Life Changing Osho Quotes in Hindi | ओशो के प्रेरणादायक सुविचार

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Best Famous and popular Osho Quotes and thoughts in Hindi on philosophy, life, god, society | ओशो के प्रसिद्ध प्रेरणादायक अनमोल वचन सुविचार और कथन

एक कहावत है दुनिया के पश्चिम भाग में लोग बाहर और मेटेरिअल यात्रा को महत्व देते हैं| लेकिन दुनिया का पूर्वी भाग अन्दर की यात्रा पर बल देता है|

भारत दुनिया के इसी पूर्वी क्षेत्र में आता है| और इस धरती पर समय समय पर कोई न कोई महापुरुष हमेशा रहता है| जो दुनिया को अन्दर की यात्रा करने का महत्व बताता है|

भारत की धरती पर हर युग में महापुरुष रहे, समय और परिस्थिति के अनुरूप इन्होने विश्व को ध्यान और योग का जीवन में क्या महत्व है जन जन तक पहुचाने का प्रयास किया|

दिसंबर 11, 1931 को भारत में भगवान् रजनीश (ओशो) का जन्म हुआ और 18 जनवरी 1990 तक इन्होने अपने अनमोल विचारों के जरिये मानस जन को जगाने का प्रयास किया|

ओशो के द्वारा बोला बहुत कुछ है, उसे एक जगह लिख पाना तो शायद नामुमकिन हैं| फिर भी हमने उनके प्रवचनों के सार के रूप में उनके प्रमुख कोट्स और सुविचारों का संग्रह किया है|

आशा करते हैं ओशो के यह विचार आपके जीवन की दिशा को नकारात्मकता से सकारात्मकता की और लाने में जरूर सफल होंगे|

Osho Quotes in Hindi (1-20)

osho thoughts in hindi

असली सवाल यह है की भीतर तुम क्या हो, अगर भीतर गलत हो, तो तुम जो भी करोगे, उससे गलत फलित होगा, अगर तुम जो भी करोगे, वह सही फलित होगा|

Famous Osho quotes in hindi

सवाल ये नहीं है, की कितना सीखा जा सकता है, इसके उलट सवाल ये है की कितना भुलाया जा सकता है|

Osho quotes in hindi

 

जिंदगी गुजारने के दो ही तरीके हैं, एक तुझे नहीं आता, एक मुझे नहीं आता|

ठोकर खा कर भी ना संभले तो मुसाफिर का नसीब, वर्ना पत्थरों ने तो अपना फर्ज निभा ही दिया था|

Osho quotes in hindi

अधिक से अधिक भोले कम ज्ञानी और बच्चों की तरह बनिए, जीवन को मजे के रूप में लीजिये, क्योंकि सही मायने में यही जीवन है|

Osho thoughts in hindi

कोई चुनाव मत करिए, जीवन को ऐसे अपनाइए जैसे वो अपनी समग्रता में है|

फकीरों की सोहबत में, बेठा कीजिये साहब, बादशाही का अंदाज, खुद ब खुद आ जाएगा|

osho thoughts in hindi

कोई आदमी चाहे लाखों चीजें जान ले| चाहे वह पूरे जगत को जान ले| लेकिन अगर वह स्वयं को नहीं जानता है तो वह अज्ञानी है|

जो तुम्हारे पास है, वह बेकार है, जो दूसरों के पास है, वो स्वर्ग है, जब तक मैं उसे पा न लूं तब तक बेचैनी रहती है….और पाते ही वो मरे लिए बेकार हो जाती है| अब फिर दुसरे पर नज़र जाने लगी…..

 

खुद को स्वीकारना दुनिया का सबसे कठिन काम है|

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किसी से किसी भी तरह की प्रतिस्पर्धा की आवश्यकता नही है| आप स्वयं में जैसे हैं, एकदम सही हैं खुद को स्वीकारिए|

जो कुछ भी महान है उस पर किसी का अधिकार नहीं हो सकता. और यह सबसे मूर्ख बातों में से एक है जो मनुष्य करता है – मनुष्य अधिकार चाहता है.

जिसके पास जितना कम ज्ञान होगा, वो पाने ज्ञान के प्रति उतना हठी होगा|

ध्यान एक फूल है और दया इसकी खुश्बू

यह मोहब्बत में ही देखा कमाल जिसने कुछ खोया उसी ने कुछ पाया

आत्महत्या करनी है तो हमेशा के लिए करो|

अगर आप सच देखना चाहते हैं तो ना ही सहमती और ना ही असहमति में राय रखिये|

अंधेरा, प्रकाश की अनुपस्थिति है. अहंकार, जागरूकता की अनुपस्थिति है.

साहस अज्ञात के साथ एक प्रेम संबंध है|

बे कहते हैं – कूदने से पहले दो बार सोचो| मैं कहता हूँ – पहले कूदो और फिर जितना चाहे उतना सोचो|

Osho Quotes in Hindi (21-40)

दुःख पर ध्यान दोगे तो हमेशा दुखी रहोगे, सुख पर ध्यान देना शुरू करो|
दरअसल तुम जिस पर ध्यान देते हो वह चीज सक्रीय हो जाती है|
ध्यान सबसे बड़ी कुंजी है|

यह दुनिया अपूर्ण है, और यही कारण है कि यह बढ़ रही है, अगर यह पूर्ण होती तो मर चुकी होती. केवल अपूर्णता का ही विकास संभव है|

अनुशासन क्या है? अनुशासन का मतलब आपके भीतर एक व्यवस्था निर्मित करना है. तुम तो एक अव्यवस्था, एक केऑस हो.

जब प्यार और नफरत दोनों ही ना हो, तो हर चीज साफ़ और स्पष्ट हो जाती है|

आँख दुसरे को देखती है| हाथ दुसरे को छूते हैं| मन दुसरे की सोचता है| और तुम सदा अँधेरे में खड़े रह जाते हो| तुम्हारी हालत वही जो दिए टेल अँधेरे की होती है| दिए को रौशनी सब पर पड़ती है, सिर्फ तुम्हे छोड़ देती है| इसलिए तुम भटकते हो उस रोशनी में सब तरफ, सब दिशाओं मई यात्रा करते हो और एक अपरिचित रह जाता है – वही तुम हो|

जीवन की त्रासदी नहीं है, ये एक हास्य है, जीवित रहने का मतलब है हास्य का बोध होना|

तुम जीवन में तभी अर्थ पा सकते हो जब तुम इसे निर्मित करते हो| जीवन एक कविता है जिसे लिखा जाना चाहिए यह गाया जाने वाला गीत, किया जाने वाला नृत्य है|

कोई विचार नहीं, कोई बात नहीं, कोई विकल्प नहीं – शांत रहो, अपने आप से जुड़ो.

