भारतीय लोक नृत्य के नाम की सूचि राज्यों के अनुसार | Indian Folk Dance Name List in Hindi state wise
दोस्तो, भारत की सभ्यता हजारों साल पुरानी सभ्यता है| समय समय पर हिन्दू धर्म की मान्यताओं और पूजा पद्धतियों में भी बहुत बदलाव हुए|
लेकिन फिर भी पूर्वजों के रीती रिवाजों को हिन्दुओं ने छोड़ा नहीं संजो के रखा| इस तरह ना ना प्रकार के रीती रिवाज पूजा पद्धिति, नृत्य और भाषाएँ अलग अलग क्षेत्रों में विकसित हुए और पीड़ी दर पीड़ी चलते रहे|
भारत में क्षेत्र और संस्कृति के आधार पर ना ना प्रकार के नृत्य प्रचलित हैं| जिन्हें भारत के लोक नृत्य और Folk Dance cultural dance और Classical Dance के नाम से जाना जाता है|
आज हम चर्चा करेंगे भारत में राज्यों के अनुरूप कितने प्रकार के लोक नृत्य हैं और इनसे जुड़े हुए प्रसिद्ध कलाकारों के नामों की भी चर्चा करेंगे|
Indian Folk Dance list State Wise in Hindi
भारतीय लोक नृत्य के नाम की सूचि राज्यों के अनुसार
Bihar (बिहार) के लोक नृत्य
जट-जटिन:- जट जटिन उत्तर बिहार का एक लोक नृत्य है| यह मिथला और कोशी क्षेत्र में देखने को मिलता है| यह एक युगल (Couple) नृत्य है|
इस नृत्य का मूल विषय जट जटिन की प्रेम कहानी है| लेकिन आज कल इस नृत्य के माध्यम से सामाजिक विषय जैसे गरीबी, प्यार, दुःख को भी व्यक्त किया जा रहा है|
यह नृत्य मानसून के मौसम में चांदनी रात में किया जाता है| इस नृत्य में 2 समूह में लड़कियां होती हैं|
नृत्य शुरू करने से पहले यक्ष और बारिश को नमन किया जाता है|
किर्तनिया:- किर्तनिया मिथिलांचल बिहार का पारंपरिक लोक नृत्य है| नृत्य प्रस्तुति के प्रारंभ में प्रस्तावना, वंदना और अंत में मंगल गायन गया जाता हैं
सामा चकेवा:- यह मिथिला बिहार का प्रमुख नृत्य है, इसे औरतें और लडकिय अपने भाइयों के हित के लिए कार्तिक मास में करती हैं|
जात्रा:- जात्रा बिहार में रहने वाली जात्रा जन जाती का लोक नृत्य है| इस जन जाती का मूल निकास नेपाल से है|
घुमकड़िया:-
विदेशिया:- यह नृत्य भोजपुरी भाषा में किया जाना वाला नृत्य है| यह नृत्य बिहार के ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक प्रशिद्ध है और इसमें समाज की बुराइयों को नृत्य के माध्यम से बताया जाता है|
इसके अलावा भी बिहार में बहुत से लोक नृत्य हैं यहाँ कुछ प्रमुख नृत्यों के बारे में ही चर्चा की है| ज्यादा जानकारी के लिया आप यह आर्टिकल पढ़ लें| – बिहार के प्रमुख लोक नृत्य सम्पूर्ण जानकारी
Paschim Bengal (पश्चिम बंगाल) के लोक नृत्य (Folk Dance)
काठी:- यह पश्चिम बंगाल में रहने वाली जन जाती का लोक नृत्य है| यह नृत्य केवल आदमियों के द्वारा ही किया जाता है क्योंकि इसमें एयरोबेटिक्स की मूवमेंट होती हैं|
पश्चिम बंगाल के बीरभूम क्षेत्र के बोरिस और डोम्स एरिया में यह डांस ज्यादा प्रचलित है| इस नृत्य में प्रमुख देवी दुर्गा माता है
गम्भीरा:- गंभीरा लोक नृत्य पश्चिम बंगाल के मालदा जिले का प्रमुख नृत्य है| इसमें दो व्यक्ति होते हैं एक पोते और दूसरा दादा का किरदार निभाता है| यह लोक नृत्य सूत्रधार समुदाय के द्वारा किया जाता है
