मेहंदीपुर बालाजी मंदिर का इतिहास, दर्शन का समय, सम्पूर्ण जानकारी | Mehandipur Balaji Temple History, location, Darshan Timings information in Hindi
भारत में श्री राम भक्त हनुमानजी के अनेक मंदिर हैं, लेकिन मेहंदीपुर वाले बालाजी मंदिर की प्रसिद्धि और मान्यता अन्य मंदिरों से कहीं ज्यादा है| मान्यता है, यहाँ विराजमान प्रभु हनुमान की मूर्ति स्वम्भू है| भूत प्रेत व्याधि से पीड़ित मनुष्य के दुखों का निवारण इस मंदिर में अवश्य ही हो जाता है|
आइये आज हम इसी प्राचीन मेहंदीपुर बालाजी मंदिर के इतिहास, दर्शन का समय और अन्य महत्त्व जानकारी (Mehandirpur Balaji Temple History, Darshan Timings information in hindi) आपको देंगे| बस अंत तक आप हमारे साथ बने रहे|
मेहंदीपुर बालाजी मंदिर कहाँ स्थित है
मेहंदीपुर बालाजी का मंदिर एक हिन्दू मंदिर है| यहाँ हनुमानजी बाल रूप में विराजमान हैं| हनुमानजी के बाल रूप को बालाजी के नाम से जाना जाता है|
यह मंदिर राजस्थान के दौसा जिले में स्थित है|
यह मंदिर एक रोचक स्थान पर स्थित है| यह स्थान दो पहाड़ियों से घिरा हुआ है| बालाजी का मंदिर जिस स्थान पर स्थित है उसे मेहंदीपुर बालाजी धाम कहा जाता है|
यह स्थान राजस्थान के करौली जिले के शुरुआत में हिंडोन शहर के टोडाभीम (TodaBhim)स्थान पर स्थित है|
रोचक बात यह है, इस मंदिर का आधा भाग दौसा जिले में और बाकी आधा भाग करौली जिले में पड़ता है|
इस मंदिर के बिलकुल सामने प्रभु राम का मंदिर है| इस मंदिर का भी आधा भाग दौसा जिले में और आधा भाग करौली जिले में पड़ता है|
प्रभु राम का मंदिर कुछ इस तरीके से बना हुआ है जिससे बालाजी महाराज प्रभु राम के हमेशा दर्शन कर सके|
Mehandipur Balaji Temple History in Hindi
मेहंदीपुर बालाजी मंदिर का इतिहास
यह मंदिर करीब 1000 साल पुराना माना जाता है| प्राचीन काल में मेहंदीपुर चारों तरफ से जंगल से घिरा हुआ था| जंगली जानवरों और चोर डाकुओं का हमेशा ही डर बना रहता था|
बाबा महंत जी महाराज के पूर्वज गुसांई जी को स्वप्न दिखा, और स्वप्न की अवस्था में ही वे उठकर चले गए| जंगल में पहुँचाने पर उन्होंने देखा, हजारों मसालों के रोशनी के साथ एक फौज चली आ रही है|
फौज ने बालाजी महाराज, प्रेतराज और भेरों बाबा को प्रणाम किया और वापस चले गए| गुसांई महाराज वापस आये और सोने का प्रयास किया, लेकिन नींद नहीं आई|
स्वप्न में उन्हें वो ही तीन मूर्तियाँ बार बार दिखाई दे रही थी| एक दिन स्वयं बालाजी ने उन्हें दर्शन दिए, गुसाईं जी ने सारी बात गाँव वालों को बताई|
गाँव वाले साथ चलकर मूर्ति गाँव में लाये और एक छोटा सा मंदिर बनाकर मूर्तियाँ स्थापित कर दी| गुसाईं जी मंदिर में सेवा करने लगे|
