Rowlatt Act in Hindi | रोलेट एक्ट का इतिहास

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Rowlatt Act History information in Hindi reasons, Consequences | रोलेट एक्ट का इतिहास और जानकारी, कारण, परिणाम, स्वतंत्रता आन्दोलन पर प्रभाव

रोलेट एक्ट, एक ऐसा कानून जो भारत पर ब्रिटिश राज का एक काला क़ानून भी कहा जाता है| एक ऐसा कानून जो सिर्फ स्वतंत्रता आन्दोलन को निर्दयता से कुचलने के लिए ही बनाया गया था|

दोस्तो आज इस आर्टिकल में हम चर्चा करेंगे रोलेट एक्ट क्या था, किसने बनाया और  इसके बनाने के क्या कारण थे और रोलेट एक्ट के क्या परिणाम थे और भारत के स्वतंत्रता आन्दोलन को रोलेट एक्ट ने कैसे प्रभावित किया|

Rowlatt Act in Hindi, History, Complete Information

नाम रोलेट एक्ट (Rowlett Act), काला कानून (Black Act)
पूरा नाम Anarchical and Revolutionary Crimes Act of 1919
क्रांतिकारी एवं अराजकतावादी अधिनियम 1919’
किसके सुझाब पर पारित हुआ Sir Sydney Rowlett (सर सिडनी रोलेट), रोलेट समिति
क्यों पारित हुआ भारतीय उग्र स्वतंत्रता आन्दोलन को कुचलने के लिए
परिणाम जलियांवाला बाग हत्याकांड
इस कानून को ख़त्म करने की तिथि मार्च 1922

रोलेट एक्ट क्या है, इतिहास, सम्पूर्ण जानकारी

रोलेट एक्ट का पूरा नाम ‘क्रन्तिकारी एवं अराजकता अधिनियम (Anarchical and Revolutionary Crimes Act of 1919) था|

मुख्य रूप से यह कानून उग्र स्वतंत्रता आन्दोलन को निर्दयता से कुचलने के लिए बनाया गया था| यह कानून सर सिडनी रोलेट की अध्यक्षता में बनी समिति के सुझावों को आधार मानकर मार्च 1919 में भारतीय ब्रिटिश सरकार ने पारित किया था|

कई जगह इस कानून को पारित करने की तिथि 10 मार्च दी गई है, लेकिन यह अधिनियम कानून के रूप में 18 मार्च 1919 को सामने आया|

इस कानून के माध्यम से अंग्रेजों ने बड़ी निर्दयता से भारत के स्वतंत्रता आन्दोलन को कुचलने का प्रयास तो किया, लेकिन पूरी तरह से विफल रहे|

इस कानून के द्वारा अपनाई गई दमनकारी नीतियों से आन्दोलन और उग्र हो गया| अंततः मार्च 1922 को भारी विरोध और इसके घातक परिणामों के देखते हुए इस कानून को समाप्त कर दिया गया|

दोस्तो सबसे पहले चर्चा करते हैं, रोलेट एक्ट की प्रष्ठभूमि क्या था| ऐसी क्या परिस्थिति बनी जिनको आधार मानकर अंग्रेजी सरकार यह कानून ले के आई|

रोलेट एक्ट की प्रष्ठभूमि

दोस्तो, 1914 में प्रथम विश्वयुद्ध प्रारंभ हुआ, इस युद्ध में ब्रिटेन एक प्रमुख भूमिका में था| यह युद्ध 1918 तक चला| इस समय भारत के स्वतंत्रता आन्दोलनकारियों ने उग्र रूप धारण कर लिया था|

आन्दोलनकारियों का विचार था, अभी अंग्रेज प्रथम विश्व युद्ध में व्यस्त हैं और उग्र आन्दोलन के माध्यम से अंग्रेजों को आतंरिक रूप से और कमजोर किया जा सकता है और आजादी का रास्ता आसान हो जाएगा