मुर्ख दूसरों पर हंसते हैं, बुद्धिमान खुद पर|

अगर आप खुद से प्यार करते हैं तो देखोगे की सब आपसे प्यार करते हैं, अगर आप खुद से प्यार नहीं करते तो कोई आपसे प्यार नहीं करेगा|

आप जितने लोगों से चाहे उतने लोगों से प्रेम कर सकते हैं| इसका मतलब ये नहीं की आप एक दिन दिवालिया हो जाएंगे, और कहेंगे “अब मेरे पास प्रेम नहीं है” जहाँ तक प्रेम का सवाल है आप दिवालिया नही हो सकते.

आप वो बन जाते हो जो आप सोचते हैं की आप हो|

अपने बारे में तुम्हारी पूरी सोच उधार ली हुई है, उन लोगों से, जिन्हें खुद नहीं पता कि वे स्वयं कौन हैं|

एक भीड़, एक राष्ट्र, एक धर्म, एक जाति का नहीं पूरे अस्तित्व का हिस्सा बनो. अपने को छोटी चीज़ों के लिए क्यों सीमित करना सब संपूर्ण उपलब्ध है?

अंधे को आँख दे दो, इसमें कुछ बड़ा राज नहीं है|
असली रहस्य को बात तो है, आँख वाले को देखने की कला दे देना|

ये कोई मायने नहीं रखता है की आप किसे प्यार करते हैं, कहाँ प्यार करते हैं, क्यों प्यार करते हैं, कब प्यार करते हैं, कैसे प्यार करते हैं, और किसलिए प्यार करते हैं| मायने सिर्फ यही रखता है की आप केवल प्यार करते हैं|

दर्द से बचने के लिए, वे सुख से बचते हैं, म्रत्यु से बचने के लिए, वे जीवन से बचते हैं|

जितनी ज़्यादा ग़लतियां हो सकें उतनी ज़्यादा ग़लतियां करो. बस एक बात याद रखना: फिर से वही ग़लती मत करना. और देखना, तुम प्रगति कर रहे होगे.

किसी से किसी भी तरह की प्रतिस्पर्धा की आवश्यकता नहीं है|
आप स्वयं मैं जैसे है एकदम सही हैं, खुद को स्वीकारिये|

जिस तरह प्रेम तुम्हे चलाए| उस तरह चलिए जिस तरह ख़ुशी तुम्हे चलाए|

Osho Quotes in hindi (41-60) :-

लोग कहते हैं, जीवन व्यर्थ है| यह नहीं कहते की हमारे जीने का ढंग व्यर्थ है| और तुम्हारे तथाकथित साधू संत, महात्मा भी तुमको यही समझाते हैं, जीवप्यार में दूसरा महत्पूर्ण हैं, वासना में आप महत्वपूर्ण हैं|

सितारों को देखने के लिए एक निश्चित अन्धकार की जरुरत पड़ती है|

तलाशो मत, पूछो मत, ढूंढो मत, खटखटाओ मत, मांगो मत – शांत हो जाओ. तुम शांत हो जाओगे – वो आ जाएगा. तुम शांत हो जाओगे – उसे यहीं पाओगे. तुम शांत हो जाओगे तो अपने को उसके साथ झूलते हुए पाओगे.

उस तरह मत चलिए जिस तरह डर तुम्हे चलाए| उस तरह चलिए न व्यर्थ है|

बिना प्यार के इंसान बस एक शरीर है|

ध्यान है तो सब है, ध्यान नहीं तो कुछ भी नहीं|

जो ‘जानता’ है वो जानता है कि बताने की कोई ज़रूरत नहीं. जानना काफ़ी है.

तनाव का अर्थ है कि आप कुछ और होना चाहते हैं जो कि आप नहीं हैं.

दुनिया में और सब कलाएं बाहर हैं| मूर्तिकार मूर्ति बनाता है, चित्रकार चित्र बनाता है| गीतकार गीत बनाता है| लेकिन बुद्ध कहते हैं| असली ज्ञानी अपने को बनाता है| मूर्ति को नहीं गढ़ता, अपने को गढ़ता है| चित्र को नहीं रंगता, अपने को रंगता है| गीत को नहीं सजाता, अपने को सजाता है| अपने सोंदर्य को निखारता है| बड़े बड़े से बड़ा स्रष्टा वही हैं, जो पाने को सृजन दे देता है| जो अपने को नया जन्म दे देता है|

जीवन के दो सूत्र हैं एक वासना और एक करुणा| अज्ञानी वासना से जीता है, ज्ञानी करुणा से|

मनुष्य का डर ही उसके शोषण का कारण हैं|

अपने मन में जाओ, अपने मन का विश्लेषण करो. कहीं न कहीं तुमने खुद को धोखा दिया है.

तुम दुनिया में रहो, मगर दुनिया तुम्हारे अन्दर नहीं रहनी चाहिए|

दुनिया का सबसे बड़ा रोग “क्या कहेंगे लोग” जिंदगी में आप जो करना चाहते हैं वो जरूर कीजिये, ये मत सोचिये की लोग क्या कहेंगे| क्योंकि लोग तो तब भी कुछ कहते हैं, जब आप कुछ नहीं करते|

मित्रता शुद्धतम प्रेम है, ये प्रेम का सर्वोच्च रूप है जहां कुछ भी नहीं माँगा जाता, कोई शर्त नहीं होती, जहाँ बस देने में आनंद आता है|

केवल वो लोग जो कुछ भी नहीं बनाने के लिए तैयार हैं, प्रेम कर सकते हैं|

प्यार एक शराब है, आपको इसे पसंद करना पड़ेगा, आपको इसे पीना पड़ेगा| आपको इसके साथ झूमना होगा, तभी आप जान सकते हैं प्यार क्या है|

जिस दिन आप ने सोच लिया की आपने ज्ञान प् लिया है, आपकी म्रत्यु हो जाती है| क्योंकि अब ना कोई आश्चर्य होगा, न कोई आनंद और ना कोई अचरज| अब आप एक मृत जीवन जियेंगे|

उत्सव मेरा धर्म है, प्रेम मेरा संदेश है| और मौन मेरा सत्य हैं|

जीवन को संगीतपूर्ण बनाओ, ताकि काव्य का जन्म हो सके| और फिर सोंदर्य ही सोंदर्य है, और सोंदर्य ही परमात्मा का स्वरुप है|

Osho Thgouths in hindi (61-80):-

खुद से मिला नहीं और खुदा की बात करता है| जिंदगी भर खुद को नज़रअंदाज़ करता है|

सारे शिक्षा व्यर्थ है, सारे उपदेश व्यर्थ है, अगर वे तुम्हे अपने भीतर डूबने की कला नहीं सिखाते

जीभ कभी नहीं फिसलती है हमेशा याद रखें| दिमाग में जो चल रहा है वह हमेशा जीभ पर आता है|