एक राजपूत राजा ने बालाजी मंदिर का राजस्थानी शेली से भव्य निर्माण करवाया| ऐसा माना जाता है, बालाजी मंदिर के सबसे पहले महंत जी ने बालाजी से प्रार्थना करके वर माँगा था की केवल उनका परिवार ही आपके मंदिर की सेवा करे|
तब से ही बाबा गुसाईं का परिवार ही इस मंदिर की सेवा करते आ रहे हैं|
कौन हैं श्री गणेश पूरी जी महाराज
गणेशपूरी जी महाराज मेहंदीपुर बालाजी के सबसे पहले महंत हैं, अब तक इस मंदिर में 11 महंत हो चुके हैं| अभी किशोरपुरीजी महाराज इस मंदिर के मुख्य महंत हैं|
सभी मंदिरों के दर्शन करने के बाद गणेशपुरी जी की समाधि के दर्शन किये जाते हैं|
सीताराम मंदिर के बगल से एक सकरा रास्ता गणेशपुरी जी महाराज की समाधी की तरफ जाता है|
मेहंदीपुर बालाजी मंदिर का महत्त्व
एक भ्रांति हिन्दू समाज में हमेशा रहती है, जो भूत प्रेत और किसी तरह के जादू टोने से प्रभावित है, उसे ही बालाजी जाना चाहिए|
एक और भ्रान्ति है, यदि कोई कमजोर गणों वाला व्यक्ति मेहंदीपुर जाता है तो उसके साथ बुरे प्रेत और दुष्ट आत्माएं उसके शरीर पर कब्ज़ा कर लेती हैं|
दोस्तो, यह सब कोरी बकवास है, मेहंदीपुर बालाजी के दर्शन करने हर कोई जा सकता है| कुछ ख़ास चीजों का हमेशा हमें ध्यान रखना है इसकी चर्चा हम आगे करेंगे|
आप के जीवन में कोई परेशानी हो, शारीरिक रूप से आप परेशान हों, और किसी भूत प्रेत और दुष्ट आत्मा का साया हो तो आपको मेहंदीपुर बालाजी मंदिर जाकर आपको इन सबसे छुटकारा जरुर मिलेगा|
ऐसे लोग जिन पर भूत प्रेत और कोई बहुत ही ज्यादा दुष्ट आत्मा का साया हो, ऐसे मरीज को मेहंदीपुर में कुछ समय रुकना होता है, पूरा इलाज़ और समाधान होने के बाद आप को महंत जी खुद जाने के लिए बोल देंगे|
कैसे करे मेहंदीपुर बालाजी के दर्शन
दोस्तो, वैसे तो आप मेहंदीपुर बालाजी के दर्शन करने दिन में कभी भी वहां पहुँच सकते हैं| लेकिन यदि आप सुबह की आरती के साथ दर्शन की शुरुआत करें तो आप दर्शन का पूरा आनंद ले पायेंगे|
आप ऐसे ट्रिप प्लान करें की आप रात को मेहंदीपुर पहुँच जाएँ| रात में किसी धर्मशाला होटल में रूक जाएँ| सुबह जल्दी स्नान करके आरती में शामिल हो जाएँ|
सुबह की आरती में ही आपको भूत प्रेत से ग्रसित लोग झूमते हुए दिख जायेंगे| केवल हनुमान जी की आरती मात्र से प्रेत और दुष्ट आत्माएं कांपने लगती हैं|
आरती ख़त्म होने के बाद महंत जी मंदिर के बाहर आकर बालाजी के चरणों के पानी से छींटे मारते हैं| यह छीटें आपको जरुर शरीर पर लेने चाहिए| इससे विघ्न बाधाओं का नाश होगा|
हाँ प्रसाद खरीदना न भूलें, कितनी तरीके का प्रसाद होता है, इसके बारे में आगे चर्चा करेंगे|
इसके बाद आप दर्शन की लाइन में लग जाएँ| यदि आप मंगलवार और शनिवार को जाते हैं तो आपको विशेष भीड़ देखने को मिलेगी|
