होली हिन्दुओं का प्रमुख त्यौहार है| वैसे तो यह दो दिन मनाया जाता है लेकिन इसकी शुरुआत होलकाष्टक के लगने से ही हो जाती है यानि की आठ दिन पहले| बच्चे होलकाष्टक लगते ही थोड़ी थोड़ी होली खेलना शुरू कर देते हैं| लेकिन केवल 2 दिन ही पुरे तरीके से होली खेली जाती है पहले दिन जिसे छोटी होली बोलते हैं इस दिन विधि वत पूजा करके होलिका दहन किया जाता है|
आज हम विस्तार से चर्चा करेंगे की होलिका कैसे बनाते हैं | होलिका कैसे जलाई जाती है और कैसे होलिका की पूजा करें
होलिका कैसे बनाते हैं
सबसे पहले जहाँ पर आप होलिका स्थापित करना चाहते हैं उस जगह को गंगा जल से शुद्ध करके गाय के गोबर से लेप लें| एक लकड़ी का डंडा बिलकुल इस जगह पर
मध्य में गाड़ दें और गाय के गोवर से बनी मालाओं को इस डंडे में एक एक करके डाल दें |
अब होलिका की माला कैसे बनाएं
आप गाय के गोबर से तरह तरह के खिलोने की आकृति बनाकर उनकी माला बना लें | इस तरह की माला को गुलारी भी बोलते हैं जैसा की आप निचे चित्र में देख सकते हैं|
अब गाय के गोबर से ही बनी होलिका और प्रहलाद की मूर्तियों को अब मालाओं से बने ढेर के ऊपर रख दें|
अब गाये के गोबर से ही बने प्रतीक जैसे ढाल, तलवार, सूर्य, चन्द्रमा, तारे और दुसरे खिलोने इस ढेर पर जगह जगह सजा दें|
होलिका दहन पूजा विधि
वैसे तो आप अगर विधि वत पूजा नहीं करना चाहते हैं तो आप केवल मन में भगवान् का ध्यान कर केवल मोहल्ले की बड़ी होलिका से आंच लाकर अपने घर की होलिका का
दहन कर सकते हैं|
लेकिन आप यदि विधिवत पूजा करना चाहते हैं तो निचे दिए गए मन्त्रों से क्रमशः होलिका की पूजा करें और इसके बाद ही अग्नि प्रज्वलित करें|
लेकिन सबसे पहले निचे दी गई पूजा सामग्री की व्यवस्था कर लें
होलिका दहन पूजा सामग्री
- एक पानी का लोटा
- गाय के गोबर से बनी गुलारी
- रोली
- अक्षत (साबुत चावल)
- अगरबत्ती
- धुप
- फूलहल्दी
- मूंग दाल
- बताशा
- गुलाल
- नारियल
इसके अलावा गेंहू और चने की बाली भी जरुर होनी चाहिए जिन्हें होलिका की अग्नि में पकाकर आपस में सगे सम्बन्धियों और पड़ोसियों में बांटा जाता है और होली की
बधाइयाँ दी जाती हैं|
आइये अब होलिका दहन से पहले होने वाली विधिवत पूजा सीख लेते हैं|
सबसे पहले पूजा सामग्री को एक प्लेट में रख लें और एक लोटे में जल ले लें|
अब इस आंच को होलिका में बिलकुल मध्य में डालकर थोडा कपूर दाल दें और आंच को हाथ के पंखे से थोड़ी हवा दें| इससे थोड़ी ही देर में अग्नि प्रज्वलित हो जाएगी|
अब पूजा के स्थान पर उत्तर या पूर्व की दिशा में मुख करके बेठ जाएँ और भगवान् विष्णु को यादकर निचे दिया हुआ मन्त्र 3 बार पढ़ें| इस मन्त्र को श्रधा भाव से पढने से
भगवन विष्णु की आपके परिवार के ऊपर कृपा बनी रहेगी
ऊँ पुण्डरीकाक्ष: पुनातु।
अब आप पूजा का संकल्प करें और निचे दिया गया मन्त्र पढ़ें | इसके लिए अपने सीधे हाथ में चावल, फूल और जल ले लें|
