किरीट शक्ति पीठ का इतिहास सम्पूर्ण जानकारी और रोचक तथ्य | Kirit Shakti Peetha History information amazing facts in Hindi, location, darshan
भारत मंदिरों का देश है| वैसे तो हिन्दू धर्म में अनेकों देवता हैं| मूल्यतः हिन्दू मनुष्य के प्रारूप में प्रकृति को पूजते है| प्रकृति में जितनी भी वस्तुएं और जानवर हैं उनकी प्रतीकात्मक रूप में पूजा की जाती है|
नारी को हिन्दू धर्म में एक शक्ति के रूप में माना जाता है| भारतीय उप महाद्वीप में माता शक्ति के 51 पीठ बताये गए हैं|
इन्ही में से एक है, किरीट शक्ति पीठ| किरीट शक्ति पीठ को किरीटेश्वरी मंदिर के नाम से भी जाना जाता है|
आइये चर्चा करते हैं यह किरीट शक्ति पीठ कहाँ स्तिथ है, और यहाँ विराजमान माँ शक्ति को किस नाम से बुलाया जाता है|
किरीट शक्ति पीठ का इतिहास

पुराणों और हिन्दू पौराणिक कथाओं के अनुसार जब भगवान् शिव, माता सती के मृत शरीर को लेकर
शोक वश आकाश मार्ग में इधर उधर भटक रहे थे|
तब भगवान् विष्णु ने सती के शरीर को नष्ट करने का निर्णय लिया| अन्यथा भगवान् शिव ऐसे ही शोक अवस्था में हमेशा ही
बने रहते|
तब भगवान् विष्णु ने माता सती का शरीर सुदर्शन चक्र से कई टुकड़ों में काट दिया| प्रथ्वी पर जहाँ जहाँ माता सती के शरीर के अंग और आभूषण गिरे, वहां एक शक्ति स्थल बन गया|
यह शक्ति स्थल ऐसे स्थान हैं जहाँ सभी भक्तों की मनोकामना पूरी होती हैं और स्वयं आत्मा का साक्षात्कार स्वतः ही हो जाता है|
ऐसा ही एक स्थान है पश्चिम बंगाल में जहाँ सती माता का मुकुट गिरा था| इसी स्थान पर एक माता का भव्य मंदिर बनाया गया जिसे किरीटेश्वरी के नाम से जाना जाता है|
इस मंदिर का निर्माण करीब 1000 साल पहले हुआ था| ऐसा माना जाता है, यह महामाया का शयन स्थान है| यहाँ के स्थानीय लोग यहाँ विराजमान देवी को महिषामर्दिनी कहते हैं|

इसके अलावा यहाँ विराजमान देवी शक्ति को मुकुटेश्वरी के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि यहाँ माता सती का मुकुट गिरा था|
1405 में इस मंदिर को विदेशी आक्रमणकारियों ने नष्ट कर दिया था|

लेकिन 19वी शताब्दी में लालगोला के राजा दर्पण नारायण ने इसका पुनःनिर्माण कराया|
किरीट शक्ति पीठ कहाँ स्तिथ है
यह शक्ति पीठ पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में स्तिथ है| इस जिले के नबाग्राम क्षेत्र के किरीटकोना गाँव में यह मंदिर बना हुआ है|
यहाँ पहुँचाने के लिए लालबाग कोर्ट रोड रेलवे स्टेशन सबसे पास है जो की मंदिर से 3 किलोमीटर दूर है| दहापरा धाम रेलवे स्टेशन से भी यहाँ पहुंचा जा सकता है जो की मंदिर से करीब 5 किलोमीटर दूर है|