महाराजा अग्रसेन जयंती इतिहास जीवन परिचय के बारे में जानकारी | Maharaja Agrasen Jayanti History Jivan Parichay information in Hindi
अग्रवाल (बनिया) समाज, महाराजा अग्रसेन को अपने समाज का जनक मानते हैं| ऐसा माना जाता है, अग्रसेन महाराज के 18 पुत्र थे और इन्ही पुत्रों के नाम पर बनिया समाज के 17.5 गोत्र बने हैं|
आज हम इस लेख में विस्तार से चर्चा करेंगे की महाराजा अग्रसेन कौन थे, किस समय काल में भारत में रहे और कैसे इन्होने बनिया समाज की स्थापना की|
इसके अलावा 2019 में महाराजा अग्रसेन जयंती कब और कैसे मनाई जायेगी इसकी भी जानकारी आपसे साझा करेंगे|
महाराजा अग्रसेन के बारे में कुछ महत्त्वपूर्ण तथ्य
क्रमांक | Particular | Detail |
1. | पूरा नाम | महराजा अग्रसेन |
2. | जन्म तिथि | द्वापर युग के आखिरी कालखंड में |
3. | पिता का नाम | वल्लभा देव |
4. | माता का नाम | पता नहीं |
5. | बच्चे | 18 पुत्र |
6. | राजनितिक जीवन | अग्रोहा राज्य के राजा |
7. | सामाजिक कार्य | समाज में सद्भाव और एक दुसरे की मदद करने का भाव समाज में जगाया |
8. | धर्म | क्षत्रिय, बाद में वैश्य धर्म को अपनाया |
9. | किस समाज की स्थापना की | वैश्य (बनिया समाज की स्थापना) |
महाराजा अग्रसेन का इतिहास और प्रमाण
महाराजा अग्रसेन भारत के किस काल खंड में पैदा हुए, इसके बारे में ऐसा कोई ठोस प्रमाण नहीं है| लेकिन कुछ लेखकों ने अपने अपने तरीके से पोराणिक कथा कहानियों से इनके बारे में जानकारी निकाली है|
सबसे पहले बात करते हैं भारतेंदु हरिश्चंद्र के द्वारा दिए गए प्रमाणों की
कौन हैं भारतेंदु हरिश्चंद्र और महाराजा अग्रसेन का इतिहास में प्रमाण
भारतेंदु हरिश्चंद्र एक अग्रवाल समाज के लेखक और कवि थे| इनका जन्म 1850 में हुआ था| इन्होने 1871 में एक लेख लिखा था| अग्रवाल समाज की उत्पति (Origin of Agrawal Samaaj).
इन्होने तर्क दिया की मैंने यह लेख पुराणों और प्राचीन लेखों से लिया है| उन्होंने एक किताब ‘श्री महा लक्ष्मी व्रत की कथा’ लेख का हवाला दिया जिसे ईन्होने भविष्य पुराण के एक संस्करण में पढ़ा था|
1976 अग्रवाल समाज के ही एक लेखक सत्यकेतु विद्यालंकार ने ‘महालक्ष्मी व्रत की कथा’ का एक लेख अपनी एक किताब अग्रवाल जाति का प्राचीन इतिहास में लिखी थी|
लेकिन कई इतिहासकारों का कहना था की उन्हें भविष्य पुराण में ऐसा कोई भी लेख देखने को नहीं मिला है|
Maharaja Agrasen History in Hindi
महाराजा अग्रसेन का इतिहास
- भारतेंदु हरिश्चंद्र के अनुसार राजा अग्रसेन सूर्यवंशी क्षत्रिय वंश में द्वापर युग के अंत में पैदा हुए थे|
- भगवान् राम के पुत्र कुश के कुल में इनका जन्म हुआ था|
- कुश के वंश में ही एक सूर्यवंशी राजा थे, नाम था मंधाता|
- मंधाता के 2 पुत्र थे| गुनाधि और मोहन
