प्रकृति (पर्यावरण) पर संस्कृत श्लोक हिंदी अर्थ सहित | Sanskrit Shlokas on Nature with Hindi meaning
भूमिरापोऽनलो वायुः खं मनो बुद्धिरेव च।
अहङ्कार इतीयं मे भिन्ना प्रकृतिरष्टधा।।7.4।।
हिंदी अर्थ:- पृथ्वी, जल, तेज, वायु, आकाश — ये पञ्चमहाभूत और मन, बुद्धि तथा अहंकार — यह आठ प्रकारके भेदोंवाली मेरी ‘अपरा’ प्रकृति है। हे महाबाहो ! इस अपरा प्रकृतिसे भिन्न जीवरूप बनी हुई मेरी ‘परा’ प्रकृतिको जान, जिसके द्वारा यह जगत् धारण किया जाता है।
पर्यावरणनाशेन नश्यन्ति सर्वजन्तव: ।
पवन: दुष्टतां याति प्रकृतिविकृतायते ।।
हिंदी अर्थ:- हमारे पर्यावरण के प्रदूषण (विनाश) के कारण सभी प्राणी नष्ट हो जाते हैं, हवाएं ख़राब हो जाती हैं और प्रकृति शत्रुतापूर्ण हो जाती है।
भुक्त्वा यान्ति च पञ्चत्वं, दुष्प्लास्टिकमजैविकम् । |
पशवोऽनुर्वरा भूमिर्जायते ज्वालिते विषम् ।।
हिंदी अर्थ:- अर्थात इस अजैविक(Inorganic) प्लास्टिक को खाकर मर जाते हैं, यह धरती इससे बंजर हो जाती है और इसे जलाने पर विष(ज़हर) ही उत्पन्न होता है।
संरक्षेत् दूषितो न स्याल्लोकः मानवजीवनम् ।
न कोऽपि कस्यचिद् नाशं, कुर्यादर्थस्य सिद्धये ।।
हिंदी अर्थ:- अर्थात्| संसार प्रदूषित न हो। मानव जीवन सुरक्षित रहे। धन की सिद्धि के लिए (धन प्राप्ति के लिए) कोई भी किसी का(प्रकृति का) नुकसान न करे।