning
हवा पर संस्कृत श्लोक हिंदी अर्थ सहित
यथाऽऽकाशस्थितो नित्यं वायुः सर्वत्रगो महान्।
तथा सर्वाणि भूतानि मत्स्थानीत्युपधारय।।9.6।।
हिंदी अर्थ:- जैसे सब जगह विचरनेवाली महान् वायु नित्य ही आकाशमें स्थित रहती है, ऐसे ही सम्पूर्ण प्राणी मुझमें ही स्थित रहते हैं – ऐसा तुम मान लो।
शाश्वतम्, प्रकृति-मानव-सङ्गतम्,
सङ्गतं खलु शाश्वतम्।
तत्त्व-सर्वं धारकं
सत्त्व-पालन-कारकं
वारि-वायु-व्योम-वह्नि-ज्या-गतम्।
शाश्वतम्, प्रकृति-मानव-सङ्गतम्।।(ध्रुवम्)
हिंदी अर्थ:- प्रकृति और मनुष्य के बीच का संबंध शाश्वत है। रिश्ता शाश्वत है। जल, वायु, आकाश के सभी तत्व, अग्नि और पृथ्वी वास्तव में धारक हैं और जीवों के पालनहार।
प्रकृत्यैव विभिद्यन्ते गुणा एकस्य वस्तुनः।
वृन्ताकः श्लेष्मदः कस्मै कस्मैचित् वातरोग कृत्।।
हिंदी अर्थ:- प्रकृति ने एक ही वस्तु के अलग-अलग गुण दिए हैं। जहां बेगन एक व्यक्ति के लिए कफ का कारक है, वहीं यह दूसरे के लिए वायु रोग का कारण बनता है।
चेष्टा वायुः खमाकाशमूष्माग्निः सलिलं द्रवः।
पृथिवी चात्र सङ्कातः शरीरं पाञ्चभौतिकम्।।
हिंदी अर्थ:- महर्षि भृगु कहते हैं कि इन वृक्षों के शरीर में गति वायु का रूप है, खोखलापन आकाश का रूप है, ताप अग्नि का रूप है, तरल सलिल का रूप है, ठोसता पृथ्वी का रूप है। इस प्रकार इन वृक्षों का यह शरीर पांच तत्वों- वायु, आकाश, अग्नि, जल और पृथ्वी से बना है।
पित्तः पंगुः कफः पंगुः पंगवो मलधातवः।
वायुना यत्र नीयन्ते तत्र गच्छन्ति मेघवत्॥
पवनस्तेषु बलवान् विभागकरणान्मतः।
रजोगुणमयः सूक्ष्मः शीतो रूक्षो लघुश्चलः॥
हिंदी अर्थ:- पित्त, कफ, देह की अन्य धातुएँ तथा मल-ये सब पंगु हैं, अर्थात् ये सभी शरीर में एक स्थान से दूसरे स्थान तक स्वयं नहीं जा सकते। इन्हें वायु ही जहाँ-तहाँ ले जाता है, जैसे आकाश में वायु बादलों को इधर-उधर ले जाता है। अतएव इन तीनों दोषों-वात, पित्त एवं कफ में वात (वायु) ही बलवान् है; क्योंकि वह सब धातु, मल आदि का विभाग करनेवाला और रजोगुण से युक्त सूक्ष्म, अर्थात् समस्त शरीर के सूक्ष्म छिद्रों में प्रवेश करनेवाला, शीतवीर्य, रूखा, हल्का और चंचल है।
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