Ganesh chaturthi ka chand kyon nahi dekhna chahiye | lord ganesha curses the moon hindi mythological story | चन्द्र दर्शन दोष से बचाव
हिन्दू धर्म ग्रंथों में कई जहग वर्णित है की भाद्र पद की शुक्ल पक्ष की गणेश चतुर्थी की रात को चाँद (चन्द्रमा) के दर्शन नहीं करने चाहिए|
जो भी कोई इस दिन चन्द्रमा को देख लेता है, उसके ऊपर चोरी का झूठा आरोप लगता है| यहाँ तक की विष्णु अबतार भगवान्इ कृष्ण पर भी झूठा आरोपस लगा था| इससे सम्बंधित पोराणिक कथाये पुराणों में वर्णित हैं|
इनमे 2 कथाएँ है पहली कथा है की क्यों चन्द्रमा नहीं देखना चाहिए और दूसरी कथा सुनने से चन्द्रमा देखने का दोष मिट जाता है|
आइये जानते हैं इन पोराणिक कथाओं को
Ganesh chaturthi ka chand kyon nahi dekhna chahiye
lord ganesha curses the moon hindi mythological story
एक बार की बात है, श्री गणेश को चन्द्र लोक से भोज(डिनर) का निमंत्रण आया| श्री गणेश को मोदक(लड्डू) बहुत प्रिये हैं|
फिर क्या था, भोज के दोरान पूरे समय गणेश जी का ध्यान सिर्फ मोदकों की तरफ ही था| भोज के दोरान गणपति ने बहुत मोदक खाए|
और बापस आते समय बहुत सारे मोदक पानी पोटली में डाल कर ले आए| मोदक बहुत ज्यादा थे गणेशजी उन्हें संभाल नहीं पाए और कुछ मोदक गिर पड़े|
जिसे देख चन्द्र देव अपनी हँसी नहीं रोक पाए| चन्द्र देव को हँसता देख श्री गणेश क्रोधित हो गए| और क्रोध में चन्द्र देव को श्राप दे दिया की जो भी उन्हें देखेगा उसपर चोरी का इल्जाम लग जाएगा|
यहाँ क्लिक करके जाने गणेश चतुर्थी को मनाने का राजनैतिक कारण
चन्द्र देव घबरा गए| उन्होंने गणेश जी के पैर पकड़ लिए और श्राप वापस लेने की प्रार्थना की| श्राप तो वापस लेना मुमकिन नहीं था|
उस दिन चतुर्थी थी| गणेशजी ने दया दिखाते हुए उस श्राप को सिर्फ गणेश चतुर्थी थक सिमित रखा| इस मान्यता के पीछे पुराणों में यही कहानी है|
गणेश जी के श्राप की वजह से श्रीकृष्ण पर भी लगा था चोरी का आरोप
दूसरी कथा है, कृष्ण भगवान् की| कृष्ण ने भी गणेश चतुर्थी पे चन्द्रमा को देख लिया था जिससे उन पर झूठा चोरी का आरोप लग गया था|
अगर कोई गलती से गणेश चतुर्थी को चन्द्रमा देख ले तो वह इस कथा को सुनकर श्राप मुक्त हो सकता है|
एक बात की बात है, द्वापर युग में एक सत्राजित नाम का राजा था उसने सूर्यदेव को प्रसन्न कर स्यमंतक मणि प्राप्त की थी।
जो व्यक्ति के इस चमत्कारी मणि का स्वामी होता था, उसके जीवन में कभी कोई समस्या नहीं आती थी। इसके अलावा वह मणि रोज आठ भरी सोना भी देती थी।
एक दिन सत्राजित के मुकुट पर वो मणि श्री कृष्ण ने देख ली| मणि को देख कर कहा इस मणि के असली हकदार तो महाराजा अग्रसेन हैं|
