Nathuram Godse Biography life history information story in Hindi | नाथूराम गोडसे की जीवनी जीवन परिचय और इतिहास
नाथूराम गोडसे (Nathuram Godse), नाम सुनते ही गांधीजी के एक भयानक हत्यारे का अक्स द्रष्टि पटल पर स्वतः ही बन जाता है| आखिर कैसा दुष्ट व्यक्ति होगा जिसने एक महात्मा को मार दिया, जरा सी भी दया नहीं आई|
आजादी के समय से ही, पुरे भारतवर्ष में यह चर्चा का विषय रहा है, आखिर नाथूराम ने गांधीजी को क्यूँ मारा|
आज की जो पीड़ी है, क्या वो कभी समझ पाएगी आज़ादी के समय हिन्दुओं के साथ कितने अत्याचार हुए|
पाकिस्तान में तो मुसलामानों ने हिन्दुओं के साथ राक्षसों के सामान व्यवहार किया ही था| भारत में भी पाकिस्तान से आये हुए हिन्दू शरणार्थियों से ज्यादा मुसलामानों के हितों का ध्यान रखा जा रहा था|
ऐसा हम नहीं कह रहे है, यह नाथूराम गोडसे के द्वारा दिए गए कोर्ट में एक बयान का एक अंश है, जो इनके छोटे भाई गोपाल गोडसे ने अपनी एक किताब (Why I Assassinated Gandhi) में लिखा था|
हिन्दुओं के साथ पाकिस्तान में हिंसक व्यवहार और भारत में शीर्ष नेताओं (गांधीजी) द्वारा हिन्दुओं के हितों को दरकिनार कर, मुसलामानों का तुष्टिकरण |
ऐसे ही कुछ कारण रहे होंगे जिसके फलस्वरूप, नाथूराम जैसे सरल शांत स्वभाव वाले व्यक्ति को भी लगा केवल गांधीजी की हत्या ही हिन्दुओं पर हो रहे अत्याचार पर लगाम लगा सकती है|
खेर हम किसी हिंसा का समर्थन नहीं कर रहे हैं| हमने केवल गोपाल गोडसे की किताब में लिखे कुछ अंश ऊपर लिखे हैं|
आइये चर्चा करते हैं जन्म से लेकर म्रत्यु तक नाथूराम गोडसे के सम्पूर्ण जीवन इतिहास पर |
लेख के अंत में नाथूराम गोडसे (Nathuram Godse) द्वारा कोर्ट में दिए गए उनके बयान की भी चर्चा करेंगे जहाँ उन्होंने स्पष्ट किया की ऐसे क्या कारण थे की उन्होंने गांधीजी को मारने का निर्णय लिया|
Nathuram Godse Biography in Hindi
नाथूराम गोडसे का जीवन परिचय
क्रमांक | परिचय बिंदु | जीवन परिचय |
1. | पूरा नाम | नाथूराम विनायक राव गोडसे |
2. | जन्म का नाम | रामचंद्र |
3. | जन्म तिथि | 19 मई 1910 |
4. | जन्म स्थान | बारामती, जिला पुणे, बॉम्बे प्रेसीडेंसी ब्रिटिश भारत |
5. | पिता का नाम | विनायक वामनराव गोडसे |
6. | माता का नाम | लक्ष्मी गोडसे |
7. | बहन | नाम नहीं पता |
8. | भाई | गोपाल गोडसे |
9. | भतीजी का नाम | हिमानी सावरकर |
10. | शिक्षा | 10वी |
11. | धर्म | हिन्दू |
12. | जाती | ब्राह्मण |
13. | पेशा | सामाजिक कार्यकर्ता |
14. | म्रत्यु तिथि | 15 नवम्बर 1949, 39 वर्ष |
15. | म्रत्यु का कारण | फांसी की सजा |
16. | अपराध | महात्मा गाँधी की हत्या |
17. | म्रत्यु का स्थान | अंबाला जेल, उत्तर पंजाब भारत |
18. | प्रसिद्द किताब | मैंने गाँधी को क्यूँ मारा |
नाथूराम गोडसे का प्रारंभिक जीवन
(Nathuram Godse) नाथूराम गोडसे का जन्म महाराष्ट्र के पुणे जिले के बारामती नामक स्थान पर हुआ था| इनके पिता का नाम विनायक वामनराव गोडसे और माता का नाम लक्ष्मी गोडसे था|
इनके पिता पोस्ट ऑफिस में कार्यरत थे|
इनका नाम नाथूराम रखे जाने के पीछे एक मार्मिक कारण था| गोडसे दंपत्ति के नाथूराम के जन्म से पहले तीन पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई थी| लेकिन बचपन में ही किन्ही कारणों से म्रत्यु हो गई|
