राजा पर संस्कृत श्लोक हिंदी अर्थ सहित | Sanskrit Shlokas on King with Hindi meaning

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राजा पर संस्कृत श्लोक हिंदी अर्थ सहित | Sanskrit Shlokas on King with Hindi meaning

न चोरहार्य न राजहार्य न भ्रतृभाज्यं न च भारकारि।
व्यये कृते वर्धति एव नित्यं विद्याधनं सर्वधनप्रधानम्।।

हिंदी अर्थ: एक ऐसा धन जिसे न चोर चुराकर ले जा सकता है, न ही राजा छीन सकता है, जिसका न भाइयों में बंटवार हो सकता है, जिसे न संभालना मुश्किल व भारी होता है और जो अधिक खर्च करने पर बढ़ता है, वो विद्या है। विद्या सभी धनों में से सर्वश्रेष्ठ धन है।

काचे मणिः मणौ काचो येषां बिध्दिः प्रवर्तते ।
न तेषां संनिधौ भृत्यो नाममात्रोऽपि तिष्ठति ॥

हिंदी अर्थ:- कांच को मणि और मणि को कांच समझने वाले राजा के पास नौकर तक भी नहीं टिकते।

धूर्तः स्त्री वा शिशु र्यस्य मन्त्रिणः स्युर्महीपतेः ।
अनीति पवनक्षिप्तः कार्यान्धौ स निमज्जति ॥

हिंदी अर्थ:- जिस राजा के सचिव की स्त्री या पुत्र धूर्त हो, उसकी कार्यरुप नौका अनीति के पवन से डूब जाती है ऐसा समझिये।

विद्वत्वं च नृपत्वं च नैव तुल्यं कदाचन !
स्वदेशे पूज्यते राजा विद्वान् सर्वत्र पूज्यते !!

हिंदी अर्थ:- एक विद्वान और राजा की कभी कोई तुलना नहीं की जा सकती क्योंकि राजा तो केवल अपने राज्य में सम्मान पाता है वही एक विद्वान हर जगह सम्मान पाता है|

आत्मनश्च परेषां च यः समीक्ष्य बलाबलम् ।
अन्तरं नैव जानाति स तिरस्क्रियतेडरिभिः ॥

हिंदी अर्थ:- खुदके और दूसरे के बल का विचार करके जो योग्य अंतर नहीं रखता वह (राजा) शत्रु के तिरस्कार का पात्र बनता है।

अनागतविधाता च प्रत्युत्पन्नमतिश्च यः ।
द्वावेव सुखमेधेते दीर्घसूत्री विनश्यति ॥

हिंदी अर्थ:- न आये हए संकट की आगे से तैयारी रखने वाला और प्रसंगावधानी ये दो (प्रकार के राजा) ही सुखी होते हैं । विलंब से काम करने वाले का नाश होता है।

मूर्खे नियोज्यमाने तु त्रयो दोषाः महीपतेः ।
अयशश्चार्थनाशश्च नरके गमनं तथा ॥

हिंदी अर्थ:- मूर्ख मानव की नियुक्ति करने वाले राजा के तीन दोष अपयश, द्र्व्यनाश और नरकप्राप्ति हैं।

व्रजन्ति ते मूठधियः पराभवम् ।
भवन्ति मायाविषु ये न मायिनः ॥

हिंदी अर्थ:- जो राजा कपटी इन्सान के साथ कपटी वर्तन नहीं करता वह मूर्ख राजा का प्रभाव होता है।

प्रजासुखे सुखं राज्ञः प्रजानां च हिते हितम् ।
नात्मप्रियं हितं राज्ञः प्रजानां तु प्रियं हितम् ।।

हिंदी अर्थ:- प्रजा के सुख में राजा का सुख निहित है; अर्थात् जब प्रजा सुखी अनुभव करे तभी राजा को संतोष करना चाहिए । प्रजा का हित ही राजा का वास्तविक हित है । वैयक्तिक स्तर पर राजा को जो अच्छा लगे उसमें उसे अपना हित न देखना चाहिए, बल्कि प्रजा को जो ठीक लगे, यानी जिसके हितकर होने का प्रजा अनुमोदन करे, उसे ही राजा अपना हित समझे ।

तस्मान्नित्योत्थितो राजा कुर्यादर्थानुशासनम् ।
अर्थस्य मूलमुत्थानमनर्थस्य विपर्ययः ।।

