Chanakya Niti Chapter 16 Hindi English | चाणक्य नीति सोलहवां अध्याय

Share your love

Chanakya Niti 16th Chapter 16 Sanskrit shlokas with meaning in Hindi and English | चाणक्य नीति सोलहवां अध्याय हिंदी और अंग्रेजी अर्थ के साथ

दोस्तो, चाणक्य, भारत के इतिहास में एक महान राजनीतिज्ञ और अर्थशास्त्री कहलाते हैं| इन्होने अपने अनुभव और वेदों में से कुछ राजनीती के सूत्रों का संकलन किया|

इन सभी सूत्रों को एक किताब में संकलित किया जिसे चाणक्य का राजनीती शास्त्र कहा जाता है| आज इसी चाणक्य नीति के सोलहवें अध्याय के संस्कृत श्लोक का हिंदी और अंग्रेजी अनुवाद (Chanakya Niti chapter 16 in hindi and english) के साथ अर्थ समझेंगे

Chanakya Niti Chapter 16 in Hindi and English

चाणक्य नीति पन्द्रहवां अध्याय हिंदी इंग्लिश अर्थ सहित

1 संतान

नध्यातं पदमीश्वरस्य विधिवत्संसारविच्छित्तये
स्वर्गद्वारकृपाटपाटनपटुः धर्मोऽपि नोपार्जितः।
नारीपीनपयोधरयुगलं स्वप्नेऽपि नार्लिगितं
मातुः केवलमेव यौवनच्छेदकुठारो वयम्।।1।।

हिंदी अर्थ

आचार्य चाणक्य कहते हैं एक ऐसा मनुष्य जो न तो मोक्ष पाने के लिए ईश्वर का ध्यान करता है, न स्वर्ग पाने के लिए धर्म का संचय करता है और न कभी स्वप्न में भी स्त्री के स्तनों का आलिंगन कर सम्भोग करता है| ऐसा मनुष्य केवल जन्म लेकर अपनी माँ का योवन ही ख़राब करता है, ऐसे मनुष्य का जीवन व्यर्थ है|

English Meaning`1

Acharya Chanakya says the life of a person is complete scrap and waste who do not pray to the god to attain salvation, not perform a good deed to earn an entry into heaven, and one who has not even dreamt of enjoying a woman. Such a person is compared to an axe which destroyed the forest of his mother youth by taking birth from his bomb.

2. स्त्री चरित्र

जल्पन्ति सार्धमन्येन पश्यन्त्यन्यं सविभ्रमाः।
हृदये चिन्तयन्त्यन्यं न स्त्रीणामेकतो रतिः।।2।।

हिंदी अर्थ

आचार्य चाणक्य कहते हैं, वेश्याओं की प्रवर्ती चंचल होती है, ये बात एक से करती हैं, कटाक्ष से दुसरे को देखती है, और मन से तीसरे को चाहती हैं, इनका प्रेम एक से नहीं होता है| आचार्य चाणक्य कहते हैं, ऐसी स्त्रियाँ पैसे को देखकर निष्ठा बदल देती हैं,

English Meaning

Acharya Chanakya Says, A whore that she talks with one man, stares at another with the third person in her mind. It is not the mistake of that whore, but is of the man who thinks that she will love him.

3. मुर्ख पुरुष और वेश्या

यो मोहयन्मन्यते मूढो रत्तेयं मयि कामिनी।
स तस्य वशगो भूत्वा नृत्येत क्रीडा शकुन्तवत्।।3।।

हिंदी अर्थ

आचार्य चाणक्य मुर्ख पुरुष और वेश्या के चरित्र की विशेषता बताते हुए कहते हैं| मुर्ख पुरुष बहुत जल्दी वेश्याओं के मोह पाश जाल में फँस जाते हैं|

वह सोचता है यह सुन्दर स्त्री मुझ पर वशीभूत है| लेकिन मुर्ख पुरुष को एक वेश्या एक खिलोने की भांति तोडती है
मरोड़ती है और अंत में धोखा देकर उसे बर्बाद कर देती है

A foolish man easily falls in love with a whore and then becomes her toy. She will use him, betray him, trick him, and finally destroy him.

