होली क्यों मनाई जाती है | होली की कथा और महत्त्व | Why Holi is celebrated in Hindi

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होली (होलिका दहन) की कथा (कहानी) महत्त्व और होली क्यों मनाई जाती है| Why Holi festival is celebrated History story in Hindi, 2019 में होली कब है शुभ मुहूर्त|

दोस्तो, हिन्दू धर्म में हर एक दिन त्यौहार का ही दिन होता है| लेकिन कुछ बड़े त्यौहार हैं जिनका सभी भारतीयों को इंतज़ार रहता है| इन्हीं में से एक त्यौहार है होली (Holi)|

आपके दिमाग में कई प्रश्न कोतुहल के रूप में घूम रहे होंगे| मसलन होली क्यों मनाई जाती है, होली का महत्त्व और इसका इतिहास क्या है, होली मनाने के पीछे क्या कहानी और कथा है वगेरहः वगेरहः|

आज आपके सारे प्रश्नों के सवाल मिलने वाले हैं बस अंत तक आपको हमारे साथ बने रहना है|

साल 2021 में होली कब है |

Holi Festival 2021 Date and Timings

दोस्तो हिन्दू धर्म में सभी त्यौहार हिंदी पंचांग (कैलेंडर) की तिथि के अनुसार मनाये जाते हैं| होली का त्यौहार फाल्गुन माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है|

सामान्यतः होली (Holi) वाले दिन माना जाता है सर्दियाँ ख़त्म हो गई, इस दिन सर्दी के कपडे संदूक में रख दिए जाते हैं और गर्मियों की शुरुआत हो गई है ऐसा माना जाता है|

होली के त्यौहार का उत्सव बसंत के मौसम का आगमन होता है| 2021 में होली (Holi) का त्यौहार 29 मार्च 2021 गुरूवार को मनाया जाएगा इस दिन रंग वाली होली है इसे बड़ी होली भी कहा जाता है|

इससे एक दिन पहले 20 मार्च को होलिका दहन है इसे छोटी होली के नाम से भी जाना जाता है|

छोटी होली (होलिका दहन) 2021

छोटी होली (होलिका दहन)28 मार्च
होलिका दहन मुहूर्त06:37 से 08:56 शाम को
भद्रा पूंछ17:23 से 18:24
भद्रा मुख18:24 से 20:07

रंग वाली होली 2021

रंग वाली होली29 मार्च
पूर्णिमा तिथि आरंभ03:27 AM (28 मार्च)
पूर्णिमा तिथि समाप्त12:17 AM (29 मार्च)

लेकिन ब्रज में होली बसंत पंचमी से ही शुरू हो जाती है, बीच बीच में ब्रज के अलग अलग स्थानों जैसे मथुरा वृन्दावन, गोकुल, बरसाना और दाऊजी में अलग अलग दिन जोर शोर से मंदिरों में होली मनाई जाती है|

यहाँ क्लीक करके जाने ब्रज के बिभिन्न स्थानों की होली की तारीख

होली क्यों मनाई जाती है

Why Holi is Celebrated in Hindi

होली क्यों मनाई जाती है

होली का त्यौहार हिन्दू पोराणिक कथाओं के अनुसार बुराई पर अच्छाई की जीत पर मनाया जाता है| इस दिन स्वयं भगवान् विष्णु ने आकर एक दुष्ट राक्षस का संघार करके अपने भक्तों को इससे मुक्ति दिलाई थी|

होली को कई नामों से जाना जाता है जैसे होलिका दहन, धुलेटी, धुलंडी और फगवा

होली की कथा | Holi Story in Hindi

भगवान विष्णु, प्रहलाद और हिरन्यकश्यप कथा |
holi story in hindi

एक बार एक हिरन्यकश्यप नाम से एक राक्षस था| वह बड़ा दुष्ट था और प्रजा पर बहुत अत्याचार करता था| उसने और शक्तिशाली होने के लिए भगवन विष्णु की घोर तपस्या की|

भगवन प्रसन्न हुए, प्रकट हुए और हिरन्यकश्यप से वरदान मागने के लिए कहा| उसने भगवान् से अमर होने का वरदान माँगा लेकिन भगवान् ने कहा इस प्रथ्वी पर ऐसा कोई नहीं जिसकी म्रत्यु न हो|

