महाराष्ट्र स्थापना दिवस (दिन) कब है और क्यों मनाया जाता है इतिहास जानकारी | Maharashtra Day 2019 History information in Hindi
दोस्तो, क्या आप जानना चाहते हैं महाराष्ट्र दिवस क्यों मनाया जाता है, महराष्ट्र दिवस का इतिहास और ऐतिहासिक महत्त्व क्या है|
Maharashtra Day Information in hindi
आज हम महाराष्ट्र दिवस के बारे में ही विस्तार से चर्चा करेंगे|
- महाराष्ट्र दिवस का इतिहास और सम्पूर्ण जानकारी
- महाराष्ट्र दिवस कब है
- महाराष्ट्र दिवस क्यों मनाया जाता है
महाराष्ट्र दिवस क्यों मनाया जाता है
‘महाराष्ट्र दिवस’ (Maharashtra Day), महारास्ट्र राज्य के स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में मनाया जाता है| महाराष्ट्र दिवस को ‘महाराष्ट्र दिन’ के नाम से भी जाना जाता है|
महाराष्ट्र दिवस कब मनाया जाता है
महराष्ट्र स्थापना दिवस हर साल 1 मई को मनाया जाता है, 1 मई 1960 को बोम्बे स्टेट को भाषा के आधार पर दो भागों में बाँट दिया गया|
गुजराती बोलने वाले जिलों को गुजरात राज्य में शामिल कर दिया गया और मराठी बोलने वाले जिलों को एक साथ लेकर एक अलग राज्य महाराष्ट्र बनाया गया|
महाराष्ट्र दिवस कैसे मनाया जाता है
इस दिन परेड निकाली जाती हैं और राजनेतिक भाषण देने के लिए सभाएं बुलाई जाती हैं| इसके अलावा इस दिन पूरे महाराष्ट्र में स्टेट हॉलिडे रखा जाता है|
महाराष्ट्र राज्य के गवर्नर प्रसिद्द शिवाजी मैदान में भाषण देते हैं| इसी दिन महराष्ट्र सरकार नई सरकारी स्कीमों और विकास के प्रोजेक्ट्स की घोषणा करती है|
इसके अलावा जगह जगह सांस्कृतिक कार्यक्रम का भी आयोजन किया जाता है| महाराष्ट्र के स्कूलों में सांस्कृतिक और देश भक्ति के कार्यक्रम का भी आयोजन किया जाता है|
आइये जानते महाराष्ट्र दिवस की ऐतिहासिक प्रष्ठभूमि
महाराष्ट्र स्थापना दिवस का इतिहास
इसका इतिहास शुरू होता है ब्रिटिश राज के समय बॉम्बे प्रेसीडेंसी से, अंग्रेजों के समय बॉम्बे प्रेसीडेंसी एक बहुत बड़ा जमीनी हिस्सा था इसे बॉम्बे और सिंध के नाम से भी जाना जाता था|
इसका अस्तित्व 1843 से 1936 तक रहा|
इस हिस्से में निचे दिए गया हिस्से शामिल थे
- कोंकण, नाशिक, पुणे (महाराष्ट्र)
- अहमदाबाद, भरूच, गांधीनगर, खेड़ा, पंचमहल, सूरत (गुजरात)
- बागलकोट, बेलगावी, बीजापुर, धारवाड़, गदग, उत्तर कन्नड़ (कर्नाटक)
- दक्षिण कन्नड़, उदुवी
- कासरगोड डिस्ट्रिक्ट (केरल)
- सिंध (पाकिस्तान)
- अदेन (यमन)
- खुरिया मुरिया आइलैंड (ओमान)
भारत की आजादी से पहले बॉम्बे प्रेसीडेंसी का इतिहास
गवर्नमेंट ऑफ़ इंडिया एक्ट 1935 के अनुसार 1936 में बॉम्बे प्रेसीडेंसी को बॉम्बे प्रोविंस में बदल दिया गया और सिंध को अलग प्रोविंस बना दिया गया|
हम यहाँ आपको बता दें, ब्रिटिश राज में प्रेसीडेंसी एरिया बनाए गए थे जहाँ राज इस स्थान के राजा का होता था कानून भी उसी राज्य के होते थे लेकिन सरकार इन राज्यों से कुछ टैक्स वसूल करती थी|