परिवार वालों को लगा यह किसी श्राप और पितृ दोष के कारण हो सकता है| नाथूराम के जन्म के पश्चात इन्हें एक कन्या के रूप में पाला गया| कपडे भी लड़कियों के ही पहनाये जाते थे|
पचपन में इनका नाम रामचंद्र था| लड़कियों की तरह ही इनके भी नाक छिदवाई गई और नथ भी पहनाई, यही से ही इनका नाम नाथूराम पड़ा|
इनके नाम रामचंद्र का राम और नाक में नथ पहनने से नथ, इस तरह नाथूराम| इनके छोटे भाई गोपाल गोडसे के जन्म के बाद इन्हें एक पुत्र की तरह ही पाला|
प्रारंभिक शिक्षा
पांचवी कक्षा तक की पढाई नाथूराम ने बारामती में ही स्तिथ एक प्राथमिक विधालय से पूरी की| इसके बाद यह अपने एक रिश्तेदार के यहाँ पुणे चले आये और एक अंग्रेजी माध्यम के स्कूल में दाखिला ले लिया|
लेकिन 10वीं क्लास के मध्य में इन्होने पढ़ाई छोड़ दी| नाथूराम गोडसे (Nathuram Godse) का मन सामाजिक और राजनितिक कार्यों में ही लगता था| हिन्दू समाज की उपेक्षा से यह आक्रोशित और दुखी थे|
हिंदुत्व के लिए कार्य करने के अपने संकल्प को प्रत्यक्ष रूप देने के लिए इन्होने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ और हिन्दू महा सभा की सदस्यता ले ली|
सामाजिक जीवन
आरएसएस और हिन्दू महासभा के सदस्य के रूप में कार्य 1932 में गोडसे ने एक बौद्धिक कार्यवाह के रूप में आरएसएस की सदस्यता ली| अपने विद्यार्थी काल में गोडसे गांधीजी का बहुत सम्मान करते थे|
लेकिन गांधीजी ने कई कार्य ऐसे किये जिससे गोडसे का सम्मान गांधीजी की तरफ शुन्य हो गया| जिसकी हम आगे चर्चा करेंगे|
गोडसे ने हिन्दू महासभा के लिए एक अखबार निकाला नाम था अग्रणी, लेकिन बाद में इसका नाम हिन्दू राष्ट्र रख दिया गया|
गोडसे ने एम् एस गोलवलकर के साथ मिलकर बाबाराव सावरकर की किताब राष्ट्र मीमांसा को अंग्रेजी में अनुवादित (ट्रांसलेट) भी किया
1940 में इन्होने अपनी एक अलग हिन्दू संस्था “हिन्दू राष्ट्र दल” की भी स्थापना की
गोडसे के गांधीजी के प्रति विचार
उनका मानना था गांधीजी एक व्यावहारिक राजनितिक व्यक्ति नहीं थे| वे एक हठी व्यक्ति थे और अपने आमरण अनशन को अपनी अनुचित मांगों को पूरा करने के लिए प्रयोग करते थे|
जैसे चौरा चौरी काण्ड में अंग्रेजों ने जब क्रांतिकारियों को मारा तो गांधीजी ने कोई प्रतिकार और आलोचना नहीं की लेकिन जब क्रांतिकारियों ने अंग्रेजों का पूरा पुलिस स्टेशन जला दिया और अपने बचाव में उग्र रूप लिया तो गांधीजी ने असहयोग आन्दोलन को वापस ले लिया|
गोडसे की दलील थी, जब भी भारत पूर्ण स्वराज के लिए आंदोलित था और पुरे भारत में आन्दोलन अपनी चरम सीमा पर थे तब ही गांधीजी ने अपने आमरण अनशन का प्रयोग और धमकी दे कर आन्दोलन को ख़त्म कर दिया|
इन आंदोलनों में हजारों हिन्दुओं की जान गई लेकिन आन्दोलन वापस लेने से उनका बलिदान व्यर्थ चला गया|
इसके अलावा गोडसे का आरोप था गांधीजी मुस्लिम तुष्टिकरण कर रहे थे| केवल मुसलामानों को खुश करने के लिए इनकी ऊल जलूल मांगों को भी समर्थन देते थे|
गांधीजी का मानना था, व्यक्तिगत रूप से गांधीजी एक अच्छे व्यक्ति हो सकते हैं| लेकिन राजनितिक और देशहित के मुद्दों पर उनके विचार और कार्य, परिपक्वता से कोसों दूर थे|
गांधीजी की हत्या
