मानव सेवा (परोपकार) पर संस्कृत श्लोक हिंदी अर्थ सहित | मानवता पर संस्कृत श्लोक | Sanskrit shlokas on service of mankind with hindi meaning
अभिवादनशीलस्य नित्यं वृद्धोपसेविन:।
चत्वारि तस्य वर्धन्ते आयुर्विद्या यशोबलं।।
हिंदी अर्थ – बड़ों का अभिवादन करने वाले मनुष्य की और नित्य वृद्धों की सेवा करने वाले मनुष्य की आयु, विद्या, यश और बल ये हमेशा बढ़ती रहती है।
विद्याभ्यास स्तपो ज्ञानमिन्द्रियाणां च संयमः ।
अहिंसा गुरुसेवा च निःश्रेयसकरं परम् ।।
हिंदी अर्थ:- विद्याभ्यास, तप, ज्ञान, इंद्रिय-संयम, अहिंसा और गुरुसेवा – ये परम् कल्याणकारक हैं
सेवितव्यो महावृक्ष: फ़लच्छाया समन्वित:।
यदि देवाद फलं नास्ति,छाया केन निवार्यते।।
हिंदी अर्थ:– एक विशाल वृक्ष की सेवा करनी चाहिए। क्योंकि वह फल और छाया से युक्त होता है। यदि किसी दुर्भाग्य से फल नहीं देता तो उसकी छाया कोई नहीं रोक सकता है।
अष्टादशपुराणेषु व्यासस्य वचनद्वयम् ।।
परोपकारः पुण्याय पापाय परपीडनम्।।
हिंदी अर्थ:- अठारह पुराणों में व्यासजी के दो वचन सार के हैं-परोपकार करो-पुण्य के लिए है।। दूसरे को पीड़ा पहुँचाना पाप के लिए है।
वदन प्रसादसदनं सदयं हृदयं सुधामुचोवाचः।।
करणं परोपकरणं येषां न, ते वन्द्याः ।।
हिंदी अर्थ:- जिनका मुख प्रसन्नता का घर है, हृदय दया से युक्त है, अमृत के समान मधुर वाणी है।। जो सदा परोपकार करते हैं, वे किसके वन्दनीय नहीं होते हैं।
कुत्र विधेयो यत्नः विद्याभ्यासे सदौषधे दाने ।
अवधीरणा क्व कार्या खलपरयोषित्परधनेषु ।।
हिंदी अर्थ:- यत्र कहाँ करना? विद्याभ्यास, सदौषध और परोपकार में। अनादर कहाँ करना? दुर्जन, परायी स्त्री और परधन में