बारी आने पर बालाजी महाराज के दर्शन करें, पंडितजी प्रसाद देंगे, प्रसाद ले लें और गर्भ गृह से बाहर निकल जाएँ| आपने जो चढाने के लिए प्रसाद लिया है पंडितजी को दे दें|
गर्भ गृह से बाहर निकले के बाद, साथ में एक अग्नि कुंड होगा, वहां आपने जो प्रसाद का दूसरा दोना लिया है उसमें से उसमें आहुति दें|
वहां श्रद्धालु ऐसा कर रहे होंगे आप उनसे पूछ सकते हैं| फिर सीडियों से ऊपर चले जाएँ, वहां भेरो बाबा और प्रेत राज के दर्शन करें|
दर्शन करने के बाद, पीछे वाले द्वार से बाहर निकलें और निकलनें के बाद एक आपके पास जो दोना है उसे बिना पीछे मुड़े फ़ेंक दे और सीधा मंदिर से बाहर निकल जाएँ| बाहर निकालने के बाद मंदिर की तरफ मुड कर नहीं देखना चाहिए|
प्रेतराज सरकार और कोतवाल कप्तान के मंदिर
बालाजी की प्रतिमा के साथ इस मंदिर में प्रेतराज सरकार और भेरो बाबा की भी प्रतिमाएं हैं| बालाजी के दर्शन के बाद इन्ही देनों देवताओं के दर्शन करने की मान्यता है|
प्रेतराज सरकार दंडाधिकारी के रूप में विराजमान हैं और भेरो बाबा कोतवाल के पद पर| प्रेतराज सरकार को चावल का और भेरो बाबा को उड़द की दाल का प्रसाद चढ़ाया जाता है|
कितनी तरह का प्रसाद मेहंदीपुर बालाजी में चढ़ाया जाता है
श्री मेहंदीपुर बालाजी में निम्नलिखित प्रकार के भोग लगाए जाते है|
- दर्खवास्त (हाजरी)
- अर्जीसवामणि
- राजभोग
दर्खवास्त (हाजरी):-
बालाजी के मंदिर में हर भक्त को हाजरी लगानी चाहिए, हाजरी का प्रसाद किसी भी दूकान से मिल जाता है, हाजरी का प्रसाद पहले
बालाजी महाराज को लगाया जाता है उसके बाद भेरों बाबा और प्रेतराज को हाजरी का भोग लगाया जाता है|
इसके बाद मंदिर परिसर के बाहर आकर हाजरी का दोना अपने ऊपर से उतार कर मंदिर के बाहर एक स्थान पर पशु पक्षियों के लिए
डाल दिया जाता है|
मेहेंदिपुर धाम में आयें हैं तो आने की हाजरी और जब जाएँ और जाने की हाज़री का भोग लगाया जाता है|
अर्जी:-
यदि आपकी कोई मनोकामना है, या कोई समस्या है उसके निवारण के लिए अर्जी लगाईं जाती है| अर्जी 281 रूपए की आती है|
जिसमें बालाजी महाराज के लिए लड्डू का भोग, भेरों बाबा को उड़द की दाल का और प्रेतराज को चावल का भोग लागाया जाता है|
जब आपकी मनोकामना पूरी हो जाए तो बालाजी को सवामणि का भोग लगाया जाता है|
सवामणि:-
सवामणि में हलुआ पूड़ी एवं लड्डू पूड़ी का भोग लगता है| सवामणि के भोग लगाने का समय 11.30 बजे से लगभग 2.00 बजे तक होता है|
सवामणि का प्रसाद बालाजी महाराज, श्री भेरव बाबा जो और श्री प्रेतराज सरकार तीनों को लगता है|
राज भोग:-
राजभोग मंदिर परिसर के ट्रस्ट के द्वारा लगाया जाता है| आरती के बाद, बालाजी के दर्शन के समय सभी भक्तों को राजभोग का प्रसाद दिया जाता है| यह प्रसाद सभी को लेना चाहिए और इस प्रसाद को घर भी ला सकते हैं|
बालाजी महाराज के हर्दय से निकलती है जल की धारा