जीवन पर गुस्सा मत करो| यह जीवन नहीं जो आपको निराशा देता है, यह आप हैं जो जीवन की नहीं सुनते|

उतना ही कहो जितना तुमने स्वयं के अनुभवों से जाना हो, उनसे ही कहो जिसने तुमसे पूछा हो और उतना ही कहो जितना पूछा हो|

यदि आप कोई कार्य बिना उस कार्य से प्यार के बिना करते हैं| तो आप गुलाम की तरह काम कर रहे हैं

उस तरह मत चलिए जिस तरह डर आपको चलाए, उस तरह चलिए जिस तरह प्रेम आपको चलाए, उस तरह चलिए जिस तरह ख़ुशी आपको चलाए|

मनुष्य की भाषा में प्रेम से बड़ा कोई शव्द नहीं, जिसने यह जान लिया, उसने सब जान लिया|

अगर हम मरे आदमी से पूछ सकें की अब तेरी पीड़ा क्या है तो वह यह नहीं कहेगा कि मैं मर गया, यह मेरी पीड़ा है| वह कहेगा, जीवन मरे पास था और यूं ही खो दिया, यह मेरी पीड़ा है|

जब तक तुम्हारा दुसरे में रस है, जब तक तुम्हारा दुसरे में मोह है, या दुसरे में क्रोध; तब तक तुम दुसरे से बंधे हो|

काँटों को समझने के लिए बुद्धि काफी है| फूलों को समझने के लिए तो ह्रदय चाहिए|

जब में कहता हूँ की आप देवी देवता हैं| तो मेरा मतलब है आप में अनंत संभावनाएं हैं, आपकी क्षमताएं अनंत हैं|

अगर हारने से डर लगता है तो, जितने की इच्छा कभी मत रखना अगर जिंदगी में कुछ पाना हो, तो तरीके बदलो इरादे नहीं

कोई चुनाव मत करिए जीवन को ऐसे अपनाइए जैसे वो अपनी समग्रता में है|

तुम्हे अगर कुछ हानिकारक करना हो तभी ताकत की जरुरत पड़ेगी. वरना तो प्रेम पर्याप्त है, करुणा प्रयाप्त है|

प्रसन्नता सद्भाव की छाया हैं, वो सद्भाव का पीछा करती है, प्रसन्न रहने का कोई और तरीका नहीं है|

मित्रता शुद्धतम प्रेम है, ये प्रेम का सर्वोच्च रूप है जहाँ कुछ भी नहीं माँगा जाता,

कोई शर्त नहीं होती, जहाँ बस देने में आनंद आता है|

आत्म ज्ञान एक समझ है की यही सब कुछ है, यही बिलकुल सही है, बस यही है आत्मज्ञान कोई उपलव्धि नहीं है, यह ये जानना है की न कुछ पाना है और ना कहीं जाना हैं|

यदि आप एक दर्पण बन सकते हैं, तो आप एक ध्यानी बन सकते हैं, ध्यान दर्पण में देखने की कला है, दर्पण में देखते समय आपके अन्दर कोई विचार नहीं चलता इसलिए कोई व्याकुलता नहीं होती|

Osho Thoughts in Hindi (81-100)

रोज तो तुम नये जन्मते बच्चों को देखते हो रोज तो तुम बूढों की अर्थियां उठते देखते हो तुम्हे कब समझ में आएगा, की जो जन्मा वो मरेगा जो बना वो मिटेगा, ये खेल घडी दो घडी का है, इससे पहले जीवन का यह अवसर यूँ ही न खो जाए कंकड़ पत्थर बीनने से, जाग जाना ज्यादा जरूरी है|

प्यार के शराब है, आपको उसका स्वाद लेना चाहिए, उसे पीना चाहिए उसमें पूरी तरह से डूब जाना चाहिए तभी आपको पता चल पायेगा की वह क्या है|

अर्थ मनुष्य द्वारा बनाए गए हैं चूँकि आप लगातार अर्थ जानने में लगे रहते हैं, इसलिए आप अर्थहीन महसूस करने लगते हैं|

उत्सव मारा धर्म है, प्रेम मेरा सन्देश है, और मौन मेरा सत्य|

झेन फकीर जेनरेन ने कहा है – जब पतझड़ आये और सभी पत्ते गिरकर नग्न हो जाए तो यह मत कहना की यहाँ सब उजाड़ है, बल्कि यह तो बसंत आने की तैयारी है| रात जितनी अँधेरी होती है सुबह का सूरज उतना ही प्यारा और जीवंत होता है|

दुनिया का सबसे बड़ा नुकसान वो है की किसी की आँखों में आंसूं हमारी वजह से हैं| और दुनिया की सबसे बड़ी उपलव्धि यही है की किसी की आँखों में आंसू हमारे लिए है

आदमी के जीवन में जो भी श्रेष्ठ है सुन्दर है सत्य है उसे जिया जा सकता है, जाना जा सकता है, हुआ जा सकता है लेकिन कहना बहुत मुश्किल है|

दुनिया में जितने धार्मिक पाखण्ड चलते हैं, उसका कारण पाखंडी कम हैं, आपकी कमजोरियां ज्यादा हैं| अगर आप कमजोर नही हैं, तो दुनिया में कोई धार्मिक पाखण्ड खड़ा नहीं होगा|

जब कभी तुम्हे डर लगे, तलाशने का प्रयास करो तुमको पीछे छिपी हुई म्रत्यु मिलेगी सभी भय म्रत्यु के हैं म्रत्यु एकमात्र भय श्रोत है|

स्वर्ग और नरक तुम्हारी ही भावदशाएं हैं| और तुम ही निर्माता हो, तुम ही मालिक हो|

सत्य बाहर खोजने की चीज नहीं है यह तो हम अन्दर से महसूस करते हैं|

जीवन हसने हसाने का अवसर है, आदमी खुद पर हंस नहीं सकता, क्योंकि वह मूर्ख बनने से डरता है| लेकिन मुर्खता में क्या खराबी है| ज्ञानी बनने की बजाये मूर्ख बनकर जीना ज्यादा बेहतर है| सच्चा मूर्ख वह है जो किसी बात को गंभीरता से नहीं लेता| मूर्ख आदमी अकारण हँसता रहता है| उसमें मिथ्या अहंकार नहीं होता| वह सहज, सरल होता है

इस जगत में इतनी मूल्यवान कोई भी चीज नहीं है की तुम उसके लिए झगड़ो, रोष करो, हिंसा करो| कोडियों के लिए लड़ो मत, कोडियों के लिए लड़कर आत्मा के बहुमूल्य हीरे न गंवाओं|

शुद्ध का अर्थ है स्वभाव में होना, अशुद्ध का अर्थ है प्रभाव में होना|

खयाल रखना, तुम्हारी संगति तुम्हे निर्माण करती है| तुम जैसों के पास बैठोगे, वैसे हो जाओगे| असल में तुम उन्हीं के पास बैठते हो जैसे तुम होना चाहते हो|

