जल पर संस्कृत श्लोक अर्थ सहित | Sanskrit Shlokas on water with meaning in Hindi

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जल पर संस्कृत श्लोक अर्थ सहित | Sanskrit Shlokas on water with meaning in Hindi | पानी पर संस्कृत में श्लोक हिंदी अर्थ सहित

मित्रों, यह सर्वविदित है जल ही जीवन है| जल की अनुपस्थिति में इस प्रथ्वी पर जीवन संभव ही नहीं है| हमारे धर शास्त्रों में जल की महिमा का गुणगान करते हुए कई संस्कृत श्लोक दिए गए हैं|

आज इनमे से कुछ मुख्य जल से सम्बंधित संस्कृत श्लोक के बारे में हिंदी अर्आथ सहित आज हम चर्चा करेंगे|

आपो देवता
वेदों में ‘जल’ को देवता माना गया है। किन्तु उसे जल न कहकर ‘आपः’ या ‘आपो देवता’ कहा गया है।

‘ऋग्वेद’ के पूरे चार सूक्त ‘आपो देवात’ के लिए समर्पित हैं-

दोस्तो, यह जल ही है जिसमें सर्वप्रथम जीवन का आरंभ हुआ| भगवान् विष्णु के 10 अवतार इसी जीवन के प्रक्रिया (Evolution) को बताते हैं|

जल पर संस्कृत श्लोक अर्थ सहित

Sanskrit Shlokas on water with meaning in Hindi

आइये जल की महिमा का गुणगान करते हुए देव भाषा संस्कृत में मुख्य संस्कृत श्लोक हिंदी अर्थ के साथ जान लेते हैं

अप्स्व९न्तरमृतमप्सुभेषजमपामुतप्रशस्तये । देवाभवतवाजिनः ॥

अप्सु अन्तः अमृतम् अप्सु भेषजम् अपाम् उत प्रशस्तये, देवाः भवत वाजिनः ।

हिंदी अर्थ:- जल में अमृत है, जल में औषधि है । हे ऋषि जनों, ऐसे श्रेष्ठ जल की प्रशंसा अर्थात् स्तुति करने में शीघ्रता बरतें ।

जल ही जीवन है, जीवन का आधार भी यही है । जल के बिना जीवन की कल्पना तक संभव नहीं है । जल स्वयं में औषधि (दवाई) है, यह जल ही शरीर के दूषित (हानिकारक) तत्वों को मूत्र के माध्यम से निष्कासित करता हैं ।

ऐसे जल की स्तुति में ऋषि मुनियों, यज्ञ-पुरोहित और मानव को विलंब नहीं करना चाहिए।

अपोदेवीरुपह्वये यत्र गावः पिबन्ति नः । सिन्धुभ्यः कर्त्वं हविः ॥

अपः देवीः उप-ह्वये यत्र गावः पिबन्ति नः, सिन्धुभ्यः कर्त्वं हविः ।

हिंदी अर्थ:- जिस जल का पान हमारी गायें करती हैं उस जलदेवी का मैं आह्वान (नमस्कार) करता हूं। सिंधुओं (नदियों) को आहुति समर्पित करना हमारा कर्तव्य है।

यहाँ सिंधु का अर्थ नदी है

आपःपृणीतभेषजंवरूथंतन्वेमम । ज्योक्चसूर्यंदृशे ॥

आपः पृणीत भेषजम् वरूथम् तन्वे मम, ज्योक् च सूर्यम् दृशे ।

हिंदी अर्थ:- जल मेरे शरीर के लिए रोगनिवारक औषध की पूर्ति करे। हम चिरकाल तक सूर्य को देखें।

हिंदी अर्थ:- प्रभु से मेरी प्रार्थना है की जल मेरे शरीर के लिए एक रोगनिवारक ओषधि की तरह कार्य करे और में चिरंजीवी होकर लम्बे समय तक सूर्य को देखता रहूँ

इदमापःप्रवहतयत्किञ्चदुरितंमयि । यद्वाहमभिदुद्रोहयद्वाशेपेउतानृतम् ॥

इदम् आपः प्र-वहत यत् किम् च दुः-इतम् मयि, यत् वा अहम् अभि-दुद्रोह यत् वा शेपे उत अनृतम् ।

हिंदी अर्थ:- मेरी प्रार्थना है की यदि मैने कभी अनजाने में कोई अनुचित कार्य किया हो या जानबूझकर दूसरों के प्रति नफरत और वैर का भाव आया हो और किसी का अनिष्ट करने का भाव आया हो तो मेरे ऐसे भाव को यह जल दूर बहा के ले जावे|

