Category Sanskrit shlokas

Sanskrit Shlokas भारतीय संस्कृति की नींव है, हजारों साल पहले लिखे गए वेदों और scriputres में संस्कृत में मानव के जीवन जीने की कला के सूत्र लिखे गए हैं|

इन दिए गए Sanskrit Shlokas में yoga, life Management, politics, राजनीती और अर्थशास्त्र (Economy) से सम्बंधित सूत्र (संस्कृत मंत्र) दिए गए है|

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इस केटेगरी में हम यहाँ सारे देवताओं के मंत्र जैसे ganesh, shiv, radha krishna, vishnu, durga mantra, kaal bherav देवताओं के मंत्र का कलेक्शन देने की कोशिश की है|

यहाँ हमने चार वेदों और पुराणों, भगवद गीता, रामायण से मानव के जीवन को सामाजिक, आर्थिक, राजनितिक रूप से कुशल बनाने के लिए महत्वपूर्ण सूत्र दिए गए हैं, जिन्हें मनुष्य स्वस्थ और सफल जीवन जी सकता है| यह सूत्र एक अच्छा और प्रभावशाली बनने मैं भी आपको मदद करेंगे|

धन पर संस्कृत श्लोक अर्थ सहित | Sanskrit Shlokas on Wealth with meaning in Hindi

धन पर संस्कृत श्लोक अर्थ सहित | Sanskrit Shlokas on Wealth with meaning in Hindi | सम्पति पर संस्कृत श्लोक हिंदी अर्थ सहित दोस्तो, हमारे धर्म ग्रन्थ ज्ञान का भंडार है| हिन्दू सभ्यता इतनी पुरानी है की इसने जीवन के…

परिवार पर संस्कृत श्लोक | Sanskrit Shlokas on family with meaning in Hindi

परिवार (गृहस्थी) पर संस्कृत श्लोक हिंदी अर्थ सहित | Sanskrit Shlokas on Family with meaning in Hindi | कुटुंब, कुनबा, खानदान, घराना पर संस्कृत श्लोक हिंदी अर्थ सहित दोस्तो, हिन्दू समाज में हमेशा से ही परिवार का महत्त्व रहा है|…

पिता पर संस्कृत श्लोक अर्थ सहित | Sanskrit Shlokas on Father with meaning in Hindi

पिता पर संस्कृत श्लोक अर्थ सहित | Sanskrit Shlokas on Father (Dad) with meaning in Hindi | बाप पर संस्कृत श्लोक हिंदी अर्थ सहित दोस्तो, पिता का स्थान माँ से भी पहले है| क्योंकि पिता ही संसार के सारे कष्ट…

भारत पर संस्कृत श्लोक हिंदी अर्थ सहित | Sanskrit Shlokas on India with meaning in Hindi

भारत पर संस्कृत श्लोक हिंदी अर्थ सहित | Sanskrit Shlokas on India with meaning in Hindi | हिंदुस्तान पर संस्कृत श्लोक हिंदी अनुवाद के साथ हिंदुस्तान पर संस्क्रत श्लोक हिंदी अर्थ सहित आइये भारत पर कुछ संस्कृत श्लोक समझे और…

विवाहित औरत मंगलसूत्र क्यों पहनती है | मंगलसूत्र का महत्त्व और इतिहास

विवाहित (शादीशुदा) औरत मंगलसूत्र क्यों पहनती है | गले में मंगलसूत्र क्यों पहना जाता है और इसका महत्त्व | Why married women wear mangalsutra and its importance in Hindi दोस्तो, आपने सुना होगा, हिन्दू सभ्यता में एक स्त्री विवाह होने…

Bhumi vandanajaruri क्यों...?

सुबह जगते ही भूमिवंदना क्यों…?

प्रात:काल बिस्तर में उतरने से पहले यानी पृथ्वी पर पैर रखने से पूर्व पृथ्वीमाता का अभिवादन करना चाहिए, क्योकि हमारे पूर्वजो ने इसका विधान बनाकर इसे धार्मिक रूप इसीलिए दिया, ताकि हम धरतीमाता के प्रति अपनी कृतज्ञता प्रकट कर सकें…

Subah Ki phli prarthana

प्रात: जगते ही हथेलियों के दर्शन क्यों…?

शास्त्रों में प्रात: काल जगते ही बिस्तर पर सबसे पहले दोनों हाथो की हथेलियों के दर्शन करने का विधान बताया गया है | दर्शन के दौरान निम्नलिखित श्लोक का उच्चारण करना चाहिए– कराग्रे वसते लक्ष्मी: करमध्ये सरस्वती | करमूले तु…

vishvkarma ki pooja kyo karte hai..?

विश्वकर्मा की पूजा क्यों…?

मशीनरी से सम्बंधित व्यवसायों में विश्वकर्मा की पूजा करने के बाद ही कार्यारंभ किया जाता है, ताकि कारखाने में कोई दुर्घटना न हो और कार्य में निरंतर सफलता मिले, यही विश्वकर्मा पूजन का रहस्य है | प्रभु ही विश्व के…

मकान की नींव में सर्प और कलश क्यों गाड़ा जाता है...?

मकान की नींव में सर्प और कलश क्यों गाड़ा जाता है…?

श्रीमदभागवद महापुराण के पांचवे स्कन्द में लिखा है कि पृथ्वी के नीचे पाताललोक है और इसके स्वामी शेषनाग है | श्री शुकदेव के मतानुसार पटल में तीस हजार योजन दूर शेषजी विराजमान है | शेषजी के सिर पर पृथ्वी रखी…

devo ki sankhya or mahatv

अनेक देवी-देवताओं की मान्यता क्यों…?

गुण, कर्म, स्वभाव में उत्कृष्ट, दिव्यस्वरूप और इच्छित फल देने की सामर्थ्य जिसके पास है, उसे देवता कहते है | कहा जाता है की हिंदूधर्म में अनगिनत देवी-देवता हैं | ब्रहदारण्यक उपनिषद के तीसरे अद्ध्याय में याज्ञवल्क्य ने कहा है…

pooja me murti ki jarurat kyon.?

मूर्तिपूजा की सार्थकता क्यों…?

मनोवैज्ञानीकों का कहना है कि आस्था एवं भावना को उभारने के लिए व्यक्ति को मूर्ति प्रतीक के लिए चाहिए | आराध्य की मूर्ति की पूजा करके मनुष्य उसके साठ मनोवैज्ञानिक संबंध स्थापित करता है | साधक जब तक मन को…

Surya ko jal dene ka mahatv

सूर्य देव को सुबह जल चढाने का महत्व क्यों…?

सूर्योपनिषद के अनुसार सूर्यरश्मियों में समस्त देव, गंधर्व और ऋषि निवास करते है | सूर्य की उपासना के बिना किसी का कल्याण संभव नहीं है, भले ही अमरत्व प्राप्त करने वाले देव क्यों न हों | स्कंदपुराण में कहा गया…