यह सुनकर सत्राजित ने कोई जवाब नहीं दिया और चुपचाप अपने महल की और चले गए| महल में जाकर उस मणि को महल में स्थित मंदिर में स्थापित कर दिया|
गणेश चतुर्थी के दिन श्री कृष्णा ने गलती से चन्द्रमा के दर्शन कर लिए| इसे देखकर रुकमणि घबरा गई| की कही कोई झूठा आरोप उनके पति पर न लग जाए|
उसी रात राजा सत्राजित के भाई स्यमंतक मणि को धारण किए शिकार पर चले गए, जहां एक शेर ने उन्हें मार गिराया। स्यमंतक मणि भी उस शेर के पेट में चली गई।
उस शेर का शिकार जामवंत ने किया और वो मणि हासिल कर ली| मणि को वो अपने गुफा में ले आये| जामवंत उस मणि को समझ नहीं पाए और मणि अपने बेटे को खेलने के लिए दे दी|
सत्राजित को जब मणि मंदिर में दिखाई नहीं दी| तब उन्होंने श्री कृष्णा पर मणि चोरी और अपने भाई की हत्या का आरोप लगा दिया|
श्री कृष्ण बहुत आहत हुए| और अपने घोड़े पर सवार होकर जंगल की तरफ गए| वहां उन्हें सत्राजित के भाई का मृत शरीर मिला लेकिन मंडी उन्हें नहीं मिली|
यहाँ क्लिक करके जानें सम्पूर्ण गणेश चतुर्थी पूजा विधि एवं व्रत कथा
शव के पास सिंह के पैरों के निशान थे और साथ ही रीछ के पांव भी थे जो एक गुफा में आकर समाप्त हो रहे थे। यह गुफा जामवंत की थी।
वहां कृष्ण ने देखा जामवंत का बेटा उस मणि से खेल रहा था| मणि के लिए जामवंत और कृष्ण में 28 दिन तक युद्ध चला लेकिन कोई निर्णय नहीं हो पा रहा था|
युद्ध के दोरान जामवंत को आभास हुआ की श्री कृष्ण स्वयंम राम हैं| उन्हें कृष्ण के रूप में श्री राम के दर्शन हुए| उन्होंने मणि श्री कृष्ण को लोटा दी और अपनी पुत्री जामवंती का विवाह श्री कृष्ण से कर दिया|
श्री क्रष्ण ने वापस लोट कर मणि सत्राजित को लोटा दी| सत्राजित को अपने किये पर बहुत पछतावा हुआ| और अपनी पुत्री सत्यभामा का विवाह श्री कृष्ण से कर दिया|
चन्द्र दर्शन के दोष से बचाव के उपाय
यदि गणेश चतुर्थी को चन्द्र दर्शन हो जाए तो इस मंत्र का जाप करना चाहिए दोष समाप्त हो जाता है|
सिंह: प्रसेन मण्वधीत्सिंहो जाम्बवता हत:।
सुकुमार मा रोदीस्तव ह्येष: स्यमन्तक:।।
इस मंत्र का अर्थ है:-
मंत्रार्थ- सिंह ने प्रसेन को मारा और सिंह को जम्बंत ने मारा। हे सुकुमार बालक तू मत रोवे, तेरी ही यह स्यमन्तक मणि है। इस मंत्र के प्रभाव से कलंक नहीं लगता है।
Friends ye thi vo story ki kyon “Ganesh chaturthi ka chand kyon nahi dekhna chahiye” . आशा करते है ये जानकारी आपको पसंद आई होगी|
यह भी पढें:-
जानिये क्यों नहीं करने चाहिए भगवान गणेश की पीठ के दर्शन
1100 साल पुरानी अदभुत गणेश प्रतिमा | Dholkal Ganesh Statue dantewada
जानिये कहाँ विराजमान हैं 600 करोड़ रुपए के गणेशजी
गणेश जी को दूर्वा क्यों चढ़ाई जाती है | shree ganesh or doorva grass story
भगवान श्री गणेश के 8 अवतार | 8 Incarnation Avtar of Lord Ganesha