स्त्री (नारी) पर संस्कृत श्लोक हिंदी अर्थ सहित | Sanskrit Shlokas on woman respect with Hindi meaning
दोस्तों, भारतीय संस्कृति में नारी को देवी स्वरुप माना जाता है| नारी एक माँ, बेटी, जीवन दायनी, पत्नी, बहन जाने कितने रिश्तों को निभाती है|
माँ ही बच्चे की प्रथम गुरु भी होती है| हमारे शाश्त्रों और हिन्दू ग्रंथों में नारी के महिमा को संस्कृत श्लोकों के माध्यम से व्यक्त किया है|
आज हम ऐसे ही संस्कृत श्लोकों को आपके सामने प्रस्तुत कर रहे हैं|
कृपया इन श्लोकों को अपने जीवन में आत्मसात करें और समाज में स्त्री के प्रति अपने मन में श्रद्धा और समर्पण की भावना रखें|
नारी पर संस्कृत श्लोक हिंदी अर्थ सहित
यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः।
यत्रैतास्तु न पूज्यन्ते सर्वास्तत्राफला क्रिया:॥
हिंदी अर्थ:- जहां स्त्रियों का आदर होता है, वहां देवता रमण करते हैं । जहां उनका का आदर नहीं होती, वहां सब काम निष्फल होते हैं।
मातृ देवो भवः।
हिंदी अर्थ:- अर्थात, माता देवताओं से भी बढ़कर होती है।
न कन्यायाः पिता विद्वान् ग्रह्णियात् – शुल्कम् अणु-अपि।
गृह्णन् – शुल्कं हि लोभेन स्यान् नरो अपत्यविक्रयी ।।
हिंदी अर्थ:- विद्वान् पिता, कन्यादान में कुछ भी उसके बदले में मूल्य न लेवे, यदि लोभ से कुछ ले लेता है, तो वह संतान को बेचने वाला होता हैं।
बालिका अहं बालिका नव युग जनिता अहं बालिका ।
नाहमबला दुर्बला आदिशक्ति अहमम्बिका ।।
हिंदी अर्थ:- में एक आधुनिक युग की स्त्री हूँ, में शक्तिहीन नहीं हूँ| में आदिशक्ति हूँ, में अम्बिका हूँ
पितृभिर् भ्रातृभिश् च-एताः पतिभिर् देवरैस् तथा।
पूज्या भूषयितव्याश् च बहुकल्याणम् ईप्सुभिः।।
हिंदी अर्थ:- पिता, भाई, पति और देवर को स्त्रियों का सत्कार और आभूषण आदि से उनको भूषित करना चाहिए। इससे बड़ा शुभ फल होता है।
अथ शिक्षा प्रवक्ष्यामः
मातृमान् पितृमानाचार्यवान पुरूषो वेदः।
हिंदी अर्थ:- जब तीन उत्तम शिक्षक अर्थात एक माता, दूसरा पिता और तीसरा आचार्य हो तो तभी मनुष्य ज्ञानवान होगा।
अतुलं तत्र तत्तेजः सर्वदेवशरीरजम्।
एकस्थं तदभून्नारी व्याप्तलोकत्रयं त्विषा॥
हिंदी अर्थ:- सभी देवताओं से उत्पन्न हुआ और तीनों लोकों में व्याप्त वह अतुल्य तेज जब एकत्रित हुआ तब वह नारी बना।
राष्ट्रस्य श्व: नारी अस्ति
हिंदी अर्थ:- नारी की कल है
‘प्रशस्ता धार्मिकी विदषी माता विद्यते यस्य स मातमान।
हिंदी अर्थ:- अर्थात, धन्य वह माता है जो गर्भावान से लेकर, जब तक पूरी विद्या न हो, तब तक सुशीलता का उपदेश करे।
शोचन्ति जामयोयत्र विनश्यत्याशु तत् कुलम्।
न शोचन्ति तु यत्रैता वर्धते तद्धि सर्वदा।।
हिंदी अर्थ:- जिस कुल में स्त्रियां शोक में रहती है, वह कुल शीघ्र ही बिगड़ जाता है, और जहां प्रसन्न रहती है, वह सदा के लिए बढ़ता जाता है।
नारी राष्ट्रस्य अक्शि अस्ति