बालाजी महाराज के बायीं और से ह्रदय के नीचे से एक जल की धरा निरंतर बहती रहती है| महाराज के चरणों के पास एक कुंड बना हुआ है उसमें यह जल एकत्रित होता रहता है|
इसी जल से सुबह और शाम की आरती में भक्तों के ऊपर छीटें दिए जाते हैं| माना जाता है, यदि आप बालाजी जा रहे हो तो आपको आरती में जरुर शामिल होना चाहिए और जल के छींटे अपने शारीर पर जरुर लें|
बालाजी मंदिर के सामने स्थित है प्रभु राम का दरबार
बालाजी, प्रेतराज और भेरों बाबा के दर्शन से पहले राम दरबार के दर्शन करने चाहिए| राम दरबार की आरती पहले ही हो जाती है, उसके बाद ही बालाजी के दर्शन करने चाहिए|
आरती का समय
श्री राम दरवार
ग्रीष्म कालीन: सुबह 6:00 से 6:15
ग्रीष्म कालीन: शाम 7:00 से 7:15
श्री बाला जी दरवार
ग्रीष्म कालीन: सुबह 6:15 से 6:45
ग्रीष्म कालीन: शाम 7:15 से 7:45
आरती का समय : शीत कालीन
श्री राम दरवार
शीत कालीन: सुबह 6:10 से 6:25
शीत कालीन: शाम 6:20 से 6:35
श्री बाला जी दरवार
शीत कालीन: सुबह 6:25 से 6:55
शीत कालीन: शाम 6:35 से 7:05
आरती के संपूर्ण होने पर श्री बाला जी महाराज के जयकारों से पूरा मेहंदीपुर धाम गूँज उठता है और कुछ ही समय पश्चात श्री बाला जी महाराज के जल के छींटे मिलते है। छींटे मिलने के कुछ समय बाद श्री बाला जी महाराज जी के छप्पन भोग का प्रसाद वितरित किया जाता है।
छप्पन भोग के प्रसाद के मिलने का समय:-
श्री बालाजी महाराज के छप्पन भोग के प्रसाद का वितरण गर्भगृह में सुबह 11 बजे के बाद होता है और सीताराम जी के छप्पन भोग का
प्रसाद श्री राम दरबार में 8.30 बजे से मिलता है|
प्रेतराज सरकार में कीर्तन का समय
प्रेतराज सरकार के दरबार में दोपहर 2 से 4 बजे तक कीर्तन होता है| भक्त अपना समय व्यर्थ न करके भजन कीर्तन का आनंद ले सकते हैं|
समाधी वाले बाबा के दर्शन जरुर करें
श्री बालाजी महाराज की आरती के ठीक बाद समाधी वाले बाबा की आरती होती है| १२ बजे जलेबी का भोग लगता है और हवं स्थली पर हवन होता है| भक्त वहां जाकर आरती के छींटे तथा परिक्रमा लगा सकते हैं|
कैसे पहुंचे मेहंदीपुर बालाजी धाम
हवाई मार्ग:-
यदि आप हवाई मार्ग से आना चाहते हैं और आप दिल्ली, आगरा और जयपुर तक आ सकते हैं, वहां से बस या टैक्सी के माध्यम से मेहंदीपुर
बालाजी धाम तक पहुंचे|
जयपुर से बालाजी धाम की दुरी 100 किलोमीटर और दिल्ली से 260 किलोमीटर है|
ट्रेन:-
यदि आप ट्रेन से आना चाहते हैं तो आप बांदीकुई स्टेशन से श्री मेहंदीपुर धाम सबसे नजदीक यही रेलवे स्टेशन है| यहाँ से करीब 35 से 40 किलोमीटर का रास्ता है|
रोड:-
बस से सभी शहरों से सीधे बालाजी के लिए बस आती हैं, यह बस आपको बालाजी मोड़ पर उतार देंगी यहाँ से 2 किलोमीटर का मंदिर तक का रास्ता है|
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