मित्रता पर संस्कृत में श्लोक हिंदी अर्थ सहित | Sanskrit Shlokas on Friendship with Hindi Meaning
विवादो धनसम्बन्धो याचनं चातिभाषणम् ।
आदानमग्रतः स्थानं मैत्रीभङ्गस्य हेतवः॥
हिंदी अर्थ:- वाद-विवाद, धन के लिये सम्बन्ध बनाना, माँगना, अधिक बोलना, ऋण लेना, आगे निकलने की चाह रखना, यह सब मित्रता के टूटने में कारण बनते हैं।
न कश्चित कस्यचित मित्रं न कश्चित कस्यचित रिपु: ।
व्यवहारेण जायन्ते, मित्राणि रिप्वस्तथा ।।
हिंदी अर्थ:- न कोई किसी का मित्र होता है, न कोई किसी का शत्रु। व्यवहार से ही मित्र या शत्रु बनते हैं।
व्यसने मित्रपरीक्षा शूरपरीक्षा रणाङ्गणे भवति ।
विनये भृत्यपरीक्षा दानपरीक्षाच दुर्भिक्षे॥
हिंदी अर्थ:- मित्र की परीक्षा बुरे वक़्त में होती है। योद्धा की परीक्षा युद्ध के मैदान में होती है। एक सेवक की परीक्षा उसके अपने मालिक के साथ अच्छे व्यव्हार से होती है। दानी की परीक्षा दुर्भिक्ष यानि सूखे के दौरान होती है।
महाजनस्य संसर्ग: कस्य नोन्नतिकारकः।
पद्मपत्रस्थितं तोयं धत्ते मुक्ताफलश्रियम् ॥
हिंदी अर्थ:- अच्छे लोगों का साथ किसके लिए उन्नतिकारक नहीं है ? जल की बूंद कमल पर पड़ने पर उसे भी मोती की शोभा प्राप्त होती है।
माता मित्रं पिता चेति स्वभावात् त्रतयं हितम्।
कार्यकारणतश्चान्ये भवन्ति हितबुद्धयः ।।
हिंदी अर्थ:- माता पिता और मित्र हमारे कल्याण के विषय में निःस्वार्थ भाव से सोचते हैं इनके अलावा सभी अपने स्वार्थ से ऐसी भावना रखते हैं।
आढ् यतो वापि दरिद्रो वा दुःखित सुखितोऽपिवा ।
निर्दोषश्च सदोषश्च व्यस्यः परमा गतिः ॥
हिंदी अर्थ:- चाहे धनी हो या निर्धन, दुःखी हो या सुखी, निर्दोष हो या सदोष – मित्र ही मनुष्य का सबसे बड़ा सहारा होता है।
तावत्प्रीति भवेत् लोके यावद् दानं प्रदीयते ।
वत्स: क्षीरक्षयं दृष्ट्वा परित्यजति मातरम्
हिंदी अर्थ:- लोगों का प्रेम तभी तक रहता है जब तक उनको कुछ मिलता रहता है। मां का दूध सूख जाने के बाद बछड़ा तक उसका साथ छोड़ देता है।
जानीयात्प्रेषणेभृत्यान् बान्धवान्व्यसनाऽऽगमे।
मित्रं याऽऽपत्तिकालेषु भार्यां च विभवक्षये ॥
हिंदी अर्थ:- किसी महत्वपूर्ण कार्य पर भेजते समय सेवक की पहचान होती है । दुःख के समय में बन्धु-बान्धवों की, विपत्ति के समय मित्र की तथा धन नष्ट हो जाने पर पत्नी की परीक्षा होती है।
ते पुत्रा ये पितुर्भक्ताः सः पिता यस्तु पोषकः।
तन्मित्रं यत्र विश्वासः सा भार्या या निवतिः ॥
हिंदी अर्थ:- पुत्र वही है, जो पिता का भक्त है। पिता वही है,जो पोषक है, मित्र वही है, जो विश्वासपात्र हो । पत्नी वही है, जो हृदय को आनन्दित करे।
