अयोध्या में अगले महीने राम मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा सियासी मुद्दा बन गया है| सी.पी.एम. नेता बृंदा करात का कहना है, कि उनकी पार्टी धर्म को राजनीति से जोड़ने में भरोसा नहीं करती है| इसलिए उनकी पार्टी ने इस कार्यक्रम में न जाने का फ़ैसला किया है |
राम मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा के अवसर पर विभिन्न नेताओं को भी न्योता भेजा गया है, हालांकि, कुछ नेताओं ने कहा है, कि वो इसमें शामिल नहीं होगी, सी.पी.एम. महासचिव सीताराम येचुरी को न्योता गया है, लेकिन वो इसमें नहीं जाएंगे, सीपीएम नेता बृंदा करात का कहना है, कि उनकी पार्टी धर्म को राजनीति से जोड़ने में भरोसा नहीं करती है, इसलिए उनकी पार्टी ने इस कार्यक्रम में न जाने का फ़ैसला किया है | मंदिर का प्राण प्रतिष्ठा समारोह 22 जनवरी होगा |
अयोध्या में अगले महीने राम मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा सियासी मुद्दा बन गया है| प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राम मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा की जिक्र कई महीनों से कर चुके हैं, इस दौरान विपक्षियों पर कमेंट्स भी कर रहे हैं| ऐसे में चार महीने से भी कम समय में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले यह एक राजनीतिक मुद्दा एक्सपेक्ट था | 22 जनवरी के कार्यक्रम के लिए निमंत्रण धार्मिक नेताओं और राजनेताओं को भेजा गया है, लेकिन विपक्षी नेताओं को भेजे गए निमंत्रण ही सुर्खियां बन रहे हैं |
मंगलवार की सुबह सी.पी.आई नेता बृंदा करात ने एक कार्यक्रम से निकलने से पहले अपनी पार्टी के फैसले को जगजाहिर किया | बृंदा करात ने कहा, हमारी पार्टी अयोध्या में होने वाले प्राण प्रतिष्ठा समारोह में नहीं जाएगी, हम धार्मिक मान्यताओं का सम्मान करते हैं, लेकिन हम समारोह में शामिल नहीं होंगे | क्यूंकि हमारे पास मौलिक और मूलभूत मूल्य हैं और हम एक विकल्प के रूप में जाने पर विचार नहीं करेंगे |
राजनीति और धर्म के मिश्रण का जिक्र करते हुए बृंदा करात ने कहा, कि हम जानते हैं, देश में धार्मिक आस्था है और हम इसका सम्मान करते हैं, लेकिन हम राजनीति और धर्म का मिश्रण नहीं करना चाहते हैं और किसी भी पार्टी को निशाना बनाने के लिए राजनीति का इस्तेमाल करना गलत है और धर्म को हथियार के रूप में इस्तेमाल करना गलत है देश में धर्म से जुड़ा कोई भी पार्टी का रंग नहीं होना चाहिए |
राम मंदिर का निर्माण भाजपा के लिए एक प्रमुख मुद्दा रहा है, अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव के दौरान भी भाजपा इस मुद्दे को जोरशोर से उठाएगी | केंद्रीय मंत्री मीनाक्षी लेखी ने बृंदा करात पर पलटवार करते हुए कहा, निमंत्रण सभी के लिए भेजे गए हैं, लेकिन केवल वे ही आएंगे जिन्हें भगवान राम ने बुलाया है |
जिन्होंने राम मंदिर के निमंत्रण को अस्वीकार किया है, पूर्व कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने कहा, कि भगवान राम मेरे दिल में हैं और इसलिए उन्हें समारोह में शामिल होने की आवश्यकता महसूस नहीं हुई जो संभवतः चुनाव से पहले भाजपा द्वारा शक्ति प्रदर्शन होगा | सिब्बल ने कहा, मैं आपसे जो कहता हूं वह मेरे दिल से है क्योंकि मुझे इन चीजों की परवाह नहीं है, अगर राम मेरे दिल में हैं और राम ने मेरी यात्रा में मेरा मार्गदर्शन किया है, तो इसका मतलब है कि मैंने कुछ सही किया है |
सूत्रों के अनुसार, एक अन्य वामपंथी पार्टी, सी.पी.आई के भी राम मंदिर कार्यक्रम में शामिल न होने की आशंका है, वामपंथियों, सिब्बल, अन्य विपक्षी दलों और नेताओं ने अपना पक्ष रख दिया है, लेकिन सभी की निगाहें कांग्रेस और उसके वरिष्ठ नेताओं पर हैं, जिनमें पार्टी प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे और सोनिया गांधी भी शामिल हैं | निवर्तमान लोकसभा में पार्टी के नेता अधीर रंजन चौधरी और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को भी निमंत्रण दिया गया है यह स्पष्ट नहीं है, कि क्या राहुल गांधी को भी आमंत्रित किया गया है |
भाजपा के एकमात्र वास्तविक राष्ट्रीय प्रतिद्वंद्वी अगर निमंत्रण स्वीकार करते हैं, तो उसे संभावित रूप से अल्पसंख्यक वोटों का खामियाजा भुगतना पड़ सकता है, ये वोट ऐसे राज्य में महत्वपूर्ण हैं जहां 80 लोकसभा सांसद हैं और जहां मुसलमानों की आबादी लगभग 20 प्रतिशत है | ऐसे में कांग्रेस अब तक अपनी प्रतिक्रिया देते समय सतर्क रही है, आपको 22 जनवरी को पता चल जाएगा | उन्होंने (भाजपा ने) हमें आमंत्रित किया | हमें आमंत्रित करने के लिए हम बहुत आभारी हैं