कहावत है नेकी कर और कुएं में डाल| ठीक वैसा ही ज्ञान के साथ भी करना| जानो, कुए में डालो| तुम सदा अज्ञात की यात्रा पर बने रहना| तो ही एक दिन उस चिरंतन से मिलन होगा| क्योंकि वह चिरंतन अज्ञात ही नहीं अज्ञेय है|

असल में अहंकार का अर्थ ही है की मेरी कोई चर्चा करे, मुझे कोई पहचाने| मैं हूँ, मैं कुछ हूँ,

ध्यान से शुरू करो और चीजें तुम्हारे भीतर विकसित होने लगेंगी| मौन, शांति, आनंद, संवेदनशीलता| और ध्यान से जो भी आता है, उसे जीवन में लाने का प्रयास करो| उसे बांटो, क्योंकि जिसे भी बांटा जाता है वह तेजी से विकसित होता है

गंभीर मत होओ, अपनी गपशप का आनंद लो, जीवन की छोटी छोटी चीजों का, जीवन के छोटे छोटे सुखों का आनंद लो| यह सब तुम्हारे अंतस को सम्रध करते हैं| सुगम है मंदिर जाना, मन में जाना कठिन है| इसलिए सुगम को लोग चुन लेते हैं| पर सुगम का सत्य से कोई सम्बन्ध नहीं है| सुविधा से सत्य का कोई सम्बन्ध नहीं है| इसलिए अधिक लोग पूजा करते हैं| पर बहुत थोड़े लोग ध्यान करते हैं| पर बहुत थोड़े लोग ध्यान करते हैं पर जो ध्यान करते हैं वे ही पहुंचते हैं परमात्मा तक|

ध्यान से शुरू करो और चीजे तुम्हारे भीतर विकसित होने लगेंगी| मौन, शांति, आनंद संवेदनशीलता| और ध्यान से जो भी आता है उसे जीवन में लाने का प्रयास करो| उसे बांटो, क्योंकि जिसे भी बांटा जाता है वह तेजीसे विकसित होता है

Popular Osho quotes in hindi (101-120):-

ध्यान रखना अकेले आना है, अकेले जाना है बीच के ये थोड़े दिन भीड़ से बहुत ज्यादा अपने को मत भरो|

इस झूठी दुनिया में हमने हमेशा देखा है, सच्ची बात बताने वाले कुछ कुछ पागल होते हैं|

प्यार एक पक्षी है जिसे आजाद रहना पसंद है| जिसे बढ़ने के लिए पूरे आकाश की जरुरत होती है|

हंसना जीवन की धड़कन है| जो धर्म हँसाना नहीं जानता, वह बहुत समय हुआ तब मर चूका है|

अगर तुम अपने अतीत से नफरत करते हो, तो तुम्हे खुद से नफरत हो जाएगी| अतीत के लिए कुछ भी नहीं किया जा सकता जो हो गया सो हो गया उससे घबराना मत जाग के वर्तमान को बदल देना|

दूसरों की अपेक्षाओं को पूरा करना बंद करो, क्योंकि यह एक मात्र तरीका है जिससे तुम आत्महत्या कर सकते हो|

मित्रता मतलब है की तुमने किसी अन्य व्यक्ति को स्वयं से ज्यादा महत्वपूर्ण माना यह व्यापार नहीं है यह पाने आप में पवित्र प्रेम है|

पकड़ना आसान है, चीजे हो, विचार हो, दुःख हो सुख हो पर याद रखना छोड़ना कठिन

पहला सूत्र है वर्तमान में जीना, दूसरा सूत्र है, सहजता से जीना तीसरा सूत्र है अकेले जीना|| सरल, सहज और एकांकीपन जीवन में ही साधना विकसित होती है|

मनुष्य का मार्ग उसी दिन खो गया| जिस दिन उसने स्वयं को खोजने से भी ज्यादा मूल्यवान किन्ही और खोजों को मान लिया|

जिसने तुम्हारा अपमान किया है वह उसकी मौज है| उसे जो ठीक लगा उसने किया| जिसने तुम्हारा सम्मान किया है, उसकी मौज उसे जो ठीक लगा उसने किया| जो उसके पास था| उसने दिया| तुम अपमान और सम्मान दोनों को एक ही धन्यवाद के भाव से स्वीकार कर लेना, दोनों का आभार प्रगट कर देना और आँख मूंदकर भीतर दुबकी लगा लेना|

मस्त आदमी का क्या अर्थ होता है? मस्त आदमी का अर्थ होता है, अब कोई चलने वाला नियंत्रण भीतर न रहा| अब तो छोड़ दिया सब परमात्मा पर| जहाँ उसकी मर्जी हो, ले जाए| डुबाना हो डूबा दे, हम गीत गुनगुनाते डूब जायेंगे| मिटना हो मिटा दे, हम मुस्कराते मिट जायेंगे| जो उसकी मर्जी, जैसे उसकी मर्जी

आखिर तुम पूरी जिंदगी में करते क्या हो? वस्तुएं इकट्ठी करते हो, बड़ा मकान बना लेते हो| तिजोरी भर लेते हो| और खुद को खोते चले जाते हो|

चित्त को वर्तमान में ले आना ही ध्यान है, वाही मैडिटेशन है, वाही समाधि है| और चित को वर्तमान से यहाँ वहां भटकना, वही चंचलता है, वाही उपद्रव है|

पुरूष तर्क से जीता है, स्त्री अनुभूति से और जब भी अनुभूति और तर्क में दौड़ होगी तो अनुभूति जीत जाती है और तर्क हार जाता है|

प्रार्थना का अर्थ माँगना नहीं, जो मिला है उसके प्रति आभार प्रकट करना है|

भीड़ उनको ही पसंद करती है जो उनके जैसे हैं अनूठे को नहीं|

मेरे संग साथ चलने का मतलब है तुम पागल होने को तैयार हो, समझदार तो मुझसे दूर भागते हैं|

सोभाग्य है उन लोगों का, जो सत्य के लिए प्यासे हो सके| बहुत कम लोग पैदा होते हैं, बहुत कम लोग सत्य के लिए प्यासे होते हैं| सत्य का मिलना तो बहुत बड़ा सौभाग्य है| सत्य की प्यास होना भी उतना ही बाद सौभाग्य है|

परमात्मा दोड़ने से नहीं मिलता, क्योंकि परमात्मा दोड़ने वाले में छिपा है| परमात्मा कुछ करने से नहीं मिलता, क्योंकि परमात्मा करने वाले मैं छिपा है परमात्मा के होने के लिए कुछ करने की जरुरत ही नहीं है – तुम ही हो!