4. जीवन की सत्यता

कोऽर्थान्प्राप्यन गर्वितो विषयिणः कस्यापदोऽस्तंगताः।
स्त्रीभिः कस्य न खण्डितं भुवि मनः को नाम राज्ञप्रियः।।
कः कालस्य न गोचरत्वमगमत् कोऽर्थों गतो गौरवम्।
को वा दुर्जनदुर्गुणेषु पतितः क्षेमेण यातः पथिः।।4।।

हिंदी अर्थ

आचार्य चाणक्य कहते हैं, ऐसा कोनसा ऐसा पुरुष है जिसमें दोलत के बाद अहंकार न आया हो, किस विलासी व्यक्ति के दुःख समाप्त हुए हों, ऐसा कोई नहीं जिसे स्त्रियों से धोखा न मिला हो, कौन व्यक्ति राजा का प्रिय बन सका, ऐसा कौन है जिसकी म्रत्यु नहीं हुई, किस भिखारी को सम्मान मिला हो, कौन ऐसा व्यक्ति इस दुनिया में है जो दुष्टों की संगत में फंसकर बर्बाद न हुआ है|

English Meaning

Acharya Chanakya says, there is no man on this earth, who come into ego after becoming rich and spending a luxurious life. After involving in worldly matters, no one escapes from trouble, there is no man in this world, who have not fallen in love of a beautiful woman. Name the man who always loved by a king. Death is the eternal truth of life, no bagger get respect in this world, Company of the wicked, destroy the life of a person.

5. विनाश और बुद्धि

न निर्मिता केन न दृष्टपूर्वा न श्रूयते हेममयी कुरंगी।।
तथाऽपि तृष्णा रघुनन्दनस्य विनाशकाले विपरीतबुद्धिः।।5।।

हिंदी अर्थ

आचार्य चाणक्य कहते हैं, जब मनुष्य का बुरा समय आने से पहले, उसकी बुद्धि उसका साथ छोड़ देती है| इसको सिद्ध करने के लिए वह एक उदहारण देते हैं. सोने का हिरन कभी होता नहीं है और न ही किसी ने कभी सुना, लेकिन तब भी भगवान् राम सोने के हिरन को पकड़ने के लिए चले गए| क्योंकि वक्त बुरा आने वाला था और बुद्धि ने साथ देना छोड़ दिया|

English Meaning

Acharya Chankaya says, the wisdom of a man deserts before the arrival of a bad time. Acharya illustrates, there are no golden dear spices in this world. Even if, Bhagwan Ram saw it and rush to catch him because hard time is about to come.

6. महानता

न निर्मिता केन न दृष्टपूर्वा न श्रूयते हेममयी कुरंगी।।
तथाऽपि तृष्णा रघुनन्दनस्य विनाशकाले विपरीतबुद्धिः।।5।।

हिंदी अर्थ

आचार्य चाणक्य कहते हैं, कभी कभी किस्मत से एक व्यक्ति ऊँचा स्थान पा लेता है लेकिन महान नहीं कहला सकता. एक महान व्यक्ति अपने गुणों से महान होता है न की अपने ऊँचे स्थान से| कौआ चाहे सबसे ऊँची ईमारत की छत पर बेठ जाए लेकिन चील नहीं बन सकता

English Meaning

Acharya Chanakya says, due to luck, a person acquire a high position but may not be respected. But a person with virtue even if he lacks money is respected in society. A crow may sit at the tallest building, but can not be considered an eagle.