हिंदी अर्थ:- स्त्री ही इस देश की आँख है
जामयो यानि गेहानी शपन्त्यप्रतिपूजिताः।
तानि कृत्याहतानीव विनश्यन्ति समन्ततः।।
हिंदी अर्थ:- जिस कुल में स्त्रियों का सत्कार नहीं है, वह उनके श्राप से नष्ट हो जाता है, जैसे मारण करने से हो जाता है।
नारी माता अस्ति नारी कन्या अस्ति नारी भगिनी अस्ति
हिंदी अर्थ:- नारी ही, माँ है, बेटी है और बहन है| नारी ही सबकुछ है|
तस्मादेताः सदा पूज्या भूषण – आच्छादन – अशनैः।
भूति – कामैर् नरैर् नित्यं सत्करेषु – उत्सवेषु च।
हिंदी अर्थ:- स्त्रियों को सत्कार के मौक़े पर और उत्सवों पर सदा गहना, वस्त्र और स्वादिष्ट भोजन से संतुष्ट करना चाहिए।
नारी अस्य समाजस्य कुशलवास्तुकारा अस्ति
हिंदी अर्थ:- नारी ही इस समाज की वास्तु शास्त्री है
नास्ति स्त्री समा छाया नास्ति स्त्री समा गति: नास्ति स्त्री समा त्राणम्
हिंदी अर्थ:- नारी की छाया है, नारी ही आश्रय है|
नास्ति मातृसमा छाया, नास्ति मातृसमा गतिः।
नास्ति मातृसमंत्राण, नास्ति मातृसमा प्रिया।।
हिंदी अर्थ:- अर्थात, माता के समान कोई छाया नहीं है, माता के समान कोई सहारा नहीं है। माता के समान कोई रक्षक नहीं है और माता के समान कोई प्रिय चीज नहीं है।
न स्त्रीरत्नसमं रत्नम्।
हिंदी अर्थ:- स्त्रीरत्न के समान और कोई रत्न नहीं है।
यस्य माता गृहे नास्ति, तस्य माता हरितकी।
हिंदी अर्थ:- अर्थात, हरीतकी (हरड़) मनुष्यों की माता के समान हित करने वाली होती है।
जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गात् अपि गरीयसी
हिंदी अर्थ:- माँ और देश, स्वर्ग से भी बड़े हैं|
नास्ति मातृसमा छाया, नास्ति मातृसमा गतिः।
नास्ति मातृसमं त्राण, नास्ति मातृसमा प्रिया।।
हिंदी अर्थ:- माता के समान कोई छाया नहीं, कोई आश्रय नहीं, कोई सुरक्षा नहीं। माता के समान इस दुनिया में कोई जीवनदाता नहीं॥
माता गुरुतरा भूमेरू।
हिंदी अर्थ:- अर्थात, माता इस भूमि से कहीं अधिक भारी होती हैं।
यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता:
हिंदी अर्थ:- जहाँ नारी की पूजा की जाती है वहीँ देवता निवास करते हैं|
नारीशक्ति शक्तिशाली समाजस्य निर्माणं करोति .
हिंदी अर्थ:- शक्तिशाली नारी ही एक शक्तिशाली समाज का निर्माण करती करती है|
रजतिम ओ गुरु तिय मित्रतियाहू जान।
निज माता और सासु ये, पाँचों मातृ समान।।
हिंदी अर्थ:- अर्थात, जिस प्रकार संसार में पाँच प्रकार के पिता होते हैं, उसी प्रकार पाँच प्रकार की माँ होती हैं। जैसे, राजा की पत्नी, गुरु की पत्नी, मित्र की पत्नी, अपनी स्त्री की माता और अपनी मूल जननी माता।
पुत्री के बारे में संस्कृत में श्लोकों का अभाव है।
पुत्री पर संस्कृत श्लोक :- https://www.viralfactsindia.com/kanya-par-sanskrit-shlok-hindi-arth-sahit/
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