प्रेम करो लेकिन बने रहो, प्रेम करो लेकिन पकड़ मत रखो प्रेम करो, लेकिन मांगो मत – प्रेम सिर्फ प्रेम के लिए|

जीवन के दो ही मार्ग हैं, या तो तुम भिखारी की तरह खोजते रहो हाथ फेलाकर भिक्षापात्र लिए, या तुम सम्राट हो जाओ, अपने भीतर झांको|

आदमी जीवन भर यही देखता रहता है, की दुसरे मरे सम्बन्ध में क्या सोच रहे हैं| और, दुसरे मेरे सम्बन्ध में ठीक सोचें, इस भांति का अभिनय करता रहता है| ऐसा व्यक्ति अभिनेता ही रह जाता है| वह कभी सत्य को उपलव्ध नहीं हो सकता

संसार एक नहीं है, यहाँ जितने मन हैं उतने ही संसार हैं क्योंकि प्रत्येक व्यक्ति का अपना संसार है|

अगर तुम दुखी हो तो इसलिए की तुमने जगत को बहुत गंभीरता से लिया है| और सुखी होने का कोई उपाय मत खोजो, सिर्फ अपनी द्रष्टि क बदलो| गंभीर चित से तुम सुखी नहीं हो सकते, उत्सव मनाने वाला चित्त ही सुखी हो सकता है| इस पूरे जीवन को एक नाटक एक कहानी की तरह लो| ऐसा ही है| और अगर तुम उसे इस भांति ले सके तो तुम दुखी नहीं होगे| दुःख अति गंभीरता का परिणाम है|

क्षण क्षण जीना और भूत तथा भविष्य के वारे में फिक्र न करना ही नूतन बनाने का रास्ता है|

जिसने पहला कदम उठा लिया है, वह अंतिम भी उठा लेगा| पहले में ही अड़चन है, अंतिम में अड़चन नहीं है|

तुम बुद्ध होने के लिए पैदा हुए हो, उससे कम पर राजी मत होना|

अपने दिए खुद बनो, अपने मांझी खुद बनो| किसी और के कंधे का सहारा न लेना| खुद खाओगे तो तुम्हारी भूंख मिटेगी| सत्य को स्वयं जानोगे, तो ही केवल तो ही संतोष की वीणा तुम्हारे भीतर बजेगी मेरा जाना हुआ सत्य, तुम्हारे किसी काम का नहीं|

मनुष्य खुद ईश्वर तक नहीं पहुंचता है, बल्कि जब वह तैयार होता है तो इस्वर खुद उसके पास आ जाते हैं|

जिस जीवन में आप बहे जा रहे हैं, अगर वहां आनंद उपलव्ध नहीं होता है, तो जानना चाहिए आप गलत बहे जा रहे हैं|

भोजन से उर्जा मिलती है, नींद से उर्जा संग्रहित होती है| जागरण में खर्च होती है प्राणायाम और व्यायाम से जागती धारणा से केन्द्रित होतीध्यान से ऊपर चढ़ती भय से सिकुड़ती वासना से निचे गिरती है प्रेम में फेलती और विस्तृत होती, और समाधी में विराट के साथ एक होती है, उसमें विलीन होती है| यह उर्जा का पूरा विज्ञानं है|

जब तक प्रेम विकसित न हो, तब तक भक्ति का जन्म नहीं हो सकता| जिसने लौकिक प्रेम नहीं किया, वह अलौकिक प्रेम तो कैसे करेगा? क्योंकि लौकिक प्रेम की ही हिम्मत जिसमे नहीं थी| उसमें अलौकिक प्रेम की हिम्मत तो पैदा ही नहीं हो सकती| अलौकिक प्रेम तो दुस्साहस है|

जिस जीवन में आप बहे जा रहे हैं, अगर वहां आनंद उपलव्ध नहीं होता है, तो जानना चाहिए आप गलत बहे जा रहे हैं|

मनुष्य खुद ईश्वर तक नहीं पहुंचता है, बल्कि जब वह तैयार होता है तो ईश्वर खुद उसके पास आ जाते हैं|

जिंदगी को जो अभिनय के तरह ले पाए, उसने गहनतम सत्य को जान लिया है|

मजे की बात है की राधा ने सब छोड़ा कृष्ण के लिए, लेकिन नाम पीछे न जुड़ा, नाम आगे जुड़ गया| कृष्ण राधा कोई नहीं कहता, राधा कृष्ण सब कहते हैं, जो सब समर्पण करता है वह सब प् लेता है| जो बिलकुल पीछे खड़ा हो जाता है, वह बिलकुल आगे हो जाता है|

सांस जाए उसके पहले जाग जाओ| सांस जाए उसके पहले समाधि का थोडा अनुभव कर लो| तुम्हे भेजा गया है हीरे की खदान पर और तुम कंकड़ पत्थर बीन रहे हो| और जल्दी ही खबर आ जायेगी की समय पूरा हो गया|

जैसे जन्म एक दिन अचानक घटता है, वैसे ही म्रत्यु भी एक दिन अचानक घटती है| फिर इन दोनों के बीच में जीवन भर तुम करता होने के पागलपन में लगे रहते हो| जब जीवन की असली घटनाओं, जन्म और म्रत्यु पर, तुम्हारा कोई बस नहीं, तो थोडा तो जागो और समझो की इन दोनों के बीच में जो जीवन है उसमें घटती घटनाओं पर तुम्हारा कैसे बस हो सकता है|

परमात्मा ऊँचा नहीं है, परमात्मा तुम्हारी निजता है| परमात्मा तुम्हारे भीतर मौजूद है| पाने की भाषा ही छोड़ो, पाया हुआ है| परमात्मा को तुम चोदना भी चाहो, तो छोड़ न सकोगे, छोड़ने का कोई उपाय नहीं है, उसके बिना जिओगे कैसे|

तुम हर दिन हर घडी मौत से बचने की कोशिश करते हो, बजाय जीने की|

सांस ख़त्म हो और तमन्ना बाकि रहे वह है म्रत्यु सांस बाकी रहे और तमन्ना ख़त्म हो जाए, वह है मोक्ष

शांत होने की कोई तरकीब नहीं होती| सिर्फ अशांत होने की तरकीब होती है| और अशांत होने की तरकीब समझ में आ जाए तो आदमी शांत हो जाता है|

पहली बात, जिस व्यक्ति को जीवन परिवर्तन करना हो उसके लिए पहला सूत्र है, उसे दूसरों के बाबत विचार और निर्णय छोड़ देना चाहिए! इस जगत में कोई भी विचारनीय नहीं है|

कभी भीतर देखा की विचारों का कितना आवागमन है! कितना ट्रेफिक, सुबह से साँझ, साँझ से सुबह हो जाती है, लेकिन विचारों का प्रवाह चलता ही रहता है| एक नहीं, दो नहीं, लाखों विचार चल रहे हैं तुम्हारी खोपड़ी मैं सदा कुम्भ का मेला ही भरा हुआ ह

