भारत के प्रमुख शास्त्रीय नृत्य की सूची जानकारी (और राज्य) राज्यों के अनुसार | Indian Classical Dance list information in Hindi according to state wise
भारतीय शास्त्रीय नृत्य (Indian Classical dance) एक प्रकार का धार्मिक संगीत नृत्य है| इन नृत्यों के द्वारा विभिन्न पौराणिक कथाओं को शरीर के अंगों के हाव भाव (Expression), मुद्राओं के द्वारा वर्णन किया जाता है|
इंडियन क्लासिकल डांस के बारे में एक संस्कृत ग्रन्थ नाट्य शास्त्र में विस्तार से लिखा गया है| इस ग्रन्थ के रचियता भरत मुनि माने जाते हैं|
इसका सबसे पहला संकलन (Compilation) 200 BCE और 200 CE में बताया जाता है|
इस ग्रन्थ के अनुसार धार्मिक कला और नृत्य को मार्गी बताया गया है| इसके अर्थ है अध्यात्मिक पारंपरिक मार्ग जिसके माध्यम से हम ब्रह्म (परमात्मा) को प्राप्त कर निर्वाण (liberates the soul) को प्राप्त कर सकते हैं|
अब तक इस ग्रन्थ से 6000 श्लोक और 36 अध्याय का अध्ययन किया जा चूका है|
इस ग्रन्थ में शास्त्रीय नृत्य की भाग भंगिमाएं जैसे रस (rasa), भाव (bhava), अभिव्यक्ति (expression), इशारा (gestures), अभिनय (acting techniques), खड़े होने के आसन (standing postures) आदि के बारे में विस्तार से बताया गया है|
क्लासिकल डांस, नृत्य और कला का प्रदर्शन है जिसके माध्यम से अध्यात्मिक विचार, गुण, और हिन्दू शास्त्रों का सार बताया गया है|
नाट्य शास्त्र के अलावा भी अन्य ग्रन्थ हैं जिसमें क्लासिकल डांस के बारे में बताया गया है, इनमें प्रमुख है
- नाट्य शास्त्र
- अभिनय दर्पण
- अभिनव भारती
- नाट्य दर्पण
- भाव प्रकाश
8 प्रमुख भारतीय शास्त्रीय नृत्य की सूचि
8 Indian Classical Dance list in Hindi
संगीत नाटक अकादेमी के अनुसार 8 भारतीय शास्त्रीय नृत्यों को मान्यता दी है| लेकिन अन्य स्कॉलर छाऊ, यक्षज्ञान और भागवत मेला को भी इस सूची में शामिल करते हैं|
निचे हमने प्रमुख 8 तरह के प्रमुख भारतीय शास्त्रीय नृत्य (Indian Classical Dance) की सूची राज्यों के अनुसार दी है|
1. | भरतनाट्यम | तमिलनाडु |
2. | कथकली | केरला |
3. | कत्थक | उत्तर प्रदेश |
4. | मणिपुरी | मणिपुर |
5. | कुचिपुड़ी | आँध्रप्रदेश |
6. | ओडिसी | ओड़िसा |
7. | मोहिनीअट्टम | केरला |
8. | सत्त्रिया | असम |
1. भरतनाट्यम

इस नृत्य का मूल नाम सधिरत्तम (Sadhirattam) है| कृष्णा अइयर (Krishna Iyer) और रुक्मिणी देवी अरुन्दले ने सी नृत्य में कुछ परिवर्तन किये इसका नाम भरतनाट्यम रखा|
इस नृत्य के नाम में भारत का अर्थ है| “भा’ – “रा” – “ta”| भा का अर्थ है भाव, (feelings, emotions), रा का अर्थ है राग और ता का अर्थ है ताल|
और नाट्य एक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ है डांस| यह तमिलनाडु की प्रमुख क्लासिकल नृत्य शैली है|
इस नृत्य शैली में कविता संगीत नृत्य एवं नाट्य का अद्भुत समावेश होता है| इस नृत्य शैली की उत्पत्ति चोल काल में भारत के नाट्यशास्त्र से हुई है|
2. कथकली

यह कर्णाटक एवं मालाबार तट (केरल) की प्रधान नृत्य शैली है| यह पुरुष प्रधान नृत्य है| यह सामूहिक नृत्य होता है| इस नृत्य शैली का सर्वश्रेष्ठ प्रशिक्षण संस्थान भारतपुक्षा स्तिथ केरल कला मंडलम है|
कथकली शब्द को संधिविच्छेद करके देखें तो आता है ‘कथा’ जिसका मतलब है कहानी और ‘कलि’ जिसका अर्थ है ‘कला’ अर्थार्थ कहानी कहने की कला|
इस नृत्य के माध्यम से बुराई और अच्छाई के बीच युद्ध को नृत्य के माध्यम से कहानी के रूप में कहा जाता है|
इसमें नर्तक चहरे पर रंग लगाकर मुखोटा और मुकुट लगाता है| इसमें ज्यादातर पुरुष ही नृत्य करते हैं| यह नृत्य केरला में मलयालम बोलने वाले समाज के बीच में प्रसिद्द है|
लेकिन आज कल इसमें महिला कलाकार भी आ गई हैं|
कथकली नृत्य कैसे प्रारंभ हुआ इसके बारे में कोई ठोस साक्ष्य नहीं है| लेकिन 17वीं शताब्दी से कथकली अपने पूर्ण रूप में किया जा रहा है|
कुछ जानकारों के अनुसार यह नृत्य दक्षिण भारत के लोक नृत्य कुटीयट्टम से हुआ है|
इस डांस में संगीत, गीत, नृत्यकला, हाथ और चहरे के हाव भाव के साथ साथ भारतीय मार्सल आर्ट, और परंपरागत खेलों की भाग भंगिमाओं का भी समावेश है|
इस नृत्य के विषय (themes) लोक कथाएँ, धार्मिक किवदंतियां, अध्यात्मिक विचार है जो हिन्दू महाकाव्यों और पुराणों से लिए गए है| इस नृत्य के गीत संस्कृत मलयालम भाषा में होते हैं|
3. कत्थक (Kathak)

