Category Vastu Shastra

kyo jalaate hai deepak

पूजा-पाठ में दीपक जलाना जरुरी क्यों…?

भारतीय संस्कृति में प्रत्येक धार्मिक, सामाजिक और संस्कृतिक कार्यक्रम में दीपक जलाने की परंपरा है | ईएसआई मान्यता है कि अग्निदेव को साक्षी मानकर उसकी उपस्तिथि में किये गये कार्य अवश्य ही सफल होते है | हमारे शरीर की रचना…

pooja me paani chidakne ka arth

यजमान व पूजा-सामिग्री पर जल के छींटे क्यों…?

पूजा-पाठ हो या कोई अन्य धार्मिक कार्य, उसमे जब यजमान को जब आसन पर बैठाया जाता है, तो सबसे पहले उस पर जल छिड़कते हुए पंडित यह मंत्रोच्चारण करते है– ॐ अपवित्रः पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोSपि वा | यः स्मरेत्…

buri najro se bache

क्या है बुरी नजर की मान्यता…?

संसार के लगभग सभी देशों में बुरी नजर लगने के प्रभाव को जाना जाता है | जीवित प्राणियों पर ही नहीं, निर्जीव प्रदार्थ तक बुरी नजर लगने पर विकासग्रस्त हो जाते है | सुंदर वस्तुए खो जाती है, नष्ट हो…

karmo ka fal sabko milta hai

कर्मफल की मान्यता क्यों…?

भारतीय-संस्कृति में कर्मफल के सिद्धांत को विश्वासपूर्वक मान्यता प्रदान की गई है | मनुष्य को जो कुछ भी उसके जीवन में प्राप्त होता है, वह सब उसके कर्मो का ही फल है | मनुष्यके सुख-दुःख, लाभ-हानि, जीत-हारके पीछे उसके कर्मो…

कमल का महत्व

पूजा में कमल पुष्प का विशेष महत्व क्यों..?

वेसे तो साफ़ मन से की गई पूजा उत्तम होती है, लेकिन अगर आप कमल के पुष्पों से पूजा करते है तो उस पूजा का महत्व और बढ जाता है | भारतीय आध्यात्मदर्शन में कमल के पुष्प को अत्यंत पवित्र,…

ghante ke bina pooja adhuri

जानिये क्यों बजाते है मंदिरों में घंटे..?

जिस मंदिर में घंटा-घड़ियाल बजने की ध्वनि आती रहती है, उसे जाग्रत देवमंदिर कहा जाता है | मंदिरों के प्रवेशद्वारो पर घंटे लगाए जाते है, ताकि प्रभु का दर्शनार्थी इसे बजाकर अपने आने की सूचना दर्ज करा सके | आरती…

yagyopaveet sanskar janeu

यज्ञोपवीत संस्कार ( जनेऊ )

मनु महाराज का वचन है – अर्थात पहला जन्म माता के पेट से होता है और दूसरा यज्ञोपवीत धारण करने से होता है | माता के गर्भ से जो जन्म होता है, उस पर जन्म-जन्मांतरों के संस्कार हावी रहते है…

kyo chedatehai baccho ke kaan/naak

क्या है बच्चो के कान-नाक को छेदने का महत्व…?

कर्णवेध-संस्कार उपनयन के बाद ही कर देना चाहिए | इस संस्कार को 6 माह से लेकर 16वे माह तक अथवा 3, 5 आदि विषम वर्षो में या कुल की परंपरा के अनुसार उचित आयु में किया जाता है | इसे…

Hanumaanji Ka Sindoor

क्यों है मान्यता हुनमान जी को सिन्दूर चडाने की…?

रामायण में एक कथा का उल्लेख मिलता है, जिसमें मंगलवार की सुबह जब हनुमान जी को भूख लगी, तो वे माता जानकी के पास कुछ कलेवा पाने पहुचें | सीतामाता की मांग में लगा सिन्दूर देखकर हनुमान जी ने उनसे…

माला में 108 दाने ही क्यों |

माला में 108 दाने ही क्यों ?

प्राचीनकाल से ही जप करना भारतीय पूजा-उपासना पध्दति का एक अभिन्न अंग रहा है | जप के लिए माला की जरुरत होती है, जो रुद्राक्ष, तुलसी, वैजयंती, स्फटिक, मोतियों या नगों से बनी सो सकती है | इनमे रुद्राक्ष की…