दिल्ली-एनसीआर में कम से कम तीन साल बाद रेयर ब्लैक गिद्ध दिखा है| नेचुरल फॉर्म से सेंट्रल एशिया और यूरोप में पाए जाने वाले इस गिद्ध को सिनेरियस गिद्ध कहते हैं।
नई दिल्ली में चार दिन पहले की ही बात है| तब ठंड इतनी ज्यादा नहीं थी। रिटायर्ड साइंटिस्ट सूर्य प्रकाश ने वीकेंड पर असोला भट्टी वाइल्ड लाइफ सैंक्चुअरी का रुख किया| वहां नीली झील के ऊपर उन्हें एक गिद्ध उड़ता नजर आया| थोड़ा ध्यान से देखने पर सूर्य प्रकाश को समझ आया कि यह तो सिनेरियस गिद्ध है| सूर्य प्रकाश के अनुसार, बेहद दुर्लभ किस्म का यह गिद्ध दिल्ली-एनसीआर में कम से कम तीन दशक बाद दिखा है| हालांकि, वाइल्ड लाइफ बायोलॉजिस्ट्स के ब्यौरे में इस प्रजाति के गिद्ध को आखिरी बार 1969 में देखा गया था| इस लिहाज से तो 9 दिसंबर 2023 की साइटिंग और दुर्लभ हो जाती है, कोई 54 साल बाद दिल्ली में सिनेरियस गिद्ध नजर आया| प्रकाश ने इसका फोटो लिया और बाद में प्रजाति की पुष्टि की| सिनेरियस गिद्ध के पीछे एक इजिप्शियन गिद्ध भी उड़ रहा था| दो पतंगें उसे परेशान कर रही थीं इसलिए वह नीचे की तरफ आया, तभी प्रकाश ने उसकी फोटो ले ली|
तीन मीटर लंबे पंख, ‘जटायु’ जैसा है यह पक्षी
रेयर प्रजाति का यह गिद्ध सेंट्रल एशिया और यूरोप में पाया जाता है| खतरे का सामना कर रही यह प्रजाति दुनिया में सबसे बड़े और सबसे भारी शिकारी पक्षियों में से एक है| सिनेरियस गिद्ध पुरानी दुनिया के गिद्धों में सबसे बड़ा है| इसके पंख का फैलाव तीन मीटर है| इनके गहरे भूरे रंग के पंख, बड़ी आंखें और चोंच के पास सफेद धब्बे होते हैं| यह उड़ने के दौरान काला दिखाई देता है, इसलिए इसे काला गिद्ध भी कहा जाता है| यह भीमकाय पक्षी काफी कुछ रामायण में बताए ‘जटायु’ से मिलता-जुलता है|
चीलें कर रही पीछा, बचने को नीचे आया गिद्ध
सूर्या ने हमारे सहयोगी ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ से बताया, ‘सुबह के करीब 10 बजे थे, बर्डिंग के लिए मुफीद समय नहीं था, लेकिन शिकारियों के लिए सही था। ये भारी पक्षी हैं और दिन के इस समय थर्मल करंट उन्हें कम ऊर्जा के साथ ऊंचाई हासिल करने में मदद करता है। हमने कुछ शिकारियों को उड़ते देखा। मैंने देखा कि कुछ काले चील एक बड़े शिकारी का पीछा कर रहे हैं। कुछ इजिप्शियन गिद्ध भी उसका पीछा कर रहे थे। यह थोड़ा नीचे आया, तो मैंने कुछ तस्वीरें लीं।‘