7. गुण का महत्त्व

गुणाः सर्वत्र पूज्यन्ते न महत्योऽपि सम्पदः।
पूर्णेन्दु किं तथा वन्यो निष्कलंको यथा कुशः।।7।।

हिंदी अर्थ

आचार्य चाणक्य कहते हैं, गुणों की ही सर्वत्र पूजा होती है, गुणी व्यक्ति का ही सभी सम्मान करते हैं चाहे उसके पास धन कम हो| चाणक्य कहते हैं, पूर्णिमा का चन्द्रमा पूर्ण होता है, सबसे ज्यादा रोशनी देता है, लेकिन उसकी कोई पूजा नहीं करता क्योंकि उसमें दाग होता है| लेकिन दूज के चन्द्रमा की सभी पूजा करते हैं क्योंकि उसमें कोई दाग नहीं होता|

English Meaning

Chanakya says, a Man with good quality and virtue respected in society even if with less money. the full moon is not worshiped even if it emits good light and look beautiful because it has stains. But Moon of Douj is worshiped because it is clear and show no stains at all.

8. प्रसंशा का महत्त्व

परमोक्तगुणो यस्तु निर्गुणोऽपि गुणी भवेत्।
इन्द्रोऽपि लघुतां याति स्वयं प्रख्यापितैर्गुणैः।।8।।

हिंदी अर्थ

आचार्य चाणक्य कहते हैं, यदि कोई किसी गुणहीन व्यक्ति की प्रसंशा करे तो वह भी प्रसिद्द हो जाता है और बड़ा हो जाता है| लेकिन अपनी प्रसंशा करने पर इंद्र भी छोटा प्रतीत होने लगता है| इसलिए कभी भी पाने मुहं से प्रसंशा नहीं करनी चाहिए| सच्चा गुनी व्यक्ति वाही है जिसकी और लोग प्रसंशा करते हैं.

English Meaning

Acharya Chanakya says, if Someone appreciates a less qualified person, he becomes bigger and glorified. But even if an Intelligent and scholar praise himself by his own mouth, he becomes less important. Acharya says, even Indra becomes less glorify by praising himself.

9. गुण और विवेकशीलता का महत्त्व

परमोक्तगुणो यस्तु निर्गुणोऽपि गुणी भवेत्।
इन्द्रोऽपि लघुतां याति स्वयं प्रख्यापितैर्गुणैः।।8।।


हिंदी अर्थ

आचार्य चाणक्य कहते हैं, गुण यदि विवेकशील व्यक्ति के पास हों, तब ही गुणों का सदुपयोग हो सकता है, जैसे रत्न को यदि सोने में जड़ा जाए तो उनकी खूबसूरती बढ़ जाती है| लेकिन यदि इन्हें किसी लोगे में जड़ दिया जाए तो यदि बदसूरत नज़र आते हैं| इसलिए चाणक्य कहते हैं मनुष्य गुणी होने के साथ साथ विवेकशील भी होना चाहिए|

English Meaning

A person with knowledge, but without rationality is useless. like a diamond in golden ornament look beautiful, but same in iron ornament looks ugly.

10. योग्यता और पद का महत्त्व

गुणं सर्वत्र तुल्योऽपि सीदत्येको निराश्रयः।
अनर्थ्यमपि माणिक्यं हे माश्रयमपेक्षते।।10।।

हिंदी अर्थ

आचार्य चाणक्य कहते हैं, यदि योग्य व्यक्ति को अपनी योग्यता के अनुसार पद नहीं मिलता है तो वह दुखी रहता है जी मणि और रत्न को भी जड़ने के लिए सोने के आधार की अव्यश्कता होती है|

English Meaning

If a person does not get work according to his quality and knowledge, he remain sad and unhappy, Just like a gem in need of a suitable ornament to find its respectful place.