ऊँ विष्णु: विष्णु: विष्णु: श्रीमद्भगवतो महापुरुषस्य विष्णोराज्ञया अद्य दिवसे (संवत्सर का नाम लें e.g. विश्वावसु) नाम संवत्सरे संवत् (e.g. 2069)
फाल्गुन मासे शुभे शुक्लपक्षे पूर्णिमायां शुभ तिथि (e.g. मंगलवासरे) गौत्र (अपने गौत्र का नाम लें) उत्पन्ना __ (अपने नाम का उच्चारण करें)
मम इह जन्मनि जन्मान्तरे वा सर्वपापक्षयपूर्वक दीर्घायुविपुलधनधान्यं शत्रुपराजय मम् दैहिक दैविक भौतिक त्रिविध ताप निवृत्यर्थं सदभीष्टसिद्धयर्थे प्रह्लादनृसिंहहोली इत्यादीनां
पूजनमहं करिष्यामि।
इस मन्त्र में जहाँ खली स्थान है प्रथम खाली स्थान पर हिन्दू कैलेंडर महीने का साल, दुसरे में वार, तीसरे में अपना गौत्र और चौथे में अपने नाम का उच्चारण और पूजा के उद्देश्य को अपने मन में दोहरा लें|
अब भगवान् गणेश की पूजा अर्चना करें और सीधे हाथ में चावल और फूल लेकर निचे लिखा हुआ मन्त्र पढ़ें
गजाननं भूतगणादिसेवितं कपित्थजम्बूफलचारुभक्षणम्।
उमासुतं शोकविनाशकारकं नमामि विघ्नेश्वरपादपमजम्॥
ऊँ गं गणपतये नम: पंचोपचारार्थे गंधाक्षतपुष्पाणि समर्पयामि।
अब सीधे हाथ में चावल, फूल और जल लेकर भगवान् विष्णु को याद करें और निचे लिखे हुए मन्त्र का उच्चारण करें
ऊँ नृसिंहाय नम: पंचोपचारार्थे गंधाक्षतपुष्पाणि समर्पयामि।
अब भक्त प्रहलाद को याद कर इनकी पूजा अर्चना करें और निचे लिखे हुए मन्त्र का उच्चारण करें|
ऊँ प्रह्लादाय नम: पंचोपचारार्थे गंधाक्षतपुष्पाणि समर्पयामि।
अब होलिका के समक्ष खड़े होकर निचे दिए गए मन्त्र का उच्चारण करें और होलिका से प्रार्थना करें की आपकी सभी मनोकामना पूरी हो
असृक्पाभयसंत्रस्तै: कृता त्वं होलि बालिशै:
अतस्त्वां पूजयिष्यामि भूते भूतिप्रदा भव:॥
अब होलिका पर चावल, फूल, मूंग दाल, हल्दी और नारियल चढ़ाएं| अब सूती धागे से सात बार होलिका को बाँध दें|
इसके बाद होलिका पर जल चढ़ाएं|
होलिका कैसे जलाते हैं
सबसे पहले आपके मोहल्ले में जलने वाली होलिका से थोड़े आंच ले आयें | इसी आंच से घर पर बनाई गई होलिका जलाई जाती है| होलिका जलाने से पहले प्रहलाद की
मूर्ति को होलिका से हटा लें|
इसके अलावा गाय के गोबर से बनी चाल मालाएं (गुलारी) बचा कर रख लें | इसमें एक माला पूर्वजों की, दूसरी हनुमान जी के नाम की, तीसरी शीतला माता की और
चौथी परिवार के नाम की निकाली जाती है|
अब आंच को अपने घर की होलिका के मध्य रख दें और एक कपूर डाल दें| थोड़ा हाथ के पंखे से हवा दें अग्नि प्रज्वल्लित हो जाएगी |
जैसे ही अग्नि प्रज्वल्लित हो होलिका मैया का जयकारा लगायें| अब सभी लोग होलिका की 7 परिक्रमा करें
परिक्रमा करने के बाद गेंहू और चने की बाली को होलिका की अग्नि में पकायें| आप पापड़ भी इस अग्नि में पका सकते हैं|
जैसे ही यह पक जाएँ अब सभी लोग आपस में एक दुसरे को पके हुए गेंहू और चने देकर होली की मुबारकबाद देते हैं और छोटे बड़ों के पैर छूकर आशीर्वाद लेते हैं|
2021 में होली का डंडा कब गड़ेगा