पिता पर संस्कृत श्लोक अर्थ सहित | Sanskrit Shlokas on Father (Dad) with meaning in Hindi | बाप पर संस्कृत श्लोक हिंदी अर्थ सहित
दोस्तो, पिता का स्थान माँ से भी पहले है| क्योंकि पिता ही संसार के सारे कष्ट सहकर पुरे अ]परिवार का पालन करता है|
हमारे हिन्दू धर्म ग्रंथों में पिता की महिमा का बहुत श्रधा पूर्वक गुणगान किया गया है|
पिता पर संस्कृत श्लोक हिंदी अर्थ सहित
आइये शास्त्रों के संस्कृत श्लोक जानते हैं जिनमे पिता का गुणगान किया गया है|
पिता धर्मः पिता स्वर्गः पिता हि परमं तपः।
पितरि प्रीतिमापन्ने प्रीयन्ते सर्वदेवताः॥
हिंदी अर्थ:- पिता ही धर्म है, पिता ही स्वर्ग है और पिता ही सबसे श्रेष्ठ तपस्या है। पिता के प्रसन्न हो जाने पर सारे देवता प्रसन्न हो जाते हैं।
जनिता चोपनेता च यस्तु विद्यां प्रयच्छति
अन्नदाता भयत्राता पञ्चैते पितरः स्मृताः
हिंदी अर्थ:- वह जो हमें जन्म देते हैं, वह जो हमें ज्ञान का मार्ग दिखातें हैं, विधा प्रदान करतें हैं, वह जो अन्नदाता हैं, भय से रक्षा करते हैं यह पाँचों गुण पिता के हैं अर्थात एक बालक के लिए एक पिता ही है जो जीवन में सब कुछ प्रदान करता है व उसे अच्छा जीवन देता है।
सर्वतीर्थमयी माता सर्वदेवमयः पिता
मातरं पितरं तस्मात् सर्वयत्नेन पूजयेत्
हिंदी अर्थ:- मनुष्य के लिये उसकी माता सभी तीर्थों के समान है तथा पिता सभी देवताओं के समान पूजनीय होते हैं अतः उसका यह परम् कर्तव्य है कि वह् उनका यत्नपूर्वक आदर और सेवा करे।
पितृन्नमस्ये निवसन्ति साक्षाद्ये देवलोकेऽथ महीतलेवा ॥
तथान्तरिक्षे च सुरारिपूज्यास्ते वै प्रतीच्छन्तु मयोपनीतम् ॥
हिंदी अर्थ:- मैं अपने पिता के सामने झुकता हूँ, जिसमें सभी लोकों के सभी देवता निवास करते हैं, सही मायने में वह मेरे देवता हैं।
पितृन्नमस्ये परमार्थभूता ये वै विमाने निवसन्त्यमूर्त्ताः ॥
यजन्ति यानस्तमलैर्मनोभिर्योगीश्वराः क्लेशविमुक्तिहेतून् ॥
हिंदी अर्थ:- मैं अपने पिता के सामने झुकता हूँ, जो परमार्थ के निराकार आड़ में रहते हैं, जिन्हें सभी संघर्षों (संसार) से मुक्ति के लिए दोषहीन योगियों द्वारा पूजा जाता है।
पितृन्नमस्येदिवि ये च मूर्त्ताः स्वधाभुजः काम्यफलाभिसन्धौ ॥
प्रदानशक्ताः सकलेप्सितानां विमुक्तिदा येऽनभिसंहितेषु ॥
हिंदी अर्थ:- मैं अपने पिता को नमन करता हूँ जो सभी देवताओं का प्रत्यक्ष रूप हैं, जो मेरी सभी आकांक्षाओं को पूर्ण करते हैं। मेरे पिता मेरे हर संकल्प को सिद्ध करने में मेरे आदर्श हैं, जो मेरी कठिनाइयों एवं चिंताओं से मुझे मुक्त करते हैं ऐसे प्रभु के रूप में विघ्नहर्ता को प्रणाम करता हूँ।
यतः मूलम् नरः पश्येत् प्रादुर्भावम् इह आत्मनः |
कथम् तस्मिन् न वर्तेत प्रत्यक्षे सति दैवते ||
हिंदी अर्थ:- जब मनुष्य की स्वयं की उत्पत्ति के मूल में ही पिता हैं तब वह पिता के रूप में विद्यमान साक्षात भगवान को ही क्यों नहीं पूजता है।
सत्यं माता पिता ज्ञानं धर्मो भ्राता दया सखा।
शान्ति: पत्नी क्षमा पुत्र: षडेते मम बान्धवा:॥
हिंदी अर्थ:- सत्य मेरीं माता के समान है, ज्ञान मेरे पिता के समान है, धर्म मेरे भाई के समान है, दया मेरे मित्र के समान है तथा शान्ति मेरे पत्नी के समान है, क्षमाशीलता मेरे पुत्र के समान है | इस प्रकार ये 6 गुण (लोग ) ही मेरे निकट संबन्धी हैं |
पितृभिः ताड़ितः पुत्रः शिष्यस्तु गुरुशिक्षितः
धनाहतं स्वर्ण च जायते जनमण्डनम।
हिंदी अर्थ:- पिता द्वारा डांटा गया पुत्र, गुरु के द्वारा शिक्षित किया गया शिष्य सुनार के द्वारा हथौड़े से पीटा गया सोना, ये सब आभूषण ही बनते हैं।
यन्मातापितरौ वृत्तं तनये कुरुतः सदा
न सुप्रतिकारं तत्तु मात्रा पित्रा च यत्कृतम्
हिंदी अर्थ:- माता पिता अपने बच्चों के लिए जो भी करते हैं उसे कभी भी उऋण या चुकाया नहीं जा सकता।
पिता मूर्त्ति: प्रजापते
हिंदी अर्थ:- पिता पालन करने वाला होने के कारण प्रजापति अर्थात राजा व ईश्वर का ही मूर्तिरूप है।