30 जनवरी 1948 को गोडसे करीब 40 मिनट पहले बिरला हाउस पहुँच गए थे| इसी बिरला हाउस में गांधीजी शाम की भजन संध्या में जाते थे|
करीब शाम को 5:17 मिनट पर गांधीजी को नजदीक से छाती पर तीन गोलियां मार कर गोडसे ने इनकी हत्या कर दी|
गोडसे ने बेरेट्टा एम् 1934 सेमी आटोमेटिक गन का प्रयोग किया था|
अमेरिकन एम्बेसी के एक अधिकारी हर्बर्ट रेइनेर जूनियर ने गोडसे को पकड़ लिया| हर्बर्ट बताते हैं की गोडसे ने बिलकुल भी भागने की कोशिश नहीं की और वे एक दम शांत थे|
गांधीजी की हत्या की प्रष्ठभूमि
गोडसे के गांधीजी के प्रति विचारों से तो आपको अवगत करा चुके हैं| लेकिन यह कोई गंभीर कारण नहीं थे| यहाँ हम कुछ कारणों की चर्चा कर लेट हैं जो नाथूराम गोडसे (Nathuram Godse) ने अपनी किताब “मैंने गाँधी को क्यों मारा” में लिखा है|
- पहला कारण था आजादी के बाद पकिस्तान में रहने वाले हिन्दुओं की सुरक्षा की अनदेखी करना| गोडसे का मानना था जब धर्म के आधार पर विभाजन हो रहा है तो मुस्लिम देश में हिन्दू कैसे सुरक्षित रह पायेंगे| बहुत बड़ी तादात में पाकिस्तान में हिन्दुओं की हत्या से गोडसे का मन दुखी था|
- बटवारे के समय यह तय हुआ था भारत, पाकिस्तान को 75 करोड़ रूपए देगा| इसमें से 20 करोड़ की रकम जा चुकी थी| लेकिन पाकिस्तान में हिन्दुओं के नरसंहार को देखते हुए, नेहरु और पटेल ने 55 करोड़ रूपए देने से मन कर दिया| लेकिन गांधीजी, पाकिस्तान को यह पैसे देने के लिए अड़ गए और आमरण अनशन की धमकी देने लेगे|
- सबसे बड़ा कारण जिसने गोडसे को गांधीजी की हत्या करने के लिए विवश कर दिया वो था पाकिस्तान से आये हुए हिन्दू शरणार्थियों के साथ दुर्व्यवहार| कुछ हिन्दू शरणार्थियों ने दिल्ली में मस्जिदों में शरण ली हुई थी| उन्हें भी वहां से हटाया जा रहा था| कारण था मोजूदा सरकार का गांधीजी के दवाब में मुस्लिम तुष्टिकरण|
गोडसे को अब यह यकीं हो गया था| जब तक गांधीजी जिन्दा हैं हिन्दुओं के हित में सरकार कोई भी कार्य नहीं कर पाएगी| अंततः गोडसे ने महात्मा गाँधी को म्रत्यु दंड देने का निश्चय कर लिया|
म्रत्युदंड
पंजाब उच्चन्यायालय में नाथूराम (Nathuram Godse) पर मुक़दमा चलाया गया| एक वर्ष मुक़दमा चलने के बाद 8 नवम्बर 1949 को गोडसे को म्रत्युदंड दे दिया गया|
हालाँकि गांधीजी के पुत्र मणिलाल और रामदास गाँधी ने सजा को कम करने की अपील की|
लेकिन नेहरु, बल्लभ भाई पटेल और महाराज्यपाल चक्रवर्ती राजगोपालाचारी ने अपील को ख़ारिज कर दिया|
आखिरकार 15 नवम्बर 1949 को गोडसे और उनके एक साथी नारायण आप्टे को अम्बाला की जेल में फाँसी दे दी गई|
गोडसे से जुड़े विवाद
2014 में भारतीय जनता पार्टी की जीत के बाद हिन्दू महासभा ने नरेन्द्र मोदीजी से गोडसे की मूर्ति लगाने की प्रार्थना की|
महासभा ने “देश भक्त नाथूराम गोडसे” नाम से एक डाक्यूमेंट्री बनाई जिसे 30 जनवरी 2015 को इन्टरनेट पर डाला गया|
इसी महासभा ने 30 जनवरी को शौर्य दिवस मनाया और गोडसे को एक देश भक्त के रूप में प्रस्तुत किया|
मई 2019 के चुनाव में बीजेपी की भोपाल से प्रत्याशी प्रज्ञा ठाकुर ने गोडसे को देश भक्त बताया| लेकिन बाद में पार्टी के दबाव के कारण उन्होंने माफी मांगी|
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