यह उत्तर भारत का प्रमुख शास्त्रीय नृत्य है| यह नृत्य भगवान् कृष्ण द्वारा किया गया था| इसलिए इसे नटवरी नृत्य भी कहते हैं| इस नृत्य के दो अंग हैं|
- ताण्डव
- लास्य
कथक शब्द कथा से आया है| या आप समझ सकते हैं कत्थक का अर्थ कथाकार से| सीधा सा अर्थ है नृत्य के माध्यम से कहानी कहना|
इसका उत्तर भारत का शास्त्रीय नृत्य है| यहाँ के राजा महाराजाओं के यहाँ पुराणों की कथा कहानियों को नृत्य के माध्यम से कहने के लिए इस नृत्य का उद्गम हुआ|
माना जाता है मध्य भारत में भक्ति आन्दोलन के समय यह नृत्य परंपरा प्रारंभ हुई| इसमें जयपुर, बनारस और लखनऊ घराने प्रमुख हैं|
इस नृत्य में पेरों, हाथों और आँखों की भाग भंगिमाओं (Expression) के द्वारा हिन्दू पौराणिक कथाओं को नृत्य के माध्यम से कहाँ जाता है|
यह नृत्य मुख्यतः भगवान् कृष्ण की कथाओं पर आधारित रहता है|
4. मणिपुरी (Manipuri dance)

यह नृत्य मणिपुर में सबसे अथिक प्रचलित है| इसे विकसित करने का श्रेय वहां के शासक भाग्यचन्द्र को जाता है| यह नृत्य एक प्रकार का रासलीला है|
इसमें 64 प्रकार के रासों का प्रदर्शन होता है| इसमें नर्तक एवं नर्तकियां राधा – कृष्ण एवं गोपियाँ का स्वरुप धारण कर मंच पर लीला करते हैं|
5. कुचिपुड़ी (Kuchipudi)

यह आंध्र प्रदेश का प्रसिद्द नृत्य है| इस नृत्य का मुख्य उद्देश्य वैदिक एवं उपनिषदों में वर्णित धर्म एवं अध्यात्म का प्रचार प्रसार करना है| भागवत एवं पुराण इसका मुख्य आधार है|
इसकी वेशभूषा सामान्यतः भरतनाट्यम नृत्यशैली के प्रकार की होती है| दशावतार शब्दम, प्रहलाद शब्दम, श्री राम पद्माभिशेकम शिवाजी शब्दम आदि कुचिपुड़ी शैली के अन्य नृत्य नाटक है|
6. ओडिसी (Odissi)

यह ओडिसा का प्रसिद्द नृत्य है| भगवान् जगन्नाथ को समर्पित यह नृत्य पूर्णतया अध्यात्मिक है| इस नृत्य में अंग संचालन, नेत्र संचालन, ग्रीवा संचालन, हस्त मुद्राओं, पद संचालन पर विशेष ध्यान दिया जाता है|
7. मोहिनीअट्टम (Mohiniyattam)

यह केरल का प्रसिद्द नृत्य है| भगवान विष्णु मोहिनी रूप धारण कर केरल तट पर यह नृत्य किये थे|
8. सत्त्रिया (Sattriya Dance)

अन्य भारतीय शास्त्रीय नृत्य
1. यक्षज्ञान (Yakshagana)
कर्णाटक के इस नृत्य की भाषा कन्नड़ एवं विधाय पौराणिक हिन्दू महाकाव्य है|
2. छऊ नृत्य (Chhau dance)
बिहार, ओड़िसा तथा पश्चिम बंगाल में प्रचलित एक प्रमुख लोक नृत्य है|
3. चाक्यारकुन्तु (Chakyar koothu)
यह केरल का प्रसिद्द नृत्य है|
4. कृष्णन अट्टम (Krishnanattam)
भगवान् कृष्ण की मुद्रा में आठ रातों तक नृत्य किया जाता है|
5. औटटनतुल्लल (Ottan Thullal)
यह केरल का प्रसिद्द नृत्य है| इसे गरीबों का कथकली कहा जाता है| इसमें मलयालम भाषा में वार्तालाप होती है| इसके जनक कुंजन नाम्बियार हैं|
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