गणगौर पूजा विधि और गीत | Gangaur Pooja Vidhi and Song in Hindi

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गणगौर त्यौहार की पूजा विधि और गीत हिंदी में | Gangaur Pooja Vidhi and song in Hindi | किवाड़ी, हींडा, चुनड़ी, टीकी, चोपड़ा, पाटा धोने का गीत,

गणगौर राजस्थान का प्रमुख त्यौहार है| यह पर्व रंगीली होली के दुसरे दिन से शुरू होकर चेत्र शुक्ल पक्ष की तृतीया तक चलता है|

चेत्र शुक्ल पक्ष की तृतीया को गणगौर त्यौहार का समापन होता है और इस दिन गणगौर की विधि विधान से बड़ी पूजा की जाती है|

इस दिन महिलाएं गणगौर का व्रत रखती हैं, इस व्रत को गौरी तृतीय व्रत और सौभाग्य गौरी व्रत कहा जाता है

यह मुख्यतः महिलाओं का त्यौहार है और विवाहित और अविवाहित दोनों इस त्यौहार को बड़े हर्षौल्लास के साथ मनाती हैं|

आइये चर्चा करते हैं आप कैसे इस त्यौहार को पूरे विधि विधान के साथ मनाएंगी| गणगौर की पूजा की साम्रगी से लेकर पूजा विधि व्रत कथा और गणगौर के गीत की सम्पूर्ण जानकारी आपको देने वाले हैं|

आप बस अंत तक हमारे साथ बने रहिये|

गणगौर पूजा विधि

Gangaur Pooja Vidhi in Hindi

जैसा की हमने पहले बताया गणगौर का त्यौहार रंगीली होली के दुसरे दिन से शुरू हो जाता है| इस बार 2019 में रंगीली होली 21 मार्च की है|

दुसरे दिन (22 मार्च) चेत्र माह की प्रतिपदा है इसी दिन से गणगौर का उत्सव आरंभ हो जाता है और चेत्र मास शुक्ल पक्ष की तृतीया को समापन हो जाता है|

विवाहित स्त्री अपनी पहली गणगौर मायके में ही मनाती है| सोलह दिन तक महिलाएं सुबह दूब और फूल के साथ गणगौर का पूजन करती हैं|

विवाहित महिलाएं, अपनी पहली गणगौर पर गुणे तथा सास के कपड़ो का बायना (गिफ्ट) निकालकर सुसराल में भेजती हैं| ऐसा केवल प्रथम वर्ष में ही होता है|

इसके बाद की बाकि गणगौर अपने सुसराल में ही मनाती हैं| यह माना जाता है, गणगौर कभी भी अकेले नहीं मनाते, विवाहित स्त्री सोलह कुंवारी कन्याओं को सुपारी देकर गणगौर मनाए के लिए आमंत्रित करती हैं|

लेकिन अब परंपरा कौन निभा रहा है, जितना हो सके उतना तो कर ही लेना 🙂 🙂

जहाँ गणगौर पूजा (Gangaur Pooja) की जाती हैं, वह पार्वती जी का पीहर माना जाता है| चेत्र मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया को गणगौर (पार्वती) का विसर्जन किया जाता है| विसर्जन का अर्थ है पार्वती जी को विदा करके वापस सुसराल भेजा जाता है|

गणगौर पूजा सामग्री (Gangaur Pooja Items)

सबसे पहले सभी बहनों को पूजा के सामान के बारे में बता दे रहे हैं| निचे दिया हुआ सारा सामान इकठ्ठा कर लेओ,

सब कुछ बाज़ार में मिलता है नहीं तो ऑनलाइन भी उपलव्ध है| कोन्हू चिंता करने की जरुरत न है, आओ चलो पहले सामान देख लेओ|

  1. लकड़ी की चौकी/बाजोट/पाटा
  2. दो मिटटी छोटे गमले
  3. दीपक (मिटटी)
  4. ताम्बे का कलश
  5. होली की राख/काली मिटटी
  6. रोली (कुमकुम)
  7. मोली (कलावा)
  8. अक्षत (चावल)
  9. मेहंदी, काजल, हल्दी
  10. कोडी
  11. गुलाल
  12. अबीर
  13. दूब, फूल
  14. कंघी
  15. सुपारी
  16. नारियल
  17. पान के पत्ते
  18. सिक्का
  19. कनेर के पत्ते (पाटा)
  20. गुणे
  21. फल
  22. घेवर
  23. हलवा पूरी
  24. सवा मुट्ठी गेंहू
  25. चुनरी का कपडा
  26. गणगौर के कपडे