इस पर हिरन्यकश्यप ने चतुराई दिखाते हुए एक वरदान माँगा| की हे प्रभु मुझे ऐसा वरदान दो की मुझे न कोई मनुष्य मार पाए और न ही जानवर, में न शस्त्र से मारा जाऊं और नहीं अस्त्र से, में न रात को मारा जाऊं और न ही दिन में, मेरी म्रत्यु न घर के बाहर हो और न घर के भीतर|

इस पर भगवन विष्णु ने कहा तथास्तु ऐसा ही होगा| यह वरदान पाकर हिरन्यकश्यप में और अहंकार आ गया और अपने आपको भगवान् तुल्य मानने लगा|

अपनी समस्त प्रजा को इसने आज्ञा दी की इस राज्ये में अब केवल उसी की पूजा की जाएगी और कहा में खुद अब भगवान् हूँ|

लेकिन हिरन्यकश्यप का पुत्र भगवान् विष्णु का ही भक्त था| वह हमेशा विष्णु की भक्ति में ही लीन रहता था| लेकिन दुष्ट हिरन्यकश्यप को यह गंवारा नहीं था|

उसने पाने पुत्र को समझाने की बहुत कोशिश की, डराया धमकाया की विष्णु की पूजा न करे| लेकिन प्रहलाद का विश्वास और श्रद्धा भगवान् विष्णु के प्रति अटल थी|

अंततः हिरन्यकश्यप ने अपने ही पुत्र को मौत के घाट उतरने का निर्णय कर लिया| एक बार प्रहलाद को पहाड़ से निचे फेंका गया लेकिन भगवान् विष्णु ने प्रह्लाद को बचा लिया|

इसी प्रकार हिरन्यकश्यप ने कई प्रयास किये लेकिन हर बार विष्णु भगवान् ने अपने भक्त को बचाया| अंततः हिरन्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका से मदद मांगी|

होलिका को आग में न जलने का वरदान प्राप्त था| उसने कहा में प्रहलाद को आग में लेकर बेठुंगी और प्रहलाद उस आग में जल जाएगा|

लेकिन जैसे ही होलिका प्रहलाद को आग में लेके बेठी| वह खुद ही आग में जल गई और प्रहलाद को भगवान् विष्णु ने बचा लिया|

क्रोध में आकर अब हिरन्यकश्यप ने खुद ही प्रहलाद को मारने के लिए दोडा| प्रह्लाद ने भगवान् विष्णु का आह्वान किया|

भगवान् विष्णु महल में स्थित एक खम्बे को फाड़कर नरसिंह भगवान् के रूप में प्रकट हुए| और हिरन्यकश्यप को अपनी जांघों पर लिटाकर अपने नाखूनों से उसका पेट फाड़ दिया|

होलिका राक्षसनी के मरने के दिन होलिका दहन किया जाता है| प्रतीकात्मक रूप से गोबर के कंडों और लकड़ियों से होलिका बनाई जाती है|

2019 में 20 मार्च को यह दिन आएगा| इसके अगले दिन रंगों और गुलाल के माध्यम से होली मनाई जाती है|

कृष्ण भगवान् और होली के त्यौहार का सम्बन्ध
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उत्तर भारत के ब्रज क्षेत्र में जहाँ केवल कृष्ण को ही पूजा जाता है| होली त्यौहार को मनाने का एक और पुराणिक महत्त्व है|

कृष्ण जब गोकुल में थे तो इन्हें मारने के लिए कंस ने पूतना को भेजा| पूतना ने अपने स्तनों पर जहर लगा कर कृष्ण को दूध पिलाया|

कृष्ण तो स्वयं भगवान् थे तो इनपर किसी भी प्रकार के जहर का असर नहीं हुआ लेकिन पूतना की म्रत्यु हो गई| लेकिन पूतना के जहर से भगवान् श्री कृष्ण कर रंग गहरा नीला पड़ गया|

भगवान् कृष्ण अपने काले रंग से बहुत निराश रहते थे| माता यशोदा को कृष्ण का दुःख देखा नहीं जाता था| एक दिन माता यशोदा ने कृष्ण को कहा, अरे कृष्ण ऐसा कर राधा के पास जा और राधा से जो तुझे रंग पसंद हो उस रंग से अपने रंग को रंगवा ले|

