स्वाभिमान पर संस्कृत श्लोक | Sanskrit Shlokas on Self Respect with Hindi meaning

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स्वाभिमान पर संस्कृत श्लोक हिंदी अर्थ सहित | Sanskrit shlokas on Self Respect with Hindi meaning

मनस्वी म्रियते कामं कार्पण्यं न तु गच्छति।
अपि निर्वाणमायाति नानलो याति शीतताम्।।

हिंदी अर्थ:- स्वाभिमानी लोग अपमानजनक जीवन की अपेक्षा मृत्यु को प्राथमिकता देते हैं। आग बुझती है लेकिन ठंडी नहीं होती।

विक्लवो वीर्यहीनो य: स दैवमनुवर्तते |
वीरा: संभावितात्मानो न दैवं पर्युपासते ||

जिसे अपने आप पे भरोसा नही है ऐसा बलहीन पुरुष नसीब के भरोसे रहता है. बलशाली और स्वाभिमानी पुरुष नसीब का खयाल नहीं करता.

अनाहूत: प्रविशति अपॄष्टो बहु भाषते |
अविश्वस्ते विश्वसिति मूढचेता नराधम: ||

हिंदी अर्थ:- सुभाषितकर ने यहाँ मूर्ख व्यक्ति के कुछ लक्षण बताए हैं। वे कहते हैं, एक मूर्ख व्यक्ति बिना निमंत्रण के आता है (जरूरत न होने पर भी वह कहीं भी आ जाता है यानी उसका स्वाभिमान नहीं है), न मांगे जाने पर भी बात करता है (उन्हें दूसरे के व्यवसाय में अपनी नाक पोछने की आदत है), और ट्रस्ट एक व्यक्ति जो भरोसेमंद नहीं है (वह दूसरों का ठीक से मूल्यांकन करने में सक्षम नहीं है)

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Anurag Pathak
Anurag Pathak

इनका नाम अनुराग पाठक है| इन्होने बीकॉम और फाइनेंस में एमबीए किया हुआ है| वर्तमान में शिक्षक के रूप में कार्यरत हैं| अपने मूल विषय के अलावा धर्म, राजनीती, इतिहास और अन्य विषयों में रूचि है| इसी तरह के विषयों पर लिखने के लिए viralfactsindia.com की शुरुआत की और यह प्रयास लगातार जारी है और हिंदी पाठकों के लिए सटीक और विस्तृत जानकारी उपलब्ध कराते रहेंगे

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