गणगौर पूजा विधि (Gangaur Pooja vidhi in Hindi)

गणगौर वैसे तो पूरे 16 दिन तक पूजी जाती हैं, लेकिन आप अंतिम दिन चेत्र शुक्ल पक्ष की तृतीया को भी केवल पूज सकते हैं|

आजकल के नए जमाने के बच्चन पे टेम ही कहाँ है आखिरी दिन ही गणगौर की पूजा (Gangaur Pooja) कर लें तो भोत जानों|

आओ चलो कछु सीख लो कैसे करोगी पूजा|

  1. सबसे पहले लकड़ी की चौकी ले लें, उस पर एक लाल सूती कपडा बिछा दें,
  2. ताबें और स्टील का कलश लें उसमें पानी भरें और पान के पांच पत्ते कलश के मुहं के चारों तरफ रख के उसके ऊपर एक जटा वाला नारियल रख दें|
  3. अब चौकी पर जो आपने लाल कपडा बिछाया है उसके बिलकुल मध्य में सातिया बनाएं, आप कुमकुम और चावल से सातिया बना सकते हैं|
  4. अब चौकी पर चाँदी के सिक्के रखें और एक सुपारी पर कलावा बांध कर इसे चौकी पर रख दें| सुपारी गणेश जी का स्वरुप माना जाता है|
  5. कई लोग लकड़ी की चौकी की जगह जमीन पर ही मिटटी और गोबर से चौकी बना लेते हैं|
  6. होलिका दहन की राख आप पहले ही ले आयें| इस राख से 8 पिंडियाँ बनाएं और 8 गोबर से बनाएं| कई लोग सभी पिंडियाँ होली की राख से ही बनाते हैं|
  7. दीवार पर एक सफ़ेद कागज़ लगा कर, कुंवारी कन्याएं आठ आठ और विवाहित सोलह सोलह टिक्की क्रमशः कुमकुम, हल्दी, मेहंदी और काजल की लगाती हैं|
  8. एक थाली में अब रोली, सुपारी, कोडी, फूल, दूब पाठे (कनेर के पत्ते), जल कलश लें|
  9. लड़कियां एक लोटे में जल, दूब व फल ले कर आयें और इसके गीत भी गाएं|
  10. सबसे पहले चोका धोएं, आप पानी भी दूब में लेकर छिड़क सकते हैं, फिर सोलह बार गणगौर की पूजा करें|
  11. पिंडियों पर दूब की सहायता से जल छिडकें|
  12. पिंडियों पर रोली और अक्षत लगायें|
  13. खेल का गीत गाने के बाद कौड़ी छल्ला पिंडियों के लगाकर आँख को लगाना चाहिए|
  14. शीतला माता (बासोड़े) तक इसी प्रकार से पूजा करें|
  15. शीतला माता (बसोड़े) वाले दिन दोपहर को गाजे बाजे के साथ ईसर जी, गणगौर के साथ परिवार के पांच सदस्यों और दो खाली गमले, कुम्हार के यहाँ से लाने की परंपरा है|
  16. एक गमले में ईसर जी गणगौर और इनके परिवार को बिठाया जाता है, और दुसरे गमले में मिटटी डालकर ज्वारे उगाये जाते हैं|
  17. ईसर जी के पूरे परिवार को सुन्दर कपडे पहनाएं, गणगौर जी का सोलह श्रृंगार करें
  18. आप एक छोटा झूला भी ला सकते हैं जिसमें गणगौर और ईसर जी को बिठा सकते हैं|
  19. अब प्रत्येक दिन मेहंदी काजल रोली की बिंदी गणगौर और इनके परिवार को लगाकर पूजन करें| दूब और जवारे चढ़ाएं|
  20. जवारे, चूंदड और हिंडे के गीत गायें|
  21. पूजा करने के बाद सूर्य को अरग दिया जाता है, अरग देते समय सूरज को अरग देने का गीत भी गायें|
  22. इस तरह इन सभी का प्रतिदिन पूजन होता है और गणगौर की तीज को उधापन किया जाता है और सभी वस्तुएं विसर्जित कर दी जाती हैं|
  23. पूजन के बाद गणगौर की कहानी, गणेशजी की कहानी और लपसी तपसी की कहानी सुनी जाती है|