हिंदी अर्थ:- अतः उक्त बातों के मद्देनजर राजा को चाहिए कि वह प्रतिदिन उन्नतिशील-उद्यमशील होकर शासन-प्रशासन एवं व्यवहार के दैनिक कार्यव्यापार संपन्न करे । अर्थ यानी संपदा-संपन्नता के मूल में उद्योग में संलग्नता ही है, इसके विपरीत लापरवाही, आलस्य, श्रम का अभाव आदि अनर्थ (संपन्नता के अभाव या हानि) के कारण बनते हैं ।

दुष्टस्य दण्डः स्वजनस्य पूजा न्यायेन कोशस्य हि वर्धनं च ।
अपक्षपातः निजराष्ट्ररक्षा पञ्चैव धर्माः कथिताः नृपाणाम् ॥

हिंदी अर्थ:- दुष्ट को दंड देना, स्वजनों की पूजा करना, न्याय से कोश बढाना, पक्षपात न करना, और राष्ट्र की रक्षा करना – ये राजा के पाँच कर्तव्य है।

अनुत्थाने ध्रुवो नाशः प्राप्तस्यानागतस्य च ।
प्राप्यते फलमुत्थानाल्लभते चार्थसम्पदम् ।।

हिंदी अर्थ:- यदि राजा उद्योगरत तथा विकास-कार्यों के प्रति सचेत न हो तब जो धनसंपदा-पूंजी उसके पास पहले से मौजूद हो और जो कुछ भविष्य के गर्त में मिल सकने वाला हो (अनागत), उन दोनों, का नाश अवश्यंभावी है । सतत प्रयास, श्रम, उद्यम में संलग्न रहने पर ही सुखद फल और वांछित संपदा-संपन्नता प्राप्त होते हैं ।

प्राज्ञे नियोज्यमाने तु सन्ति राज्ञः त्रयोगुणः ।
यशः स्वर्गनिवासश्च विपुलश्च धनागमः ॥

हिंदी अर्थ:- बुद्धिमान लोगों की नियुक्ति करने वाले राजा को तीन चीज़ों की प्राप्ति होती है – यश, स्वर्ग और बहुत धन।

स्वगृहे पूज्यते मूर्खः स्वग्रामे पूज्यते प्रभुः।
स्वदेशे पूज्यते राजा विद्वान्सर्वत्र पूज्यते।।

हिंदी अर्थ:- एक मुर्ख की पूजा उसके घर में होती है, एक मुखिया की पूजा उसके गाँव में होती है, राजा की पूजा उसके राज्य में होती है और एक विद्वान की पूजा सभी जगह पर होती है।

उत्सवे व्यसने चैव दुर्भिक्षे राष्ट्रविप्लवे।
राजद्वारे श्मशाने च यतिष्ठति स वान्धवः ।।

हिंदी अर्थ:- सच्चा दोस्त वही होता है जो अच्छे समय, बुरे समय, सूखा, दंगा, युद्ध, राजा के दरबार में और मृत्यु के बाद भी साथ खड़ा हो ।

धनिकः श्रोत्रियो राज नदी वैद्यस्तु पच्चमः।
पच्च यत्रनविद्यन्ते तत्र वासं न कारयेत्।।

हिंदी अर्थ:- ऐसा स्थान जहाँ पर विद्वान, राजा, नदी, धनवान व्यक्ति और वैद्य, यह पाँच प्रकार के व्यक्ति नहीं हो, वह पर निवास नहीं करना चाहिए।

रामो विग्रहवान् धर्मस्साधुस्सत्यपराक्रमः।
राजा सर्वस्य लोकस्य देवानां मघवानिव।।

हिंदी अर्थ:- भगवान श्रीराम धर्म के मूर्त स्वरूप हैं, वे बड़े साधु व सत्यपराक्रमी हैं। जिस प्रकार इंद्र देवताओं के नायक है, उसी प्रकार भगवान श्रीराम हम सबके नायक है।

न भ्रातृभाज्यं न च भारकारी ।
व्यये कृते वर्धते एव नित्यं विद्याधनं सर्वधन प्रधानम् ॥

हिंदी अर्थ:- विद्यारुपी धन को कोई चुरा नहीं सकता, राजा ले नहीं सकता, भाईयों के बीच उसका बंटवारा नहीं होता, न उसका कोई वजन होता है और यह विद्यारुपी धन खर्च करने से बढ़ता है. सचमुच, विद्यारुपी धन सर्वश्रेष्ठ है.