आओ ले चलें इश्क को वहां तक, जहाँ फिर से कोई कहानी बने| जहाँ फिर कोई ग़ालिब नज्म पढ़े जहाँ फिर कोई मीरा दीवानी बने|

एक बात स्मरण रहे, जब भी तुम्हे लगे की कोई चीज गलत है तो पहले उसका कारण अपने भीतर खोजो, और कहीं मत जाओ| सौ में निन्यानवे मोकों पर तुम्हे अपने भीतर ही कारण मिल जाएगा| और जब सौ में निन्यानबे कारण तुम्हारे भीतर होंगे तो सौंवा अपने आप ही विदा हो जाएगा| तुम्हे जी कुछ होता है उसका कारण तुम स्वयं हो| तुम कारण हो, संसार तो बस दर्पण है|

ध्यान का छोटा सा सूत्र हैं, अपने भीतर इतनी शांति, की विचार की कोई तरंग भी न उठे, कोई लगर न हो ऐसा सन्नाटा, ऐसा शुन्य, जहाँ बस तुम हो और कुछ भी नहीं है, जहाँ यह भाव भी नहीं की मैं हूँ| उसी क्षण यह सारा विश्व, तुम्हारे ऊपर ईश्वर बन कर बरस पड़ता है|

गुरु, परमात्मा थोड़े ही दे सकता है तुम्हे| परमात्मा तो तुम्हे मिला ही हुआ है, गुरु केवल तुम्हे जगा सकता है, ताकि तुम वाही देख लो, जो की तुम्हारे भीतर छिपा है| और बड़े मजे की बात है कि, गुरु तो एक बहाना है| गुरु के भने तुम झुकना सीख जाते हो|

तालाब सदा कुँए से सेकड़ों गुना बड़ा होता है, फिर भी तुम कुँए का ही पानी पीते हो, क्योंकि कुँए में गहराई और शुद्धता है, और जहाँ गहराई है, वहीँ शुद्ध प्रेम है|

जो दुःख में जीने को राजी है, उससे सुख कौन चीन सकता है|

प्रार्थना करो, अपेक्षा मत करो, फिर तुम कभी उदास न होओगे|

कृष्ण कहते हैं, मांगो ही मत क्योंकि जिसने तुम्हे जीवन दिया, वह तुमसे ज्यादा समझदार है| तुम अपनी समझदारी मत बताओ|

मैं अपने अनुभव से कहता हूँ की जिस दिन आदमी बेसहारा हो जात है, उसी दिन परमात्मा के सारे सहारे उसे उपलव्ध हो जाते हैं| लेकिन हम इतने कमजोर हैं, हम इतने डरे हुए लोग हैं की हम कोई न कोई सहारा पकडे रहते हैं, तब तक परमात्मा का सहारा उपलब्ध नहीं हो सकता है|

किसी विचार को इतना मत मानना की उसके लिए लड़ने को खड़े हो जाओ| अगर लोग विचार से अपना सम्बन्ध तोड़ लें तो दुनिया में सारे युद्ध बंद हो जाएँ| सारा युद्ध और उपद्रव, साड़ी हिंसा, विचार के साथ तादात्म के कारण है|

अपेक्षा दुःख है… त्याग का अर्थ पत्नी नहीं बच्चों का त्याग नहीं परवार का त्याग नहीं असली त्याग है अपेक्षा का त्याग, जिसने किसी दूसरे से सुख की अपेक्षा का त्याग कर दिया उसे फिर कोई दुखी नहीं कर सकता|

प्रार्थना गृह में बेठने से क्या होगा; मन को बिठाना बड़ा कठिन है| पूजा भी करते हैं लोग, हवन, यज्ञ, विधि-विधान मन नहीं बैठता, मन भगा ही भागा है

सबसे बड़ी मुक्ति है स्वयं को मुक्त करना क्योंकि साधारणतया हम फ्होले ही रहते हैं कि स्वयं पर हम स्वयं ही सबसे बड़ा बोझ है|

म्रत्यु को ठीक से समझो| क्योंकि उसके अधर पर ही जीवन में क्रांति होगी|

जिस दिन आपको यह अनुभव होता है कि सब दौड़ व्यर्थ हैं, उस दिन आप उसी जगह खड़े रह जाते हैं, जहाँ परमात्मा है|

जब तक वाणी को विश्राम नहीं दोगे तब तक मन शांत नहीं होगा| मन शांत होगा तभी ईश्वर की उपस्थिति महसूस होगी|

अनजाने रास्ते पर अकेले उतरने की हिम्मत जिनकी है वे जरूर पहुंचते हैं, परमात्मा तक|

जहाँ तुम्हारी ऑंखें भर जाएं| वाही झुक जाना| और जिससे तुम्हारे नेत्र तृप्त हों, वहीँ झुक जाना| जिससे तुम्हे सुख की झलक मिले, वहीँ झुक जाना, जहाँ शांति का आकाश खुले, वहीँ झुक जाना|

सत्य को हम जानना चाहते हैं| लेकिन जीना नहीं चाहते क्योंकि जानना आसान है, जीना मुश्किल!

ओशो के दस सूत्र:- कभी किसी की आज्ञा का पालन न करें, जब तक के वो आपके भीतर से भी नहीं आ रही हो| अन्य कोई ईश्वर नहीं है, सिवाय स्वयं जीवन के सत्य आपके अन्दर ही है, उसे बहार ढूढने की जरुरत नहीं| प्रेम ही प्रार्थना है| शुन्य हो जाना ही सत्य का मार्ग है| शुन्य हो जाना ही स्वयं में उपलव्धि है| जीवन यहीं अभी है जीवन होश से जियो प्रत्येक पल मरो ताकि तुम हर क्षण नवीन हो सको| उसे ढूंढने की जरुरत नहीं जो की यहीं है रुको और देखो|

जितनी बड़ी चुनौती स्वीकार करोगे, उतना ही बड़ा तुम्हारा नव जन्म हो जाएगा|

प्रार्थना करो, अपेक्षा मत करो, फिर तुम कभी उदास न होओगे, फिर जो मिलेगा, उससे तुम धन्यभागी होओगे| और बहुत मिलता है| बहुत मिल रहा है| और जितने तुम प्रसन्न होओगे, जितने तुम अहोभाव से भरोगे, उतने ज्यादा को पाने का द्वार खुक जाता है| और जितने तुम विषाद से भरोगे, उतने तुम सिकुड़ जाते हो, उतना ही द्वार दरवाजे बंद हो जाते हैं| जो मिलने वाला था, वह भी चूक जाता है|

बुद्ध का बड़ा प्रसिद्ध वचन है धम्मपद में, की तुमने जो सोचा, तुम वही हो जाओगे| तुम आज जो हो, वह तुम्हारे वीते कल के सोचने का परिणाम है| आज तुम जो सोचोगे| वह तुम कल हो जाओगे| सोचना तो बीज बोना है| फिर तुम रोते हो जब फल काटते हो|