अम्बयो यन्त्यध्वभिर्जामयो अध्वरीयताम्।।पृञ्चतीर्मधुना पयः।।

हिंदी अर्थ:- यज्ञ की इच्छा करने वालों के सहायक मधुर रस जल-प्रवाह, माताओं के सदृश पुष्टिप्रद हैं। वे दुग्ध को पुष्ट करते हुए यज्ञ-मार्ग से गमन करते हैं।

आपो अद्यान्वचारिषं रसेन समगस्महि।।
पयस्वानग्न आ गहि तंमा सं सृज वर्चसा ।।

हिंदी अर्थ:- आज हमने जल में प्रविष्ट होकर अवमृथ स्नान किया है। इस प्रकार जल में प्रवेश करके हम रस से आप्लावित हुए हैं। हे पयस्वान्! हे अग्निदेव! आप हमें वर्चस्वी बनाएँ। हम आपका स्वागत करते हैं।

अमूया उप सूर्ये याभिर्वा सूर्यः सह।।
ता नो हिन्वन्त्वध्वरम्।।

हिंदी अर्थ:- जो ये जल सूर्य में (सू्र्य किरणों में) समाहित हैं। अथवा जिन (जलों) के साथ सूर्य का सान्नध्य है, ऐसे ये पवित्र जल हमारे ‘यज्ञ’ को उपलब्ध हों।

इदमापः प्र वहत यत्किं च दुरितं मयि।।
यद्वाहमभिदु द्रोह यद्वा शेप उतानृतम्।।

हिंदी अर्थ:- हे जलदेवों! हम (याजकों) ने अज्ञानतावशं जो दुष्कृत्य किये हों, जानबूझकर किसी से द्रोह किया हो, सत्पुरुषों पर आक्रोश किया हो या असत्य आचरण किया हो
तथा इस प्रकार के हमारे जो भी दोष हों, उन सबको बहाकर दूर करें।।

अपो देवीरूप ह्वये यत्र गावः पिबन्ति नः।।
सिन्धुभ्यः कर्त्व हविः।।

हिंदी अर्थ:- हमारी गायें जिस जल का सेवन करती हैं, उल जलों का हम स्तुतिगान करते हैं। अन्तरिक्ष एवं भूमि पर प्रवहमान उन जलों के लिए हम हवि अर्पित करते हैं।

आपः पृणीत भेषजं वरुथं तन्वे 3 मम।।
ज्योक् च सूर्यं दृशे ।।

हिंदी अर्थ:- हे जल समूह! जीवनरक्षक औषधियों को हमारे शरीर में स्थित करें, जिससे हम निरोग होकर चिरकाल तक सूर्यदेव का दर्शन करते रहें।।21।।

अप्स्व अन्तरमृतमप्सु भेषजमपामुत प्रशस्तये।।
देवा भवत वाजिनः।।

हिंदी अर्थ:- जल में अमृतोपम गुण है। जल में औषधीय गुण है। हे देवो! ऐसे जल की प्रशंसा से आप उत्साह और उर्जा प्राप्त करें।

अप्सु मे सोमो अब्रवीदन्तर्विश्वानि भेषजा।।
अग्निं च विश्वशम्भुवमापश्च विश्वभेषजीः।।

हिंदी अर्थ:- मुझ (मंत्रदृष्टा ऋषि) से सोमदेव ने कहा है कि जल में (जलसमूह में) सभी औषधियाँ समाहित हैं। जल में ही सर्व सुख प्रदायक अग्नि तत्व समाहित है। सभी
औषधियाँ जलों से ही प्राप्त होती हैं।

आपो यं वः प्रथमं देवयन्त
इन्द्रानमूर्मिमकृण्वतेळः।।
तं वो वयं शुचिमरिप्रमद्य घृतेप्रुषं मधुमन्तं वनेम।।1।।

हिंदी अर्थ:- हे जलदेव! देवत्व के इच्छुकों के द्वारा इन्द्रदेव के पीने के लिए भूमि पर प्रवाहित शुद्ध जल को मिलाकर सोमरस बनाया गया है। शुद्ध पापरहित, मधुर
रसयुक्त सोम का हम भी पान करेंगे।

याः सूर्यो रश्मिभिराततान याम्य इन्द्री अरदद् गातुभूर्मिम्।।
तो सिन्धवो वरिवो धातना नो यूयं पात स्वस्तिभिः सदा नः।।4।।