यह सुनकर कृष्ण राधा के पास गए राधा ने रंग लगाया और उसी समय से होली पर रंग लगाने की प्रथा शुरू हो गई|

ब्रज में फागुन के पूरे महीने होली का उत्सव मनाया जाता है|

शैव और शक्ति सम्प्रदाय और होली का सम्बन्ध
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शैव संप्रदाय शिव की पूजा करता है और शक्ति संप्रदाय माँ पार्वती के अनेक रूपों की| इन सम्प्रदायों में एक पोराणिक कथा प्रचलित है|

एक बार भगवान् शिव ध्यान योग में थे| कई वर्ष शिव को ध्यान योग में बीत गए| यह देख पार्वती चिंतित हो गई| माँ पार्वती ने कामदेव (इच्छा के देवता) से मदद मांगी|

बसंत पंचमी के दिन, कामदेव ने भगवान् शिव पर काम के बाण चलाये| बाणों के प्रहार से भगवान् शिव ने अपनी आँखे जैसे ही खोली उनके तप से कामदेव वहीं जलकर राख हो गए|

यह देख कामदेव की पत्नी रति (कामदेवी) बहुत दुखी हुई| और 40 दिन तक भगवान् शिव की तपस्या की| इससे भगवान् शिव को अपनी गलती का एहसास हुआ और कामदेव को पुनः जीवित किया|

कामदेव के पुनः जीवित होने की ख़ुशी में भी वसंत पंचमी के 40 दिन के बाद होली के रूप में इस दिन को मनाया जाता है|

होली के अलग अलग रंग जीवन की विभिन्न इच्छाओं और कामनाओं का प्रतीक है| इन रंगों के जरिये देवता कामदेव के पुनः जीवित होने की ख़ुशी मनाते है|

होली त्यौहार का महत्त्व (Importannce of Holi Festival in Hindi)

होली का महत्व, Holi festival importance in hindi

होली का महत्त्व अलग अलग हिन्दू सम्प्रदाय के लिए अलग अलग हो सकता है लेकिन निम्नलिखित समानताये हैं|

  • यह त्यौहार भूतकाल में हुई गलतियों को भूलने के लिए मनाया जाता है|
  • एक दुसरे के रंग लगाकर और गले मिलकर मतभेदों को भुलाने का भी दिन है
  • यह एक दुसरे से माफी माँगने और मांफ करने का भी दिन है
  • होली, बसंत के मौसम के आने की आहट है, कई हिन्दुओं के लिए हिन्दू कैलेंडर के अनुसार नए साल की शुरुआत है|
  • यह त्यौहार ने दोस्त और दुश्मनों से भी गले मिलकर उन्हें दोस्त बनाने का त्यौहार माना जाता है|

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होली खेलते समय बरते यह सावधानी

  • आज कल रंगों में मिलावट बहुत आ रही है, कोशिश करें केवल गुलाल से ही होली खेलें, केमिकल बाले रंगों से दूर ही रहें|
  • होली के त्यौहार पर मिठाइयों में बहुत मिलावट होती है, इसलिए केवल भरोसे की दूकान से ही मिठाई लें|
  • किसी को भी रंग लगाने से पहले पूछ लें क्योंकि आज कल लोगों का खून कुछ ज्यादा ही गरम हो गया है, लड़ाई झगडे का खतरा है| आज कल छोटी छोटी बातों पर ही खून खराबा हो जाता है|
  • साथ ही भांग की ठंडाई और अन्य ठन्डे पेय का सेवन सावधानी से करें कोई उसमें नशीली चीज मिलकर आपसे बदला ले सकता है|
  • बस आपको कुछ चीजों का ख़याल रखना हैं| viralfactsindia.Com की टीम की तरफ से आपको होली की बहुत बहुत शुभकामनाएं

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Anurag Pathak
Anurag Pathak

इनका नाम अनुराग पाठक है| इन्होने बीकॉम और फाइनेंस में एमबीए किया हुआ है| वर्तमान में शिक्षक के रूप में कार्यरत हैं| अपने मूल विषय के अलावा धर्म, राजनीती, इतिहास और अन्य विषयों में रूचि है| इसी तरह के विषयों पर लिखने के लिए viralfactsindia.com की शुरुआत की और यह प्रयास लगातार जारी है और हिंदी पाठकों के लिए सटीक और विस्तृत जानकारी उपलब्ध कराते रहेंगे

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