ढाली:-
जात्रा:-
बाउल:- बाउल पश्चिम बंगाल का एक प्रमुक लोक नृत्य और गायन है| यह प्रमुक रूप से सिधाचार्य द्वारा लिखे गए लोक गीतों के आधार पर किया जाता है| इस लोक नृत्य में हिंदुत्व के अलावा बुद्धिज़्म और इस्लाम का भी समावेश मिलता है|
छऊ:- छाऊ के क्लासिकल (शास्त्रीय) नृत्य है| इस नृत्य का मूल प्रारंभ भारत के ओडिशा राज्य में हुआ था| यह तीन राज्यों बंगाल झारखण्ड और ओडिशा में किया जाता है| बंगाल में यह पुरुलिया छाऊ और झारखण्ड में seraikella छाऊ और ओड़िसा में मयूरभंज छाऊ के नाम से जाना जाता है
मरसिया:-
कीर्तन:-
रामभेसे:-
Meghayala (मेघालय) के लोक नृत्य
लाहो:- लाहो डांस मेघालय का प्रमुख लोक नृत्य है| यह नृत्य स्त्री और पुरुष के द्वारा रंग बिरंगे कपड़ों में क्या जाता है| इस नृत्य में कोई भी संगीत इंस्ट्रूमेंट प्रयोग नहीं किया जाता है| एक पुरुष अपने ,मुह से ही दोहे बोलता है और धुन बजाता है
बांग्ला:- वांगला मेघालय का प्रमुख लोक नृत्य है इसे 100 ड्रम फेस्टिवल भी कहा जाता है| वंगला लोक नृत्य सबसे पहले 6 दिसंबर 1976 असनंग में किया गया था
Manipur (मणिपुर) के लोक नृत्य
मणिपुरी (शास्त्रीय):- मणिपुरी नृत्य को जगोई के नाम से भी जाना जाता है, यह एक शास्त्रीय नृत्य है यह हिंदुत्व के वैष्णव सम्प्रदाय पर आधारित है| इस नृत्य में राधा और कृष्ण के प्रेम को दर्शाते हुए नृत्य किया जाता है
राखाल:-
नटरास:-
महारास:-
रॉख़त:-
लाईहरीबी:-
Nagaland (नागालेंड)
चोंग:-
खैबा:-
लीम:-
नुरालीम:-
रेंगमानाग:-
कुमीनागा:-
Udisa (उड़ीसा)
ओडिसी (शास्त्रीय):- यह नृत्य ओड़िसा के मंदिरों की देव दासियों के द्वारा किया जाता है| इसमें मुख्यत भगवान् कृष्ण और विष्णु के अवतार की कथाओं को नृत्य के माध्यम से वर्णन किया जाता है| इस नृत्य में हस्त मुद्राएं प्रमुख हैं|
सवारी:-
धूमरा:-
पैंका:-
मुणरी:-
छऊ:- छाऊ के क्लासिकल (शास्त्रीय) नृत्य है| इस नृत्य का मूल प्रारंभ भारत के ओडिशा राज्य में हुआ था| यह तीन राज्यों बंगाल झारखण्ड और ओडिशा में किया जाता है| बंगाल में यह पुरुलिया छाऊ और झारखण्ड में seraikella छाऊ और ओड़िसा में मयूरभंज छाऊ के नाम से जाना जाता है
आया:-
चंगुनार:-
Maharashtra (महारास्ट्र)
लावनी:- यह लोक नृत्य महारास्ट्र का सबसे लोकप्रिय नृत्य है| यह नृत्य केवल महिलाओं के द्वारा किया जाता है| इसमें 9 मीटर लम्बी साड़ी पहनी जाती है|
इस नृत्य में अध्यात्म और श्रृंगार का अध्वुत संगम देखने को मिलता है|
नकटा:-
कोली:-
लेझिम:-
गफा:-
बोहदा:-
गौरीचा:-
ललिता:-
तमाशा:- यह महाराष्ट्र का प्रमुख नाटिका नृत्य है| इस नृत्य में हारमोनियम, घुंघरू, मजीरा आदि यंत्रों के प्रयोग किया जाता है| यह लोक नृत्य कोल्हाटी समुदाय के
द्वारा किया जाता है|
मौनी:-
लीजम:-
पोवाड़ा:-
गोधलगीत:-
दहिकला:-
गणेष चतुर्थी:-
karnatak (कर्णाटक)
यक्षज्ञान:- यक्षज्ञान कर्णाटक का एक प्रसिद्द लोक नृत्य है| इस नृत्य को विशेष तौर पर धान के खेतों में रात के समय प्रस्तुत किया जाता है| जिसमें युद्ध से जुड़े पहलुओं