प्रथम विश्व युद्ध में धन की किल्लत से उबरने के लिए अंग्रेज सरकार ने व्यापारियों और किसानों पर अतिरिक्त कर (टैक्स) लगा दिए थे| इससे भी राष्ट्रव्यापी असंतोष पूरे भारत में था| और आन्दोलनकारियों को मानसिक और आर्थिक मदद भी मुहैया हो रही थी|

तीसरा कारण, 1918 तक भारत रक्षा अधिनियम (Defence of India Act 1915) उग्र स्वतंत्रता आन्दोलन को नियंत्रित करने के लिया प्रयाप्त नहीं था| अंग्रेज सरकार इस कानून को और मजबूत करना चाहती थी|

रोलेट एक्ट समिति (Rowlatt Act Comitte)

भारत में बढ़ते उग्र स्वतंत्रता आन्दोलन को की समीक्षा और इसे कैसे नियंत्रित किया जाए इसके लिए लार्ड चेम्सफोर्ड की सिफारिश पर इंग्लॅण्ड के हाई कोर्ट के जज सर सिडनी आर्थर टेलर रोलेट की अध्यक्षता में 1917 में एक समिति का गठन किया गया और इसका नाम रखा गया रोलेट समिति|

इस कमिटी ने कई महीनों तक भारत में हो रही स्वतंत्रता आन्दोलन की गतिविधियों पर समीक्षा की और अपनी रिपोर्ट 1918 के मध्य तक पेश कर दी|

रोलेट एक्ट (Rowlatt Act) समिति की समीक्षा

रोलेट एक्ट की समिति की रिपोर्ट के मुताबिक वर्तमान में भारतीय सुरक्षा अधिनियम 2015 उग्र स्वतंत्रता आन्दोलन को नियंत्रित करने के लिए प्रयाप्त नहीं है|

इस कानून में बदलाव करके या इस कानून को ख़त्म करके एक नया कठोर कानून ले के आना होगा| छोटे छोटे आंदोलनों को बड़ा और खतरनाक विध्वंसकारी आन्दोलन बता कर कुछ इस तरह के कानून को इस समिति ने वकालात की|

रोलेट एक्ट की सिफारिश

  • इस कानून के अतंर्गत किसी को भी जिस पर प्रसाशन को शक है केवल शक के आधार पर ही उस पर मुक़दमा चलाया जा सकता है, और जेल भेजा जा सकता है|
  • इस तरह के केस की सुनवाई के लिए एक अलग 3 हाई कोर्ट के जजों की बेंच बनाई गई| इन तीनों जजों का निर्णय ही सर्वमान्य था| इस नाइके निर्णय को किसी तो अदालत में चैलेंज नहीं किया जा सकता था|
  • गैरकानूनी सामग्री का प्रकाशन व वितरण करना या करने के लिए अपने पास रखना, अपराध होगा|

रोलेट एक्ट कैसे पारित हुआ

फरवरी 1919 में रोलेट समिति के सुझाव पर दो बिल भारत की संसद में पेश किये गए| पहला बिल तो भरी विरोध के बाद निरस्त हो गया लेकिन दूसरा बिल पास कर दिया गया|

यही बिल रोलेट एक्ट और काला कानून के नाम से जाना गया|

किन किन लोगों ने किया इन कानून का विरोध

महात्मा गाँधी ने इस कानून का भरसक विरोध किया और अंग्रेजों को शेतान लोगों  की संज्ञा दी|

पं.मालवीय, श्रीयुत विट्ठल भाई पटेल, मजरुल हक आदि लोक नेताओं ने सरकार को समझाने का बहुत प्रयत्न किया पर सरकार ने उनकी एक न मानी

पंडित मोतीलाल नेहरू के कहा, “इस अधिनियम ने अपील, वकील और दलील की व्यवस्था का अंत कर दिया” इसलिए भारतीयों के लिए यह एक काला क़ानून ( Kala Kanoon ) की तरह है|