लेकिन जब सीधा ब्रिटिश पार्लियामेंट का राज किसी स्थान पर चलता था तो उसे प्रोविंस बोला जाता था|
1937 में बॉम्बे प्रोविंस में चुनाव भी हुआ| लेकिन हम कभी और इस पर विस्तार से चर्चा करेंगे|
बॉम्बे प्रोविंस में कई भाषाएँ जैसे मराठी, कन्नड़ और गुजराती, कुत्ची, कोंकणी और अन्य स्थानीय भाषाएँ बोली जाती थी|
1940 में मराठी भाषी क्षेत्र में मराठी भाषी लोगों के लिए अलग राज्य बनाने की मांग उठी| इस आन्दोलन का नेतृत्व
‘सम्युक्त महासभा आर्गेनाईजेशन’ के किया|
लेकिन भारत छोडो आन्दोलन और द्वितीय विश्व युद्ध के कारण इनके आन्दोलन की कोई सुनवाई नहीं हुई| लेकिन 1947 में भारत की आजादी के बाद मराठी भाषी राज्य के लिए मांग तेज हो गई|
भारत की आजादी के बाद महाराष्ट्र दिवस का इतिहास
भारत की आजादी के बाद बॉम्बे प्रेसीडेंसी भारत के हिस्से में आ गई और सिंध प्रेसीडेंसी पाकिस्तान के हिस्से में चली गई|
आज़ादी के बाद इसे बॉम्बे स्टेट नाम दिया गया और 1 नवम्बर 1956 को ‘राज्यों के पुनर्गठन अधिनियम’ कानून के माध्यम से इसे दुवारा से reorganized किया गया|
सोराष्ट्र और कच्छ राज्यों को ख़त्म कर दिया गया और इन्हें बॉम्बे प्रेसीडेंसी में शामिल कर लिया गया और कन्नड़ भाषी राज्यों को मैसूर राज्य में शामिल कर दिया गया|
यही मैसूर राज्य कर्णाटक के नाम से जाना जाता है|
राज्यों के पुनर्गठन अधिनियम के तहत मलयालम बोलने वाले लोगों के लिए केरल, तेलुगु भाषा बोलने वालों के लिए आंध्र प्रदेश, तमिल भाषा बोलने वालों के लिए तमिलनाडु का गठन किया गया|
अब बॉम्बे स्टेट में मराठी, गुजरती, कुत्ची, कोंकणी बोलने वाले जिले थे| बॉम्बे स्टेट को “महा द्विभाषी राज्य” भी बोला जाता था|
1956 में बॉम्बे स्टेट के reorganisation से दो आंदोलनों का जन्म हुआ| सम्युक्त महाराष्ट्र आन्दोलन और महागुजरात आन्दोलन|
इन दोनों आंदोलनों के माध्यम से मराठी और कोंकणी और गुजराती, कुत्ची भाषा के आधार पर बॉम्बे स्टेट को विभाजित करना था|
लेकिन 1956 में पंडित जवाहर लाल नेहरु ने बॉम्बे को यूनियन टेरिटरी घोषित कर दिया|
1 मई 1960 को संसद के विशेष अधिवेशन के आधार पर मराठी भाषा के आधार पर महाराष्ट्र को अलग राज्य का दर्जा दे दिया गया|
गुजराती भाषी जिलों को गुजरात में शामिल कर दिया गया|
इसलिए हर साल 1 मई को महराष्ट्र दिवस (Maharashtra Day) बड़े ही धूम धाम से मनाया जाता है|
मुंबई के लिए हुई थी दोनों राज्यों में खींचा तानी
लेकिन मुंबई शहर के लिए दोनों राज्य आपस में लड़ने लग गए| मुंबई का महत्त्व दोनों राज्यों के लिए बहुत था| अंततः मराठी भाषी लोगों की अधिकता के कारण मुंबई को महराष्ट्र में ही शामिल कर दिया गया|
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