अब आप समझ गए होंगे होली के दुसरे दिन से शीतला माता (बासोड़े) तक पिंडियों की पूजा की जाती है| बासोड़े वाले दिन गाजे बाजे के साथ ईसर जी और गणगौर के परिवार को कुम्हार के यहाँ से लाया जाता है|

इस दिन से गणगौर तृतीय तक पिंडियों की और गणगौर के परिवार की पूजा की जाती है|

गणगौर तीज वाले दिन व्रत और पूजा उद्धापन कर दिया जाता है और गणगौर जी को पास के किसी पोखर और नदी में विसर्जित कर दिया जाता है|

गणगौर के गीत

आइये अब चर्चा करते हैं सभी गणगौर के गीतों की जो आपको गणगौर की पूजा (Gangaur Pooja) करते समय गाने चाहिए|

पूजा शुरू करते समय किवाड़ी खुलवाने का गीत

यह गीत गणगौर की पूजा (Gangaur Pooja) करने से पहले गाया जाता है, आप एक तरह से समझ लें की गणगौर माता को जगाया जा रहा है या उन्हें घर में प्रवेश दिया जा रहा है|

गौर ए गणगौर माता खोल ए किवाड़ी
बाहर ऊबी थारी पूजण वाली।
पूजो ए पूजो बाईयां , काई काई मांगों
म्हे मांगा अन्न धन , लाछर लक्ष्मी।
जलहर जामी बाबुल मांगा, राता देई मायड़
कान कंवर सो बीरो मांगा , राई सी भौजाई।
ऊँट चढयो बहनोई मांगा , चूंदड़ वाली बहना
पूस उड़ावन फूफो मांगा , चूड़ला वाली भुवा।
काले घोड़े काको मांगा , बिणजारी सी काकी
कजल्यो सो बहनोई मांगा , गौरा बाई बहना।
भल मांगू पीहर सासरो ये भल मांगू सौ परिवार ये
गौर ए गणगौर माता खोलए किवाड़ी।

गणगौर के गीत पूजा करते समय

गीत ( 1 )

गौर गौर गोमती ईसर पूजे पार्वती
पार्वती का आला-गीला , गौर का सोना का टीका
टीका दे , टमका दे , बाला रानी बरत करयो
करता करता आस आयो वास आयो
खेरे खांडे लाडू आयो , लाडू ले बीरा ने दियो
बीरो ले मने पाल दी , पाल को मै बरत करयो
सन मन सोला , सात कचौला , ईशर गौरा दोन्यू जोड़ा
जोड़ ज्वारा ,गेंहू ग्यारा , राण्या पूजे राज ने , म्हे पूजा सुहाग ने
राण्या को राज बढ़तो जाए , म्हाको सुहाग बढ़तो जाय ,
कीड़ी- कीड़ी , कीड़ी ले , कीड़ी थारी जात है , जात है गुजरात है ,
गुजरात्यां को पाणी , दे दे थाम्बा ताणी
ताणी में सिंघोड़ा , बाड़ी में भिजोड़ा
म्हारो भाई एम्ल्यो खेमल्यो , सेमल्यो सिंघाड़ा ल्यो
लाडू ल्यो , पेड़ा ल्यो सेव ल्यो सिघाड़ा ल्यो
झर झरती जलेबी ल्यो , हरी -हरी दूब ल्यो गणगौर पूज ल्यो
इस तरह सोलह बार बोल कर आखिरी में
बोले एक-लो , दो-लो ,तीन लो ……..सोलह-लो।

गीत ( 2 )

ऊँचो , चवरो , चोकुंटो , जल जमना रो नीर मंगाय।
जठ ईशर जी सांपज ,बाई गवरा गवर पूजाय।
गवर पूजावंता यूं केब ,सायब आ जोड़ी अबछाल राख
अबछल पीवर सासरो , ए बाई ,अब छल सो परिवार ,
ऊँचो चवरो चोकुंटो जल जमना रो नीर मंगाय।

(अपने घर वालो के नाम लेते जाएँ )