की दर्शाया जाता है|
कुनिता:-
कर्गा:-
लाम्बी:-
वीरगास्से:-
भूतकोला:-
Gujrat (गुजरात)
गरवा:- गरबा लोक नृत्य के बारे में तो आप सब लोग जानते हो होंगे| यह नृत्य गुजरात में नवरात्री के अवसर पर किया जाता है| गरबा नृत्य के द्वारा माँ दुर्गा की आराधना की जाती है| यह नृत्य अब पूरे भारत में प्रसिद्द है और नवरात्रों के समय भारत के सभी क्षेत्रों में किया जाता है|
डांडिया:-
टिप्पनी:-
जुरियुन:-
भवई:-
रासलीला:-
लास्या:-
पणिहारी:-
इकोलिया:-
पंजाब (पंजाब)
भांगड़ा:- यह नृत्य पंजाब का प्रसिद्ध नृत्य है मुख्यत पुरुषों के द्वारा किया जाता है| पंजाब में हर उत्सव में यह नृत्य किया जाता है|
गिद्धा:- यह नृत्य महिलाओं के द्वारा किया जाने वाला नृत्य है| इसमें महिलाएं पंजाब की परम्परिक पोषक पहनकर इस नृत्य को करती हैं|
डफ:-
धमान:-
किकली:-
Rajasthan (राजस्थान)
कालबेलिया नृत्य:- यह नृत्य कालबेलिया समुदाय के द्वारा किया जाता है|
धूमर:- यह नृत्य महिलाओं के द्वारा किया जाने वाला नृत्य है| यह महिलाओं के द्वारा लम्बे घाघरे को पहनके किया जाता है|
घापाल:-
फूंदी:-
पनिहारी:-
तेरहताली नृत्य:- यह नृत्य महिलाओं के द्वारा प्रस्तुत किया जाता है और इसमें पुरुषों के द्वारा भजन गाये जाते हैं| इस नृत्य में महिलाएं अपने शरीर पर मंजीरों को बांधती है
और गीत की धुन और लय के साथ मंजीरों के साथ बजाय जाता है|
जिन्दाद:-
नेजा:-
भवाई नृत्य:- यह नृत्य राजस्थान के उदयपुर क्षेत्र में किया जाता है| यह नृत्य सर पर मटकों को सर पर रखकर किया जाता है| इसमें नर्तकी सर पर मटके रखकर और गिलास और थाली के किनारों पर खड़े होकर नृत्य करती है|
गणगौर:-
राउफ:-
हिकात:-
Mijoram (मिजोरम)
खानटम:-
पाखुपिला:-
चेरोकान:-
Jammu Kashmir (जम्मू कश्मीर)
राउफ:- जम्मू कश्मीर का यह एक लोकप्रिय नृत्य फसल कटाई के उपलक्ष्य में किया जाता है| यह नृत्य महिलाओं के द्वारा ही किया जाता है
हिकात:-
मंदजास:-
कूद:-
दंडीनाच:-
दमाली:-
चाकरी:-
भारवागीत:-
Tamilnadu (तमिलनाडु)
भरतनाट्यम (शास्त्रीय):-
कुमी:-
कोलाट्टम नृत्य:-
कावडी:-
करागम:-
पिन्नलकोलाट्टम:-
Uttar Pradesh (उत्तर प्रदेश)
रासलीला:-
नौटंकी:- नोटंकी नृत्य उत्तर प्रदेश का सबसे प्रसिद्द लोक नृत्य है| नोटंकी नृत्य में हास्य रस, वीर रस आदि की प्रस्तुति की जाती है| इसके अलावा तरह तरह के वाध यंत्रों का प्रयोग किया जाता है| इसमें गायन, नृत्य और लोक कथा इसका प्रमुख हिस्सा है|
झूला:-
कजरी:-
जद्दा:-
चाचरी:-
चैता:-
करन:-
जांगर:-
थाली:-
Jharkhand (झारखण्ड)
छऊ:- छाऊ के क्लासिकल (शास्त्रीय) नृत्य है| इस नृत्य का मूल प्रारंभ भारत के ओडिशा राज्य में हुआ था| यह तीन राज्यों बंगाल झारखण्ड और ओडिशा में किया जाता है| बंगाल में यह पुरुलिया छाऊ और झारखण्ड में seraikella छाऊ और ओड़िसा में मयूरभंज छाऊ के नाम से जाना जाता है
सरहुल:-
जट-जटिन:-
करमा:-
डांगा:-
विदेशिया:-
सोहराई:-
Uttarakhand (उत्तराखंड)