हिंदी अर्थ:- जिस जल को सूर्यदेव अपनी रश्मियों (किरणों) के द्वारा बढ़ाते हैं एवं इन्द्रदेव के द्वारा जिन्हें प्रवाहित (प्रवाह) होने का मार्ग दिया गया है, आप उन जलधाराओं से हमें धन-धान्य से परिपूर्ण करें तथा कल्याणप्रद साधनों से हमारी रक्षा करें।

तमूर्मिमापो मधुमत्तमं वोSपां नपादवत्वा शुहेमा।।
यस्मिन्निन्द्रो वसुभिर्मादयाते तमश्याम देवयन्तो वो अद्य।।2।।

हिंदी अर्थ:- हे जलदेवता! आपका मधुर प्रवाह सोमरस में मिला है। उसे शीघ्रगामी अग्निदेव सुरक्षित रखें। उसी सोम के पान से वसुओं के साथ इन्द्रदेव मत्त होते हैं।
हम देवत्त्व की इच्छावाले आज उसे प्राप्त करेंगे।

शतपवित्राः स्वधया मदन्तीर्देवीर्देवानामपि यन्ति पाथः।।
ता इन्द्रस्य न मिनन्तिं व्रतानि सिन्धुभ्यो हण्यं घृतवज्जुहोत।।3।।

हिंदी अर्थ:- ये जलदेवता हर प्रकार से पवित्र करके तृप्ति सहित प्राणियों में प्रसन्नता भरते हैं। वे जलदेव यज्ञ में पधारते हैं, परन्तु विघ्न नहीं डालते। इसलिए नदियों के निरंतर प्रवाह के लिए यज्ञ करते रहें।

यासु राजा वरुणो यासु सोमो विश्वेदेवा या सूर्जं मदन्ति।।
वैश्वानरो यास्वाग्निः प्रविष्टस्ता आपो दवीरिह मामवन्तु।।4।।

हिंदी अर्थ:- राजा वरुण औऱ सोम जिस जल में निवास करते हैं। जिसमें विद्यमान सभी देवी देवता अन्न से आनन्दित होते हैं, जिसमे अग्निदेव स्वयं निवास करते हैं, वे दिव्य जलदेव हमारी रक्षा करें।

विशेष- ‘जल देवियाँ’ (या जलमातृकाएँ) ये हैं- मत्सी कूर्मी, वाराही, दर्दुरी, मकरी, जलूका और जन्तुका।

समुद्रज्येष्ठाः सलिलस्य मध्यात्पुनाना यन्त्यनिविशमानाः।।
इन्द्रो या वज्री वृषभोरराद ता आपो देवीरिह मामवन्तु।।1।।

हिंदी अर्थ:- समुद्र जिनमें ज्येष्ठ है, वे जल प्रवाह सदा अन्तरिक्ष से आने वाले हैं। इन्द्रदेव स्वयं जिनका मार्ग प्रशस्त किया है, वे जलदेव यहाँ हमारी रक्षा करें|

यासां राजा वरुणो याति मध्ये सत्यानृते अवपश्यञ्जनानाम्।।
मधुश्चुतः शुचयो याः पावकास्ता आपो देवीरिह मामवन्तु।।3।।

हिंदी अर्थ:- सभी जगह व्याप्त होकर सत्य और मिथ्या (झूठ) के साक्षी वरुणदेव जिनके स्वामी हैं, वे ही रसयुक्ता, दीप्तिमती, शोधिका जल देवियाँ हमारी रक्षा करें|

या आपो दिव्या उत वा स्त्रवन्ति रवनित्रिमा उत वा याः स्वयञ्जाः।।
समुद्रार्था याः शुचयः पावकास्ता आपो देवीरिह मामवन्तु।।2।।

हिंदी अर्थ:- ऐसा दिव्य जल जो हमें वर्षा से प्राप्त होता है, जो नदियों में बह रहा है, जो खोदकर कुँए से मिलता है| ऐसा कोई भी जल श्रोत जो स्वयं प्रवाहित होकर समुद्र में मिल जाता है| ऐसा दिव्य जल हमारी रक्षा करे|

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Anurag Pathak
Anurag Pathak

इनका नाम अनुराग पाठक है| इन्होने बीकॉम और फाइनेंस में एमबीए किया हुआ है| वर्तमान में शिक्षक के रूप में कार्यरत हैं| अपने मूल विषय के अलावा धर्म, राजनीती, इतिहास और अन्य विषयों में रूचि है| इसी तरह के विषयों पर लिखने के लिए viralfactsindia.com की शुरुआत की और यह प्रयास लगातार जारी है और हिंदी पाठकों के लिए सटीक और विस्तृत जानकारी उपलब्ध कराते रहेंगे

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