- मोहन के ही वंश में एक राजा हुए वल्लभ
- वल्लभ के 2 पुत्र हुए, इन्ही के बड़े पुत्र महाराजा अग्रसेन थे|
- अग्रसेन महाराज के 18 पुत्र हुए, इन्ही 18 पुत्रों के नाम अग्रवाल समाज के 17.5 गोत्र आगे चलकर प्रसिद्द हुए|
महाराजा अग्रसेन का वैवाहिक जीवन
अग्रसेन का विवाह रजा नागराज कुमुद की कन्या माधवी से हुआ था| माधवी के स्वयंवर में अग्रसेन के अलावा कई राजा महाराजाओं ने भाग लिया| स्वयं माधवी
ने अग्रसेन को अपने पति के रूप में चुना|
पोराणिक कथा के अनुसार, माधवी के स्वयंवर में राजा इंद्र ने भी भाग लिया था और माधवी से विवाह करना चाहता था| लेकिन ऐसा नहीं हो पाया| इससे नाराज
होकर इंद्रा ने महाराजा अग्रसेन के राज्य प्रतापनगर में बारिश रोक दी| बारिश रोकने से अकाल जैसे हालात होए गए|
महाराज ने राजा इंद्र से युद्ध करने का निर्णय लिया लेकिन नारद मुनि ने इंद्र के साथ इनकी मध्यस्थता करा दी|
महाराजा अग्रसेन का राजनेतिक जीवन
एक दिन महाराजा अग्रसेन ने प्रतापगढ़ को छोड़ने का फेसला लिए और एक नए राज्य की स्थापना के लिए स्थान तलाशने के लिए अपनी रानी के साथ भारत
भ्रमण पर निकल गए|
एक स्थान पर इन्होने एक भेडिये और शेर के बच्चे को एक साथ खलते हुए देखा| महाराजा अग्रसेन को एक ऐसा स्थान चाहिए था जहाँ एक दुसरे के बीच प्यार और सहयोग की भावना पनपे|
यह स्थान इन्हें सही लगा और इन्होने यहीं पर अपना राज्य स्थापित किया| यही स्थान अग्रोहा के नाम से जाना जाता है| अग्रोहा अभी वर्तमान में हरयाणा के हिसार जिले में स्तिथ है|
अग्रोहा के बारे में अन्य जानकारी
- जैसा की मैंने पहले बताया अग्रोहा हरयाणा के हिसार जिले में स्तिथ है| जब आप हिसार सिटी से फतेहाबाद की तरफ जायेंगे तो नेशनल हाईवे 09 पर यह स्थान स्तिथ है|
- यह अग्रवाल समाज का प्रमुख तीर्थ स्थल है| अग्रसेन जयंती पर यहाँ मेला सा लग जाता है| यहाँ माता लक्ष्मी और महाराजा अग्रसेन का मंदिर भी बना हुआ है|
- इसके अलावा भी कई मंदिर जैसे हनुमान मंदिर और शीतला माता मंदिर की स्थापना भी की गई है|
- 1994 में अग्रोहा महाराजा अग्रसेन मेडिकल कॉलेज की भी यहाँ स्थापना की गई|
अग्रवाल के 17.5 गोत्र कैसे स्थापित हुए
इसके बारे में 2 अलग अलग पोराणिक कथाएँ हैं|
पहली किवदंती
पहली कथा के अनुसार महाराजा अग्रसेन के 18 पुत्र थे| इन्ही के नाम पर 18 गोत्रों को स्थापित किया गया|
एक दूसरी किवदंती के अनुसार, एक बार राजा ने 18 महायज्ञ करने का निर्णय लिया| इस यज्ञ में घोड़ों की आहुति दी जानी थी| 17 यज्ञ पुरे हो गए थे| आखिरी 18
यज्ञ आधा हो चूका था|
दूसरी किवदंती
अचानक राजा ने देखा, आहुति देने के लिए बांधा हुआ घोडा छुटने के लिए भरसक प्रयास कर रहा है| यह देख राजा के मन में अहिंसा का भाव घर का गया|