तुम्हारी मनुष्यता झूठी, चमड़ी से निचे वह नहीं जाती| कोई तुम्हारा अपमान करता है या निंदा करता है तो तुम्हारा पशु बाहर आ जाता है, मनुष्य नहीं|

प्रतिष्ठा तो वाही खोजते हैं, जिन्हें आनंद न मिला हो| प्रतिष्ठा का अर्थ है की हमें भीतर तो कुछ नहीं मिला, तो चलो बाहर के लोग ही कुछ प्रतिष्ठा दे दें, उससे ही शायद ऐसा लगे की कुछ प् लिया है| प्रतिष्ठा का अर्थ अहि, दुसरे हमें थोडा भर दें, हम तो खली हैं| दुसरे कहें, आप सुन्दर; दुसरे कहें आप शुभ, दुसरे कहें आप शिव दुसरे कहें आप साधू दुसरे कह दें; हम तो भीतर खाली हैं| अगर दुसरे न कहेंगे, तो हमारे भीतर कुछ भी नहीं है| प्रतिष्ठा का अर्थ है, उधार , कोई कह दे|

लोग डरपोक हैं; उनके बारे में चिंता न करो| तुम पानी रह चलते रहो, अपनी राह पर, नाचते हुए चलते रहो| सिर्फ एक बात याद रखो| जो कुछ भी अच्छा लगे सुन्दर है, और जो कुछ भी तुम्हे आनंदित करे, प्रसन्न करे, खुश करे, वही सत्य है|

फकीरों की सोहबत में बैठा कीजिये साहब बादशाही खुद व खुद आ जाएगी|

थोड़े कम धन से काम चल जाएगा, परन्तु थोड़े कम ध्यान से काम नहीं चलेगा|

दुःख को भी स्वीकार कर लो और तुम आनंदित हो जाओगे| क्योंकि स्वीकार दुःख जानता ही नहीं है| स्वीकार को दुःख का कोई पता नहीं है| स्वीकार के साथ ही परिणाम आने शुरू हो जाते हैं

मैं तुमसे या कहता हूँ, कोई चुनाव ही मत करो| तुम बस सजग और बोधपूर्ण रहो की यही जीवन का ढंग है की रात और दिन आते हैं, चले जाते हैं, दुःख और सुख आते हैं चले जाते हैं और तुम मात्र साक्षी हो| न तुम्हे सुख को पकड़ना है और न तुम्हे दुःख से बचना है, भागना है| तुम्हे अपने में रहना है, केन्द्रित, स्थिर, अकंप यही आनंद है|

सुख का आश्वासन देता है जगत, सुख मिलता नहीं, सुख का भरोसा दिलाता है, लेकिन सुख कभी हाथ नहीं आता| जितना तुम खोजते हो, उतना ही दूर होता चला जाता है| सुख बाहर मिल नहीं सकता, बाहर दुःख है| सुख भीतर है| सुख स्वाभाव है, सुख तुम्हारी निजता में है| सुख अपने घर लौट आने में है| सुख विचारों से मुक्त हो जाने में हैं और विचार में अशांति है|

मौत तो तुम्हे बहुत बाद में मारती है, तुम्हारी नासमझी तुम्हे पहले मार देती है|

तुम जगत में रहो, पर ध्यान रखना, तुम्हारी खोपड़ी में जगत न रहे|

लोग कहते हैं, जीवन व्यर्थ है| यह नहीं कहते कि हमारे जीने का ढंग व्यर्थ है| और तुम्हारे तथाकथित साधू संत, महात्मा भी तुमको यही समझाते हैं, जीवन व्यर्थ हैं|

मनुष्य और परमात्मा का मिलन कभी भी नहीं होता| क्योंकि जब तक मनुष्य होता है, तब तक परमात्मा से मिलना नहीं हो पाता| और जब परमात्मा प्रकट होता है, तब तक मनुष्य पिघलकर उसमें लीं हो गया होता है| इसलिए मिलन की घटना नहीं घटती दो के बिच| या तो मनुष्य होता है, या परमात्मा होता है|

है मेरा मकसद तेरी इबादत, अजाब कैसा सवाब कैसा गिनूं मैं क्या तस्बीह के दाने मोहब्बतों में हिसाब कैसा|

सादगी में बहुत सुन्दरता है, जो चीज साडी है वह सत्य के नजदीक है|

चाँद तारे नाच रहे हैं, पशु पक्षी नाच रहे हैं प्रथ्वी, गृह उपग्रह नाच रहे हैं, सारा अस्तित्व नाच रहा है| एक तुम क्यों खड़े हो उदास? क्यों अलग थलग? क्यों अपने को अजनबी बना रखा है| क्यों तोड़ लिया है| अपने को इस विराट अस्तित्व से किस अहंकार में अकड़े हो? कैसे जड़ता? झुको अर्पित हो जाओअस्तित्व से गलबहियां लो|अस्तित्व से आलिंगन करो| नाचो  इसके साथ|

सवाल यह नहीं है की म्रत्यु के बाद जीवन मौजूद है या नहीं असली सवाल यह है की आप, मौत से पहले जीवित है या नहीं|

जो सामने है, वह तो दीखता ही नहीं| और जो नहीं होता है, उसका हम विचार करते हैं|

परमात्मा मंदिर में नहीं, तुम्हारे अन्दर है| मंदिर तो तुम्हारे अपाहिज होने का प्रमाण है|

प्रेम निचे गिरे तो वासना बनता है और ऊपर उठे तो प्रार्थना बनता है| प्रेम उतार पर हो तो वासना प्रेम चढ़ाव पर हो तो प्रार्थना प्रेम पहाड़ से लुढ़कने लगे पत्थर की भांति तो वासना| और प्रेम को पंख लग जाए और उड़ चले सूरज को और तो प्रार्थना|

जब तक तुम किसी को प्रभावित करना चाहते हो, तब तक तुम अहंकार से ग्रस्त हो|

जो अपने भीतर नहीं जा सकता, वह मंदिर में कैसे जा सकेगा|

आशीर्वाद मिलते हैं, मांगे नहीं जा सकते| आशीर्वाद पाने की पात्रता चाहिए माँगने से उनका कोई सम्बन्ध नहीं है तुम जब तैयार होते हो, तब आशीष बरस जाती है, छिनी झपटी नहीं जा सकती|

ये पिछले जन्मों के दुःख नहीं हैं| अभी जो कर रहे हो, उसी का परिणाम है| परमात्मा उधारी में भरोसा नहीं करता| अभी आग मैं हाथ डालोगे, अभी जलेगा, अगले जन्म में नहीं| और अभी किसी को दुःख डोज तो अभी दुःख पाओगे अगले जन्म में नहीं|