गणगौर के गीत हिंडा के

गणगौर को झूला झुलाने का गीत

चम्पा री डाली , हिन्डो माण्डयो , रेशम री गज डोर।
जी ओ म्हे हिन्डो माण्डयो।
म्हारे  हिंडोल इशरदास जी पधारया , ले बाई गवरा ने साथ।
जी ओ म्हे हिन्डो माण्डयो।
होले से झोटो दिया ओ पातलीया डरप लो नाजूक जीव।
जी ओ म्हे हिंडो मण्डियों।
चम्पल री डाली हिंडो मांडियो ,रेशम री  गज डोर।
जी ओ म्हे हिंडो मंड्यो।

( बेटी जवाई के नाम लेते जाएँ  )

गणगौर के गीत चूनड़ी के

गीत ( 1 )

ईशरदास जी बीरो चूनड़ी रंगाई बाई रोवां के दाय नहीं आई रे
नीलगर ओज्यूँ रंग दे म्हारी चुनड़ी
अल्ला रंग दे पल्ला रंग दे।
म्हारे माथे पे मोरिया छपाई दे नीलगर।

(भाई बहन का नाम लेना हैं, ईशरदास जी की जगह भाई का नाम, और रोवा की जगह बहन का नाम )

गीत ( 2 )

चमकण घाघरो चमकण चीर , बोलबाई रोवां कुण थारा बीर
बड़ो बड़ो म्हारो ईशरदास बीर बांसयुं छोटो कानीराम बीर
चुनरी ओढावे म्हारो ईशरदास बीर माय स्यु मिलावे म्हारो छोटो कानीराम बीर।
चमकण लागे घाघरा चमकण चीर …

(भाई का बहन का नाम लेते हैं)

गणगौर का गीत टीकी का

अम्बो तो जाम्बा टीकी ,पाना तो पल्ला टीकी
हरो नगीनों टीकी सोना की
या टीकी गौरा बाई ने सोवे
ईशरदास जी बैठ घडावे टीकी
अम्बो तो जाम्बा

( इसी प्रकार सबके नाम लेने हैं )

गणगौर का गीत चोपड़ा का

गौर थारो चोपडो माणक मोती छायो ऐ
माणक मोती छायो ऐ यो तो सच्चा मोती धायो ऐ
ब्रह्मदास जी रा ईसरदास  जी रोली रंग लाया ऐ
ईसरदास जी रा कानीराम जी परण पधराया ऐ
परण पधारया वाकी माया टीका काड़या ऐ
रोली  का वे टीका काड़या ऊपर चावल चेपया ऐ
गौर थारो चोपडो माणक मोतिया छायो ऐ
माणक मोतिया छायो ऐ वो तो सच्चा मोती छायो ऐ।

(ब्रह्मदास जी की जगह दादा ससुर जी का,ईसरदास की जगह पति का और कानीराम जी की जगह पुत्र का नाम लेना चाहिए )

पूजन के बाद के गीत

पाटा धोने का गीत –

पाटो धोय पाटो धोय, बीरा की बहन पाटो धो,
पाटो ऊपर पीलो पान, म्हे जास्या बीरा की जान .
जान जास्या, पान जास्या, बीरा ने परवान जास्या
अली गली मे, साप जाये, भाभी तेरो बाप जाये .
अली गली गाय जाये, भाभी तेरी माय जाये .
दूध मे डोरों , म्हारों भाई गोरो
खाट पे खाजा , म्हारों भाई राजा
थाली मे जीरा म्हारों भाई हीरा
थाली मे है, पताशा बीरा करे तमाशा
ओखली मे धानी छोरिया की सासु कानी ..

