श्री पर्वत शक्ति पीठ की जानकारी इतिहास और रोचक तथ्य | Shari Parvat Shakti peetha information history and interesting facts in hindi
भारत में अनेकों मंदिर है, यहाँ हिन्दू धर्म की कई शाखाएं हैं| मुख्यतः मूल हिन्दू धर्म में तीन सम्प्रदाय हैं, वैष्णव, शैव और शक्ति संप्रदाय
शक्ति संप्रदाय के मूल भगवान् देवी शक्ति है| देवी शक्ति के 51 शक्ति पीठों का पुराणों और पौराणिक कथाओं में वर्णन है|
आइये आज संक्षिप रूप एक शक्ति पीठ, श्री पर्वत शक्तिपीठ के इतिहास, कुछ रोचक तथ्य और सम्पूर्ण जानकारी देने बाले हैं
श्री पर्वत शक्ति पीठ का इतिहास
Shri Parvat Shakti peeth History in Hindi
क्रमांक | Particular | Detail |
1. | नाम | श्री पर्वत शक्ति पीठ |
2. | स्थान | लदाख क्षेत्र जम्मू कश्मीर |
3. | खुलने का समय | समय 6 am से 10 pm |
4. | महोत्सव | जून से अक्टूबर, विजयदशमी, दुर्गा पूजा, नवरात्रि |
5. | रेलवे स्टेशन | जम्मू तावी |
6. | हवाई अड्डा | लेह लदाख, नवरात्रि |
श्री पर्वत शक्ति पीठ कहाँ स्तिथ है

वैसे तो शास्त्रों में 51 पीठों के बारे में वर्णित है| इनमें से एक शक्ति पीठ लद्दाख क्षेत्र में स्तिथ है| पुराणों में यह जगह श्री पर्वत शक्ति पीठ के नाम से प्रसिद्द है|
यह मंदिर माता दुर्गा को सम्पर्पित है|
इस मंदिर में शक्ति को देवी सुंदरी के रूप में पूजा जाता है और भैरव को सुन्दरानंद के रूप में|
पौराणिक कथा
हिन्दू पौराणिक कथा के अनुसार, राजा दक्ष की पुत्री थी सती, सती ने पिता की आज्ञा के बिना भगवान् शंकर की विवाह किया|
एक बार राजा दक्ष ने एक यज्ञ महोत्सव रखा जिसमें, सारे देवताओं को आमंत्रित किया लेकिन भगवान् शिव को नहीं बुलाया|
लेकिन बेटी सती फिर भी बिना बुलाये, यज्ञ में शामिल होने आ गई| वहां दक्ष ने भगवान् शिव के लिए अपशव्द कहे| सती अपने पति का अपमान नही सह पाई और हवन कुंड में कूद कर जान दे दी|
शंकर को जब यह समाचार मिला, वह क्रोध से आग बबूला हो गए| इन्होने दक्ष के यज्ञ को नष्ट कर दिया और दक्ष का सर धड से अलग कर दिया|
अंततः शोक वश, सती के शव को लेकर आकाश मार्ग में वेसुध घुमने लगे और गुस्से में तांडव करने लगे जिससे श्रष्टि का धीरे धीरे नाश होने लगा|
यह देख, देवता भगवान् विष्णु के पास गए और कोई समाधान निकालने के लिए आग्रह किया| भगवान् विष्णु ने शिव को इस शोक से निकालने के लिए अपने सुदर्शन चक्र से सती के शरीर के कई टुकड़े कर दिए|
सती के शरीर के अंग और आभूषण जहाँ जहाँ गिरे वहां एक शक्ति पुंज बन गया| इन्ही स्थानों को शक्ति पीठ माना जाता है|
क्यों माना जाता है शक्ति पीठ

माना जाता है, इसी स्थान पर सती की दायें पैर की पायल गिरी थी|
प्रमुख आकर्षण
इस शक्ति पीठ में दुर्गा पूजा और नवरात्र में विशेष मेला लगता है| इस दिनों पुरे मंदिर को फूलों और लाइटों से सजाया जाता है|
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