मुझसे नफरत ही करनी है तो इरादे मजबूत रख जरा सा भी चुके तो मोहब्बत हो जायेगी|

खुद से मिला नहीं और खुद की बात करता है, जिंदगी भर खुद को नज़रअंदाज़ करता है|

कोई दूसरा आपको नहीं जगा सकता , बस आप ही बस आप ही अपने को जगा सकते हो|

जिस समाज में भी माता पिता के प्रति श्रद्धा कम हो जाएगी उस समाज में ईश्वर का भाव खो जाता है| क्योंकि ईश्वर आदि उद्गम है| वह परम श्रोत है| इसलिए गुरजीएफ की बात मूल्यवान है की जो व्यक्ति अपने माँ बाप को प्रेम कर पाए उसे ही मैं मनुष्य कहता हूँ| क्योंकि यह बड़ी कठिन यात्रा है|

यदि चाहते हो की जीवन में आनंद हो आनंद हो जाए, को कोई भी चोट चोट न रहे, की कोई पत्थर भी मारे तो फूल की वर्षा हो, को कोई जहर भी पिलाए तो अमृत ह जाए| तो उसका एक ही रास्ता है अपेक्षाओं क छोड़ दो, निरपेक्ष होकर जिओ| और निरपेक्षता तुम्हारे हाथ में है, कोई दूसरा तुम्हे दे न सकेगा|

तुम अपने जीवन के मालिक हो| तुम अपने जीवन को अपने ढंग से जीना| तुम तुम हो, और तुम इसकी फिकर मत करना की लोगों का मत क्या है| मत की फिकर की, तो तुखे वे पागल बनाकर छोड़ेंगे|

तुम्हारे मन में अगर किसी को भी दुःख देने का जरा सा भी भाव है, तो तुम अपने लिए बीज बो रहे हो क्योंकि तुम्हारे ही मन की भूमि में नहीं गिर सकता| बिज भी तुम्हारे भीतर ही होगा| फल भी तुम्ही भोगोगे|

प्रेम और युद्ध में यही अंतर है, युद्ध दुसरे को मिटाकर जीता जाता है, प्रेम खुद को मिटा कर जीता जाता है, युद्ध में मिली जीत भी हार है, और प्रेम में मिली हार भी जीत के सामान है|

हीरा बनाया है ईश्वर ने हर किसी को पर चमकता वाही है जो तराशने की हद से गुजरता है|

अंधेरों से लड़ो मत, थक जाओगे| ध्यान का दिया जलाओ, अँधेरा चुपचाप विदा हो जाएगा|

किस्मत को दोष मत देना! कठिन से कठिन काम भी वक्त पर आसान हो जाते हैं|

चिंता इन्द्रियों की वासना का मापदंड है| जब भी चिंता हो समझ लेना जरुरत से ज्यादा की मांग हो रही है| वासना प्रकट हो रही है और जिस के लिए चिंता हो रही है वो गैर जरुरी मांग है|

मैं उन पत्तों को देर तक देखता रहा हूँ, जो पाक जाता है, बह गिर जाता है| पत्तों पर पते सुबह से शाम तक गिर रहे हैं| पर वृक्षों को उनके गिरने और टूटने से कोई पीड़ा नहीं हो रही है| इससे जीवन का एक अध्वुत नियम समझ में आता है कुछ भी कच्छा तोड़ने में कष्ट है, पकने पर टूटना पाने से हो जाता है|

सुख का अर्थ है, जो है उसका आनंद लेना| दुःख का अर्थ है, मुझे और चाहिए|

इस जगत जगत की कोई परिस्थिति निर्णायक नहीं होती, निर्णायक होती है, तुम्हारी मन स्थिति| समझदार तो नर्क में भी परमात्मा को खोज लेते, और ना समझ स्वर्ग में भी उसे भूल जाते सब तुम पर निर्भर है|

मैंने एक कहावत सुनी है, जब भी परमात्मा किस व्यक्ति को बनाके धरती पर भेजता है तो एक मजाक सब के साथ परमात्मा करता है| धरती पे भेजने से पहले उसके कान में एक बात बोल देता है| तुमसे ज्यादा सुन्दर और तुम से ज्यादा समझदार व्यक्ति मैंने इससे पहले कभी नहीं बनाया है|

एक ही निष्ठां होनी चाहिए की मैं साक्षी रूप हूँ बस पर्याप्त है| ऐसा निष्ठावान व्यक्ति धार्मिक है| और किसी निष्ठा की कोई जरूरत नहीं| न तो परमात्मा में निष्ठा की जरूरत है, न स्वर्ग-नर्क में निष्ठा की जरूरत है, न कर्म के सिद्धांत में निष्ठा की जरूरत है एक निष्ठा पर्याप्त है| और वह निष्ठा है की मैं साक्षी, निर्विकार| और तुम जैसे ही निष्ठा करोगे, तुम पाओगे तुम निर्विकार होने लगे|

पुरुष प्रेम खोजता है स्त्री प्रेम में डूबती है, खोजना महत्वपूर्ण नही है डूबना महत्वपूर्ण है|

दान का अर्थ है – जीवन को बांटो दान का कोई अनिवार्य सम्बन्ध धन से नहीं है| दान का संबंध जीवन की एक शैली से है| दान का अर्थ है – जीवन को बांटो| जीवन को सिकोडो मत, फेलाओ| जीवन की प्याली से दूसरों की प्याली में जितना रस बह सके बहाने दो| कृपण न हो जीवन में सगर हंसी दे सकते हो किसी को हंसी दो| अनाग नाच दे सकते हो किसी को नाच दो| आलिंगन दे सकते हो किसी को, आलिंगन दो| किसी का हाथ हाथ में लेकर बैठ सकते हो| और उसे राहत मिलेगी तो रहत दो| किसी के दुःख में रोओ, दो आंसू गिराओ| किसी की ख़ुशी में नाचो, मगन हो जाओ यह सब दान है, दान की अनंत संभावनाएं हैं|

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Anurag Pathak
Anurag Pathak

इनका नाम अनुराग पाठक है| इन्होने बीकॉम और फाइनेंस में एमबीए किया हुआ है| वर्तमान में शिक्षक के रूप में कार्यरत हैं| अपने मूल विषय के अलावा धर्म, राजनीती, इतिहास और अन्य विषयों में रूचि है| इसी तरह के विषयों पर लिखने के लिए viralfactsindia.com की शुरुआत की और यह प्रयास लगातार जारी है और हिंदी पाठकों के लिए सटीक और विस्तृत जानकारी उपलब्ध कराते रहेंगे

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One comment

  1. Osho was a great person unhone hi hmko sikhaya ki daya bhaw kya hoti hai, vo aaj bhi hamare dilo me jinda hain,
    BTW, great work, apka collection baht hi shandar hai, aise hi mahnat karte rahe. 🙂

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