न विश्वसेत्कुमित्रे च मित्रे चापिन विश्वसेत।
कदाचित्कुपितं मित्रं सर्वं गुह्यं प्रकाशयेत् ॥
हिंदी अर्थ:- कमित्र पर विश्वास नहीं करना चाहिए और मित्र पर भी विश्वास नहीं करना चाहिए। कभी कुपित होने पर मित्र भी आपकी गुप्त बातें सबको बता सकता हैं।
परोक्षे कार्यहन्तारं प्रत्यक्षे प्रियवादिनम्।
वर्जयेत्तादृशं मित्रं विषकुम्भं पयोमुखम् ॥
हिंदी अर्थ:- पीठ पीछे काम बिगाड़नेवाले था सामने प्रिय बोलने वाले ऐसे मित्र को मुंह पर दूध रखे हुए विष के घड़े के समान त्याग देना चाहिए।
विद्या मित्रं प्रवासेषु भार्या मित्रं गृहेषु च।
व्याधितस्यौषधं मित्रं धर्मो मित्रं मृतस्य च॥
हिंदी अर्थ:- प्रवास (घर से दूर निवास) में विद्या मित्र होती है, घर में पत्नी मित्र होती है, रोग में औषधि मित्र होती है और मृतक का मित्र धर्म होता है|
आलस्यं हि मनुष्याणां शरीरस्थो महान् रिपुः
नास्त्युद्यमसमो बन्धुः कृत्वा यं नावसीदति
हिंदी अर्थ:- मनुष्यों के शरीर में रहने वाला आलस्य ही उनका सबसे बड़ा शत्रु होता है परिश्रम जैसा दूसरा (हमारा )कोई अन्य मित्र नहीं होता क्योंकि परिश्रम करने वाला कभी दुखी नहीं होता।
परोक्षे कार्यहंतारं प्रत्यक्षम् प्रियवादिनं।
वर्जयेतादृशं मित्रं विष कुम्भम् पयो मुखम्।।
हिंदी अर्थ:- पीठ पीछे काम बिगाड़ने वाले और सामने मीठा मीठा बोलने वाले ऐसे मित्रों का त्याग कर दें क्योंकि वे उस घड़े के समान हैं जिसके मुख में तो ऊपर ऊपर दूध छलकता हुआ भरा दिखता है पर अंदर पूरे घड़े में विष भरा है।
जाड्यं धियो हरति सिंचति वाचि सत्यं!
मानोन्नतिं दिशति पापमपा करोति!!
हिंदी अर्थ:- अच्छे मित्रों का साथ बुद्धि की जटिलता को हर लेता है, हमारी बोली सच बोलने लगती है, इससे मान और उन्नति बढती है और पाप मिट जाते है।
चन्दनं शीतलं लोके,चन्दनादपि चन्द्रमाः !
चन्द्रचन्दनयोर्मध्ये शीतला साधुसंगतिः !!
हिंदी अर्थ:- इस दुनिया में चन्दन को सबसे अधिक शीतल माना जाता है पर चन्द्रमा चन्दन से भी शीतल होती है लेकिन एक अच्छे मित्र चन्द्रमा और चन्दन दोनों से शीतल होते है।
वनानी दहतो वन्हे: सखा भवति मारुतः!
स एव दीपनाशाय कृशे कस्यास्ति सौहृदम!!
हिंदी अर्थ:- जब जंगल में आग लग जाती है तो हवा उसका मित्र बन जाता है, और आग को फ़ैलाने में उसकी मदद करता है, लेकिन वही हवा एक छोटी से चिंगारी को पलक झपकते हुए बुझा देती है। इसलिए कमजोर व्यक्ति का कोई मित्र नहीं होता है।
कश्चित् कस्यचिन्मित्रं, न कश्चित् कस्यचित् रिपुः ।
अर्थतस्तु निबध्यन्ते, मित्राणि रिपवस्तथा ॥
हिंदी अर्थ:- न कोई किसी का मित्र है और न ही शत्रु, कार्यवश ही लोग मित्र और शत्रु बनते हैं।