गणगौर का गीत ओड़ो खोड़ो

ओड़ो कोड़ो छ रावलो ये राई चन्दन को रोख
ये कुण गौरा छै पातला ऐ कुणा माथ ऐ मोल
ईसरदास जी गोरा छ पातला ऐ ब्रह्मा माथे मोल
बाई थारो काई को रूसणो ये काई को सिंगार
बाई म्हारे सोना को रूसणों ऐ मोतिया रो सिंगार
अब जाऊँ म्हारे बाप के ऐ ल्याउली नौसर हार
चौसर हार गढ़ाए ,पाटे पुवाए गोरक सुधों मूंदडो ,
गोरा ईसरदास जी ब्रह्मदास जी जोगो मूंदडो ,
वाकी रानिया होए बाई बेटिया होए आठ गढ़ाए पाटे पुवाए गोरक सुधो मूंदडो
गोरा चाँद ,सूरज ,महादेव पार्वती जोगो मूंदडो
गोरा मालन , माली ,पोल्या -पोली जोगो मूंदडो मूंदड़ो ,

(अपने घर वालों के नाम लेने है )

गणगौर का गीत बधावा का

चाँद चढ़यो गिरनार , किरत्यां ढल रही जी ढल रही
जा बाई रोवा घरा पधार माऊजी मारेला जी मारेला
बापू जी देवला गाल ,बडोड़ो बीरो बरजेलो जी बरजेलो ,
थे मत दयो म्हारी बाई न गाल ,बाई म्हारी चिड़कोली जी चिड़कोली।
आज उड़ पर बात सवार बाई उड़ ज्यासी जी उड़ ज्यासी ,
गोरायारं दिन चार जावईडो ले जासी जी ले जासी

(घर की बहन बेटियो का नाम लेना है )

गणगौर का गीत ज्वारा का

म्हारा हरया ए ज्वारा ऐ ,गेन्हूला सरस बध्या
गोरा ईसरदास जी रा बायां ऐ वाकी रानी सींच लिया
गोरा ब्रह्मदास जी रा बायां ऐ वाकी रानी सींच लिया
वे तो सींच न जाने ये आड़ा ऊबा सरस बध्या
बाई रो सरस पोटलों ये ,गेंहूडा सरस बध्या
म्हारा हरिया ए ज्वारा ये गेन्हुला सरस बध्या
गोरा चाँद सूरज बाया ये वाकी रानी सींच लिया
वे तो सींच न जाने ये आड़ा ऊबा सरस बध्या
बाई रो सरस पोटलो ये गेन्हुला सरस बध्या
मालीदास जी ,पोलीदास जी बाया ऐ वाकी रानी सींच लिया
वे तो सींच न जाने ये आड़ा ऊबा सरस बध्या

(सभी घर वालों के नाम लेने हैं )

सूरज को अरक देने का गीत

अल खल नदी जाय यो पाणी कहा जाय
आदो जाती अणया गलया आदो ईसर न्हासी
ईसर थे घरा पदारो गौरा जायो बैटो
अरदा लाओ परदा ल्याओ बन्दर बाल लगाओ
सार कीए सूई भाभी पाट काए तागा
सीम दरजी बेटा ईसर जी का बागा
सीमा लार सीमा आला मोत्या की लड़ -जड़ पोउला थे चालो म्हे आवला।

गणगौर को पानी पिलाने का गीत

म्हारी  गोर तिसांई  जी ,राज घटियांरो मुकुट करो।
म्हारी गँवरा पानीडो सो पाय घटियांरो मुकुट करो
म्हारी गवर तिसांई ओ राज घाटयांरो मुकुट करो।
ब्रह्मदास जी रा ईशरदास जी ओ राज  घाटयांरो मुकुट करो।
म्हारी गवरा पानीड़ो पिलाय घांटा रो मुकुट करो।
म्हारी गवरा तिसाई ओ राज  घांटा रो मुकुट करो।

(बह्मदास जी की जगह पिता और ईशरदास जी की जगह पुत्र का नाम लेना हैं )

गणगौर पूजा (Gangaur Pooja) के बाद गणगौर की व्रत कथा, गणेश की कहानी और लपसी तापसी की कहानी सुनी जाती हैं, इन्हें जाने के लिए निचे दिया गए लिंक पर क्लिक करें

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Anurag Pathak
Anurag Pathak

इनका नाम अनुराग पाठक है| इन्होने बीकॉम और फाइनेंस में एमबीए किया हुआ है| वर्तमान में शिक्षक के रूप में कार्यरत हैं| अपने मूल विषय के अलावा धर्म, राजनीती, इतिहास और अन्य विषयों में रूचि है| इसी तरह के विषयों पर लिखने के लिए viralfactsindia.com की शुरुआत की और यह प्रयास लगातार जारी है और हिंदी पाठकों के लिए सटीक और विस्तृत जानकारी उपलब्ध कराते रहेंगे

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