कात्यायनी शक्ति पीठ का इतिहास सम्पूर्ण जानकरी और महत्वपूर्ण तथ्य | Katyayani Shakti Peetha History information, interesting facts in Hindi
माँ शक्ति के 52 शक्ति पीठों में से दूसरा शक्ति पीठ, कात्यायनी शक्ति पीठ है| आइये संक्षित्प में जान लेते हैं कात्यायनी शक्ति पीठ कहाँ स्तिथ है, इसका इतिहास और महत्त्व क्या है|
कात्यायनी शक्ति पीठ कहाँ स्तिथ है

यह शक्ति पीठ वृन्दावन मथुरा में स्तिथ है| वृन्दावन रेलवे स्टेशन से 1 किलोमीटर दूर भूतेश्वर महादेव मंदिर में कात्यायनी माता की प्रतिमा विराजमान है|
जिस क्षेत्र में यह मंदिर बना हुआ है, वह राधा बाग़ के नाम से जाना जाता है|
राधा बाग़ में कात्यायनी माता मंदिर के साथ साथ गुरु मंदिर, शंकराचार्य मंदिर, शिव मंदिर तथा सरस्वती मंदिर आते हैं|
इस जगह गिरे थे माँ सती के केश
माना जाता है इसी जगह माता सती के बाल (केश) गिरे थे| कहा जाता है यहाँ स्वयं पार्वती कात्यायनी के स्वरुप में विराजमान हैं|
कब बना था कात्यायनी शक्ति पीठ
इस मंदिर का निर्माण 1923 में योगिराज स्वामी केशवानंद ब्रह्मचारी ने करवाया था| यहाँ विराजमान माँ शक्ति की प्रतिमा
उमा स्वरुप में हैं और भगवान् शिव भूतेश रूप में|
यहाँ माँ पार्वती के हाथ में एक तलवार है जिसे उचवल चंद्रहास के नाम से जाना जाता है|
इस मंदिर का क्या है महत्त्व
माना जाता है, माँ कात्यायनी की यदि कुंवारे लड़के और लड़कियां यदि पूजा करें तो मन चाह जीवन साथी अवश्य मिलता है|
कात्यायनी को भगवान् विष्णु के द्वारा रचित योगमाया का स्वरुप भी माना जाता है| इन्ही योगमाया ने नन्द और यशोदा के यहाँ जन्म लिया|
माँ कात्यायनी शक्ति पीठ भवन का स्वरुप

यह मंदिर बहुत भव्य है| मंदिर का बाहरी हिस्सा सफ़ेद मार्बल से बना हुआ है और पूरा मंदिर बड़े बड़े खम्बों सुशोभित है|
भवन के मुख्य द्वार की सीडियों पर सुनहरे रंग के शेरों की प्रतिमा लगी हुई है|
इस मंदिर में पांच देवताओं की प्रतिमाएं लगी हुई हैं| भगवान् शिव, लक्ष्मी नारायण, भगवान् गणेश और सूर्य भगवान्
नवरात्री पर लगता है हर साल मेला
हर साल नवरात्री के पावन पर्व पर इस मंदिर में भव्य मेला लगता है और देश विदेश से श्रद्धालु यहाँ दर्शन के लिए आते हैं|
महान् योगिराज श्री श्यामाचरण लाहिड़ी जी महाराज के परम शिष्य योगी जी केशवानन्द ब्रह्मचारी जी महाराज ने अपनी कठोर साधना द्वारा भगवती के प्रत्यक्ष आदेशानुसार इस लुप्त स्थान श्री कात्यायनी पीठ राधा बाग, वृन्दावन नामक पवित्र स्थल की स्थापना और जीर्णोधार किया|
स्वामी विधानंद जी महाराज
स्वामी श्री केशवाननद जी महाराज के परम भक्त श्री विशम्भर दयाल जी और उनकी पत्नी श्री रामप्यारी देवी जी जो प्रतिदिन महाराज जी के दर्शन करने आया करते थे, ‘मां’ की भक्ति के साथ-साथ गुरु महाराज स्वामी श्री केशवानंद जी के भी कृपा पात्र हो गये।
श्री विशम्भर दयाल जी के 6 पुत्रों में से चोथे पुत्र पर महाराज की असीम कृपा थी| यही बाद में स्वामी विधानंद के नाम से प्रसिद्द हुए|
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