छोलिया नृत्य:- इस नृत्य को छलिया नृत्य भी कहा जाता है| यह उत्तराखंड के कुमांऊ क्षेत्र का एक प्रचलित लोकनृत्य है| यह शादी बरातों और अन्य शुभ अवसरों पर किया जाता है| यह विशेष रूप से कुमांऊ मंडल के पिथोरागढ़, चम्पावत बागेश्वर और अल्मोड़ा जिलों में किया जाता है|
गढवाली:-
कुमायु:-
कजरी:-
झोरा:-
रासलीला:-
चपादी:-
Andhra Pradhesh (आन्ध्र प्रदेश)
कुचिपुड़ी (शास्त्रीय):- इस नृत्य के नाम आंध्र प्रदेश के गाँव कुचिपुड़ी पर ही रखा गया है| इस नृत्य में कर्णाटक संगीत के साथ, म्रदंग, वायलीन आदि यंत्रों का प्रयोग किया जाता है| इस नृत्य के प्रयोग की जाने वाली पोशाक भी आकर्षण का केंद्र है|
घंटामर्दाला:-
मोहिनीअट्टम (शास्त्रीय:-
कुम्मी:-
सिद्धि मधुरी:-
Chhatisgarh (छत्तीसगढ़)
पंथी नृत्य:- पंथी नृत्य छत्तीसगढ़ का एक प्रमुख लोक नृत्य है| इस राज्य के महँ संत गुरु घासीदास के पंथ से ही पंथी नृत्य के नामकरण हुआ है| यह नृत्य सतनामी
समुदाय के द्वारा किया जाता है| इस नृत्य में नर्तक सफ़ेद धोती पहनकर झांझ और म्रदंग के साथ नृत्य करते हैं|
पंडवानी:- यह छत्तीसगढ़ का एक एकल नाट्य है, इसके पांडववाणी भी कहा जाता है| इसमें एक ही कथा वाचक और नृत्य करता होता है| इस नृत्य में महाभारत की कथा कही जाती है| यह छतीसगढ़ की जातियों की गायन परम्परा है
गौड़ी:-
करमा:-
झूमर:-
डागला:-
पाली:-
टपाली:-
नवरानी:-
दिवारी:-
Arunachal Pradesh (अरुणाचल प्रदेश)
मुखोटा नृत्य:-
युद्ध नृत्य:-
Himachal Pradesh (हिमाचल प्रदेश)
धमान:-
छेपली:-
महाथू:-
नटी:-
डांगी:-
चम्बा:-
थाली:- थाली हिमाचल प्रदेश का प्रमुख लोक नृत्य है| थाली नृत्य में नर्तक और गायक एक गोल घेरे में बैठते हैं और नर्तक एक के बाद एक अपनी कला को नृत्य के माध्यम से प्रस्तुत करते हैं| इस नृत्य में नर्तक पानी से भरा लोटा भी रखकर नृत्य करते हैं|
झैंता:-
डफ:-
डंडानाच:-
Goa (गोवा)
मांडी:-
झागोर:-
खोल:-
ढकनी:-
Asaam (असम)
बिहू:- यह लोक नृत्य असम की कछारी जनजाती के द्वारा किया जाता है| यह नृत्य फसल की कटाई के समय ही किया जाता है और साल में तीन बार
किया जाता है| इसके अलावा यह नृत्य परम्परिक साधारण वस्त्रों धोती और गमछा में ही किया जाता है|
बिछुआ:-
नटपूजा:-
महारास:-
खेल:-
गोपाल:-
झुमुरा:-
होब्जानाई:-
कलिगोपाल:-
नागानृत्य:-
बुगुरूंबा:-
अंकियानाट:-
राखल:-
ढोल:-
केरल (Keral)
मोहिनीअट्टम:- यह एक शास्त्रीय नृत्य है| इस नृत्य में आँखों, हाथों और चहरे के हाव भाव बहुत अधिक महत्वपूर्ण होते हैं| यह केरल के विशेष सफ़ेद रंग की जरी वाली साडी पहनके किया जाने वाला नृत्य है| इसके अलावा यह नृत्य हिन्दू पौराणिक कथाओं पर आधारित है
कथकली:- कथकली भी केरल का प्रमुख नृत्य है, इसमें हिन्दू पोरानिक कथाओं रामायण और महाभारतका सम्पूर्ण वर्णन नृत्य के माध्यम से किया जाता है| इस नृत्य में प्रयोग की जाने वाली पोशाक, वस्त्र आभूषण विशेष आकर्षण है| इसके अलावा नृत्य में हाथों की म,मुद्राओं और चहरे के हाव भाव का भी विशेष महत्व है|
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