रोलेट एक्ट और महात्मा गाँधी

दिल्ली में इस आन्दोलन की बागडोर स्वामी श्रधानान्दजी को दी गई| लाहौर पंजाब और कई बड़े शहरों में भी आन्दोलन तेज हो गए|

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4 अप्रैल 1919 को एक विरोध प्रदर्शन किया गया जिसे ब्लैक संडे का नाम दिया गया

दिल्ली और पंजाब पर आन्दोलनकारियों पर गोलियां चलाई गई, जिससे आन्दोलन हिंसक हो गया|

8 अप्रैल 1919 को महात्मा गाँधी जी को पलवल में गिरफ्तार कर लिया गया और मुंबई ले जाकर रिहा कर दिया गया| मुंबई से गांधीजी अहमदाबाद चले गए|

आन्दोलन को हिंसक होते देख गांधीजी ने आन्दोलन को वापस लेने का फेसला ले लिया|

रोलेट एक्ट और जलिंवाला बाग हत्याकांड

जलियांवाला बाग हत्याकांड का सीधा सम्बन्ध रोलेट एक्ट से था| इस कानून के विरोध में देशव्यापी आन्दोलन हो रहे थे पंजाब इन आन्दोलन का मुख्य केंद्र था|

यहाँ की प्रांतीय सरकार ने स्थानीय नेता डॉ सेफुद्दीन किचलू और डॉ सत्यपाल को गिरफ्तार कर लिया था| जिससे पंजाब में बहुत रोष था|

यह समय पंजाब में वैशाखी त्यौहार का भी था| बैसाखी मेले में शामिल होने के लिए आस पास के गाँव से ग्रामीण अमृतसर आ हुए थे|

इसी समय अमृतसर के जलियांवाला बाग में दोनों नेताओं की गिरफ्तारी के विरोध में एक सभा बुलाई गई, इस सभा का मकसद केवल शांतिपूर्ण रूप से विरोध करना|

इस समय पंजाब का लेफ्टिनेंट गवर्नर माइकल ओ डायर था| रोलेट एक्ट के तहत इसने शांतिपूर्ण रूप से एकत्रित हुई भीड़ पर गोलियां चलवा दी|

जिसमें करीब 1000 लोगों की मौत हो गई और हज़ारों लोग घायल हो गए| सरकारी आकडे केवल 379 लोगों के मारे जाने की पुष्टि करते हैं|

इस घटना के बाद पंजाब में मार्शल कानून लगा दिया गया|

रोलेट एक्ट (Rowlatt Act) इस दिन किया गया ख़त्म

इतने अत्याचारों और भारत के लोगों के विरोध को देखते हुए मार्च 1922 को 22 अन्य कानूनों के साथ रोलेट एक्ट को समाप्त कर दिया गया|

आशा करते हैं आपको रोलेट एक्ट (Rowlatt Act history information in hindi) की जानकारी और इतिहास से आपका अवश्य ज्ञान वर्धन हुआ होगा| इस जानकारी पर आप शत प्रतिशत विश्वाश कर सकते हैं, viralfactsindia की टीम ने पूरी विश्वसनीयता और तथ्यों के आधार पर ही यह आर्टिकल लिखा है|

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Anurag Pathak
Anurag Pathak

इनका नाम अनुराग पाठक है| इन्होने बीकॉम और फाइनेंस में एमबीए किया हुआ है| वर्तमान में शिक्षक के रूप में कार्यरत हैं| अपने मूल विषय के अलावा धर्म, राजनीती, इतिहास और अन्य विषयों में रूचि है| इसी तरह के विषयों पर लिखने के लिए viralfactsindia.com की शुरुआत की और यह प्रयास लगातार जारी है और हिंदी पाठकों के लिए सटीक और विस्तृत जानकारी उपलब्ध कराते रहेंगे

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