विद्या नाम नरस्य रूपमधिकं प्रच्छन्नगुप्तं धनम्
विद्या भोगकरी यशः सुखकरी विद्या गुरूणां गुरुः ।
विद्या बन्धुजनो विदेशगमने विद्या परं दैवतम्
विद्या राजसु पूज्यते न हि धनं विद्याविहीनः पशुः ॥

हिंदी अर्थ:- विद्या इन्सान का विशिष्ट रुप है, विद्या गुप्त धन है. वह भोग देनेवाली, यशदेने वाली, और सुखकारी है. विद्या गुरुओं की गुरु है, विदेश में विद्या बंधु है. विद्या बड़ी देवता है; राजाओं में विद्या की पूजा होती है, धन की नहीं. विद्याविहीन व्यक्ति पशु हीं है.

धूर्तः स्त्री वा शिशु र्यस्य मन्त्रिणः स्यु र्महीपतेः ।
अनीति पवनक्षिप्तः कार्याब्धौ स निमज्जति ॥

हिंदी अर्थ:- जिस राजाके सचिव की स्त्री या पुत्र धूर्त हो, उसकी कार्यरुप नौका अनीतिके पवन से डूब जाती है एसा समज ।

माता यदि विषं दधात् विक्रीणाति पिता सुतम् ।
राजा हरति सर्वस्यं तत्र का परिवेदना ॥

हिंदी अर्थ:- यदि माँ (स्वयं) ज़हर दे, पिता बालक को बेचे, और राजा (खुद) सर्वस्व हरण कर ले, तो दुःख किसे कहना ?

लोकरझ्जनमेवात्र राज्ञां धर्मः सनातनः ।

हिंदी अर्थ:- प्रजा को सुखी रखना यही राजा का सनातन धर्म है ।

राजा कालस्य कारणम् ।

हिंदी अर्थ:- राजा काल का कारण है ।

नाभिषेको न संस्कारः सिंहस्य क्रियते वने।
विक्रमार्जितसत्त्वस्य स्वयमेव मृगेंद्रता।।

हिंदी अर्थ:- शेर को जंगल का राजा नियुक्त करने के लिए न तो कोई राज्याभिषेक किया जाता है, न कोई संस्कार । अपने गुण और पराक्रम से वह खुद ही मृगेंद्रपद प्राप्त करता है। यानि शेर अपनी विशेषताओं और वीरता
(‘पराक्रम’) से जंगल का राजा बन जाता है।

संयोजयति विद्यैव नीचगापि नरं सरित् ।
समुद्रमिव दुर्धर्षं नृपं भाग्यमतः परम् ॥

हिंदी अर्थ : प्रवाह में बहेनेवाली नदी नाव में बैठे हुए इन्सान को न पहुँच पानेवाले समंदर तक पहुँचाती है, वैसे हि निम्न जाति में गयी हुई विद्या भी, उस इन्सान को राजा का समागम करा देती है; और राजा का समागम होने के
बाद उसका भाग्य खील उठता है।

यः स्वभावो हि यस्यास्ति स नित्यं दुरतिक्रमः ।
श्वा यदि क्रियते राजा स किं नाश्नात्युपानहम् ॥

हिंदी अर्थ:- जिसका जैसा स्वाभाव होता है उसे बदला नहीं जा सकता, क्या किसी कुत्ते को राजा बना दिया जाए तो क्या वह जूता नहीं खाएगा|

काके शौचं द्यूतकरे च सत्यम्सर्पि क्षान्तिः स्त्रीषु कामोपशान्तिः ।
क्लीबे धैर्यं मद्यपे तत्त्वचिन्ता राजा मित्रं केन दृष्टं श्रुतं वा ॥

हिंदी अर्थ:- कौए में पवित्रता नहीं होती, जुआरी में सत्य नहीं, सांप में क्षमा नहीं, कायर में धेर्य, शराबी में अध्यात्म, स्त्री में काम शांति और राजा में मित्रता का भाव नहीं होता|

कलहान्तानि हम्र्याणि कुवाक्यानां च सौहृदम् |
कुराजान्तानि राष्ट्राणि कुकर्मांन्तम् यशो नॄणाम् ||

हिंदी अर्थ:- झगडों से परिवार टूट जाते है | गलत शब्द के प्रयोग करने से दोस्ती टूट जाती है । बुरे शासकों के कारण राष्ट्र का नाश होता है| बुरे काम करने से यश दूर भागता है।