इस भाव के साथ निर्णय लिया की वह कभी भी किसी भी निर्दोष की जान नहीं लेंगे| यह निर्णय लेकर 18वां यज्ञ आधा ही छोड़ दिया| भगवन प्रकट हुए और इन्हें 17.5 गोत्रों का वरदान दिया|
महाराजा अग्रसेन के बाद का समय
महाराजा अग्रसेन ने अपना राज्य अपने 18 पुत्रों में बाँट दिया| एक दिन भीषण आग के कारण पूरा अग्रोहा राज्य नष्ट हो गया|
अग्रवाल समाज धीरे धीरे अग्रोहा से निकलकर पुरे भारत वर्ष में फेल गया|
अग्रवाल समाज के 17.5 गोत्रों के नाम और इनकी उत्पत्ति
क्रमांcक | गोत्र | मूल गोत्र | ऋषि | वेद | भगवान | सूत्र |
1. | बंसल | वत्स्य | विशिष्ट/वत्स | सामवेद | विर्भन | गोभिल |
2. | भंडल | धौम्या | भरद्वाज | यजुर्वेद | वासुदेव | कात्यानी |
3. | गर्ग/गर्गेया | गर्गास्य | गर्गाचार्य/ | यजुर्वेद | पुष्पादेव | कात्यानी |
4. | गोयन/गंगल | गौतन | पुरोहित/गौतम | यजुर्वेद | गोधर | कात्यानी |
5. | कंसल | कौशिक | कौशिक | यजुर्वेद | मनिपाल | कात्यानी |
6. | मधुकुल/मुद्रल | मुद्रल | आश्वलायन/मुद्गल | ऋग्वेद/यजुर्वेद | माधवसेन | अस्ल्यायीं |
7. | मित्तल | मैत्रेय | म्रदुगल/मंडव्य | ऋग्वेद/यजुर्वेद | मंत्रपति | कात्यानी |
8. | सिंघल | शंदल्या | श्रंगी/शंदिला | सामदेव | सिंधुपति | गोभिल |
9. | तिंगल/तुन्घल | तांडव | शंदिलिया/तंघ | यजुर्वेद | त्म्बोल्कारना | कात्यानी |
10. | एरोन/एरन | और्वा | अत्री/और्वा | यजुर्वेद | इन्द्रमल | कात्यानी |
11. | बिंदल/विन्दल | विशिस्थ | यावासा/वशिष्ठ | यजुर्वेद | व्रन्देव | कात्यानी |
12. | धारण/डेरन | धन्यास | भेकार/घुम्या | यजुर्वेद | धवंदेव | कात्यानी |
13. | गोयल/गोएल/गोयंका | गोमिल | गोतम/गोभिल | यजुर्वेद | गेंदमल | कात्यानी |
14. | जिंदल | जेमिनो | ब्रहस्पति/जैमिनी | यजुर्वेद | जैत्रसंघ | कात्यानी |
15. | कुछल/कुच्चल | कश्यप | कुश/कश्यप | सामवेद | करानचंद | कोमाल |
16. | मंगल | मांडव | म्रुदगल/मंडव्य | ऋग्वेद/यजुर्वेद | अमृतसेन | असुसी |
17. | नंगल/नागल | नागेंद | कौदल्या/नागेन्द्र | सामवेद | नर्सेव | अस्लायीं |
18. | तायल | तैतिरेय | साकाल/तैतिरैय | यजुर्वेद | ताराचंद | कात्यानी |
महाराजा अग्रसेन जयंती कब है और शुभ मुहूर्त
इस साल 2019 में अग्रवाल जयंती 29 सितम्बर सन्डे को है|
अग्रवाल समाज और अग्रहरी समाज इसे बड़े ही धूम धाम से मनाता है|
अश्विन के महीने की शुक्ल पक्ष के पहले दिन हर साल महाराजा अग्रसेन जयंती मनाई जाती है|
जयंती के 15 दिन पहले से ही कई संस्कृत प्रोग्राम किये जाते हैं| जयंती वाले दिन अग्रसेन महाराज की गाजे वाजे के साथ झांकी निकाली जाती है|
आगे घोड़ों पर गोत्र के हिसाब से इनके 18 बेटे घोड़ों पर रंग बिरंगे वस्त्र पहन कर आगे आगे चलते हैं|
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