नर्मदा नदी का इतिहास रोचक महत्वपूर्ण तथ्य और सम्पूर्ण जानकारी | Narmada River History facts information in Hindi
नर्मदा मध्य भारत की गोदावरी और कृष्णा नदी के बाद तीसरी प्रमुख नदी है| नर्मदा नदी को रेवा और नेरबुद्दा के नाम से भी जाना जाता है| यह नदी गुजरात और मध्य प्रदेश के एक बड़े भू भाग को जल प्रदान करती है|
इसलिए इसे गुजरात और मध्य प्रदेश की जीवन रेखा कहा जाता है|
आइये जानते हैं नर्मदा नदी का इतिहास और कुछ रोचक तथ्य की सम्पूर्ण जानकारी|
Narmada River Information in Hindi

क्रमांक | Particular | Detail |
1 | नाम | नर्मदा |
2 | अन्य नाम | रेवा |
3 | उद्गम स्थान | अमरकंटक, मध्य प्रदेश |
4 | राज्य | मध्य प्रदेश, गुजरात महाराष्ट्र |
5 | कुल लम्बाई | 1312 km |
6 | मुहाना | खम्भात (Khambhat) की खाड़ी अरब सागर, भरूच जिला गुजरात |
7 | शहर | दिंडोरी, हरदा, मंधाता, बरवानी, ओम्कारेश्वर, बरवाहा, महेश्वर, मंडला, भरूच, राजपिपला, धरमपुरी, वड़ोदरा |
8 | सहायक नदियाँ | बाएँ – बरनार, बंजर, शेर, शक्कर, दूधी, तवा, गंजाल, छोटी तवा, कुन्दी, देव, गोई दाएँ – हिरन, तिन्दोली, बरना, चन्द्रकेशर, कानर, मान, ऊटी, हथनीबाएँ – बरनार, बंजर, शेर, शक्कर, दूधी, तवा, गंजाल, छोटी तवा, कुन्दी, देव, गोई |
9 | प्रसिद्ध स्थल | धुआंधार, जबलपुर |
नर्मदा नदी कहाँ से निकलती है
नर्मदा नदी का उद्गम मध्य प्रदेश के अनुपपुर जिले के पास स्तिथ विंध्याचल और सतपुड़ा पर्वतश्रेणियों के पूर्वी संधिस्थल मैकल पहाड़ी पर स्थित अमरकंटक में नर्मदा कुंड से हुआ है।
नर्मदा नदी का मार्ग
जैसा की हमने पहले बताया नर्मदा नदी मध्य प्रदेश में स्तिथ अमरकंटक पठार पर स्थित नर्मदा कुंड से निकलती है|
नदी अपने उद्गम स्थल से पश्चिम की और सोनमुद से बहती हुई एक चट्टान से निचे गिरती है और एक जलप्रपात बनाती है| इस जल प्रपात को कपिलधरा के नाम से जाना जाता है|
कई घुमावदार मार्ग और प्रबल वेग के साथ जंगलों और पहाड़ों को पार करते हुआ रामनगर के जर्जर महल तक पहुंचती है|
रामनगर और मंडला के बीच करीब 25 किलोमीटर के रास्ते तक नर्मदा नदी का मार्ग चट्टानी बाधा रहित रहता है| यहाँ नदी की गहराई भी बहुत है|
इतना रास्ता तय करने के बाद बाई और से बंजर नदी इसमें मिल जाती है|
नदी की चोड़ाई आगे चलकर कम हो जाती है और जबलपुर के भेडाघाट के 9 मीटर का जल प्रपात बनाती है| यह जलप्रपात धुआंधार के नाम से प्रसिद्द है और जबलपुर का सबसे बड़ा दर्शनीय स्थल है|
आगे करीब 3 किलोमीटर तक संगमरमर के पहाड़ों के बीच से होते हुए जलोड़ मिटटी के उपजाऊ मैदान में प्रवेश करती है जिसे नर्मदा घाटी कहा जाता है|
नदी होशंगाबाद से होते हुए कन्नोद मैदान में पहुचती है| यहाँ दक्षिण की और से कई सहायक नदियाँ नर्मदा नदी से आकर मिलती है| यह सहायक नदियाँ सतपुड़ा पहाड़ियों के उत्तरी ढलानों से पानी लाती हैं|
जिनमे: शार, शाककर, दधी, तवा (सबसे बड़ी सहायक नदी) और गंजल साहिल हैं। हिरन, बरना, चोरल , करम और लोहर, जैसी महत्वपूर्ण सहायक नदियां उत्तर से आकर जुड़ती हैं।
नदी हंडिया और नेमावर से नीचे जल प्रपात तक पहाड़ियों के मध्य से होकर गुजरती हुई, ओम्कारेश्वर नदी द्वीप तक पहुंचती है|
सिकता और कावेरी खंडवा मैदान के नीचे आकर नदी से मिलती है|
आगे नदी 180 किलोमीटर लम्बे मंडलेश्वर मैदान में प्रवेश करती है| नदी आगे जाकर साहेश्वर धरा जल प्रपात बनाती है|
नदी मकरई होते हुए बड़ोदरा और नर्मदा जिले से होकर गुजरती है| भरूच जिले में पहुंचकर यह बेसीन बनाती हुई अरब सागर में विलीन हो जाती है|
नर्मदा पर बने हुए बाँध कौन कौन से हैं
- Sardar Sarovar Dam
- Indira Sagar Dam
- Omkareshwar Dam
- Maheshwar Dam
- Bargi Dam
- Maan Dam
- Jobat Dam
- Tawa Dam
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