कालो वा कारणं राज्ञो राजा वा कालकारणम् इति ते संशयो मा भूत् राजा कालस्य कारणं

हिंदी अर्थ:- काल राजा का कारण है कि राजा काल काÆ इसमे थोडीभी दुविधा नही कि राजाही काल का कारण है

यमो वैवस्वतो राजा यस्तवैष )दि स्थित: ।
तेन चेदविवादस्ते मा गंगा मा कुरून् व्राज ॥

हिंदी अर्थ:- यदि विवस्वत के पुत्र भगवान यम आपाके मन म्ंो बसते है तथा उनसे आपका मत भेद नही है तो आपको अपने पाप धोने परम पवित्र गंगा नदी के तट पर या कुरूओंके भूमी को जाने की कोइ आवश्यकता नही है ।

वयमिह परितुष्टा वल्कलैस्त्वं दुकूलै: सम इह परितोषो निर्विशेषो विशेष: ।
स तु भवति दरिद्रो यस्य तॄष्णा विशाला मनसि च परितुष्टे कोऽर्थवान को दरिद्र: ॥

हिंदी अर्थ:- एक योगी राजा से कहता है , œ हम यहाँ है ह्म आश्रममे ) वल्कलवस्त्रसे भी सन्तुष्ट , जब कि तुमने अपने रेशीमवस्त्र पहने है । हम उतने ही सन्तुष्ट है , कोर्इ भेद नही है । जिसकी पिपासा अधिक , वही दरिद्री है ।
जब की मन में सन्तुष्टता है , दरिद्री कौन और धनवान कौन ?

अहं च त्वं च राजेन्द्र लोकनाथौ उभावपि ।
बहुव्रीहिरहं राजन् षष्ठीतत्पुरूषो भवान ॥

हिंदी अर्थ:- एक भिखारी राजा से कहता है, “हे राजन्, , मै और आप दोनों लोकनाथ है । ह्मबस फर्क इतना है कि) मै बहुव्रीही समास हंूँ तो आप षष्ठी तत्पुरूष हो !”

नरपतिहितकर्ता द्वेष्यतां याति लोके जनपदहितकर्ता त्यज्यते पार्थिवेन|
इति महति विरोधे विद्यमाने समाने नॄपतिजनपदानां दुर्लभ: कार्यकर्ता||

हिंदी अर्थ:- राजाका कल्याण करनेवालेका लोग द्वेश करते है। लोगोंका कल्याण करनेवालेको राजा त्याग देता है। इस तरह दोनो ओर से बडा विरोध होते हुए भी राजा और प्रजा दोनोका कल्याण करनेवाला मनुष्य दुर्लभ होता है।

संयोजयति विद्यैव नीचगापि नरं सरित् ।
समुद्रमिव दुर्धर्षं नृपं भाग्यमतः परम् ॥

हिंदी अर्थ:- जैसे नीचे प्रवाह में बहेनेवाली नदी, नाव में बैठे हुए इन्सान को न पहुँच पानेवाले समंदर तक पहुँचाती है, वैसे हि निम्न जाति में गयी हुई विद्या भी, उस इन्सान को राजा का समागम करा देती है; और
राजा का समागम होने के बाद उसका भाग्य खील उठता है ।

येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबलः।
तेन त्वाम् अभिबनामि रक्षे मा चल मा चल॥

हिंदी अर्थ:- दानवों के महाबली राजा बलि जिससे बांधे गए थे, उसी तरह से यह रक्षा सूत्र तुम्हें बांधती हुं। रक्षा तुम स्थिर रहना, स्थिर रहना।

नाभिषेको न संस्कारः सिंहस्य क्रियते वने।
विक्रमार्जितसत्वस्य स्वयमेव मृगेन्द्रता॥

हिंदी अर्थ:- सिंह को जंगल का राजा नियुक्त करने के लिए न तो कोई अभिषेक किया जाता है, न कोई संस्कार। अपने गुण और पराक्रम से वह खुद ही मृगेंद्रपद प्राप्त करता है।

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Anurag Pathak

इनका नाम अनुराग पाठक है| इन्होने बीकॉम और फाइनेंस में एमबीए किया हुआ है| वर्तमान में शिक्षक के रूप में कार्यरत हैं| अपने मूल विषय के अलावा धर्म, राजनीती, इतिहास और अन्य विषयों में रूचि है| इसी तरह के विषयों पर लिखने के लिए viralfactsindia.com की शुरुआत की और यह प्रयास लगातार जारी है और हिंदी पाठकों के लिए सटीक और विस्तृत जानकारी उपलब्ध कराते रहेंगे

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