Chanakya Niti Chapter 16 ( Sanskrit Shlokas 11 – 20)

11. अनुचित धन

अतिक्लेशेन ये चार्थाः धर्मस्यातिक्रमेण तु।
शत्रुणां प्रणिपातेन ते ह्यर्थाः न भवन्तु मे।।11।।

हिंदी अर्थ

आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जो धन किसी को दुःखी करके प्राप्त हो, जो चोरी, तस्करी, काला बाजारी आदि अवैध तरीकों से कमाया जाता हो या देश के शत्रुओं से अर्थात् देशद्रोही तरीकों से मिलता हो ऐसा धन लेने की इच्छा नहीं करनी चाहिए।

English Meaning

I am not interested in money earned by, bringing pain to others, anti-religious activities, and by begging before an enemy.

12. धन का महत्त्व

किं तया क्रियते लक्ष्म्या या वधूरिव केवला।
या तु वेश्यैव सामान्यपथिकैरपि भुज्यते।।12।।

हिंदी अर्थ

आचार्य चाणक्य कहते हैं, एक घर में बंद वधु (बहु) के समान घर की तिजोरी में रखा हुआ धन कभी किसी काम का नहीं है, उसी प्रकार एक मुर्ख व्यक्ति का धन भी दुष्ट और पापी लोग ही उपयोग करते हैं उसका भी कोई समाज में सही प्रयोग नहीं होता है, ऐसा धन भी व्यर्थ है|

English Meaning

Chanakya says, money locked in safe, is of no use. similarly, the wealth of a foolish man is used by crooked and wicked, society is not benefited by it.

13. मोह

धनेषु जीवितव्येषु स्त्रीषु चाहारकर्मषु।
अतृप्ता प्राणिनः सर्वे याता यास्यन्ति यान्ति च।।13।।

हिंदी अर्थ:- आचार्य चाणक्य कहते हैं, इस संसार में मनुष्य की धन, जीवन, भोजन और स्त्री की चाह कभी ख़त्म नहीं होती| कितने ही प्राणी आये और इस संसार को भोग लेकिन अतृप्त होकर ही मरे कभी संतुष्ट नहीं हुए|

English Meaning:- In this world, no one is satisfied with money, life, food, and woman. More you use it desire increases.

14. सार्थक दान

क्षीयन्ते सर्वदानानि यज्ञहोमबलि क्रियाः।
न क्षीयते पात्रदानं भयं सर्वदेहिनाम्।।14।।

हिंदी अर्थ:- आचार्य चाणक्य कहते हैं कि सभी यज्ञ, दान, बलि आदि नष्ट हो जाते हैं, किन्तु पात्र को दिया गया दान तथा अभयदान का फल नष्ट नहीं होता।

आशय यह है कि योग्य तथा जरूरतमंद को ही दान देना चाहिए। अन्य दान, यज्ञ आदि नष्ट हो जाते हैं। किन्तु योग्य जरूरतमंद को दिया गया दान तथा किसी के जीवन की रक्षा के लिए दिये गये अभयदान का फल कभी नष्ट नहीं होता।।

English Meaning:- The blessings earned after donating land, water, clothes, or after
performing Yajna is not very significant when compared to blessings obtained after helping a deserving person in need.

15. याचकता

तृणं लघु तृणात्तूलं तूलादपि च याचकः।
वायुना किं न जीतोऽसौ मामयं याचयिष्यति।।15।।

हिंदी अर्थ:- आचार्य चाणक्य मांगने को मरने के समान मानते हुए कहते हैं कि तिनका हलका होता है, तिनके से हलकी रूई होती है और याचक रूई से भी हलका होता है। तब इसे वायु उड़ाकर क्यों नहीं ले जाती? इसलिए कि वायु सोचती है कि कहीं यह मुझसे भी कुछ मांग न बैठे। भीख मांगना सबसे घटिया काम है। भिखारी की कोई इज्जत नहीं होती।

English Meaning:- It is better to die than living a life of humiliation. You die once, but humiliation kills you every moment.

16. निर्धनता

वरं वनं व्याघ्रजेन्द्रसेवितं, द्रुमालयं पक्वाफलाम्बुसेवनं।
तृणेषु शय्या शतजीर्णवल्कलं, न बन्धुमध्ये धनहीन जीवनम्।।16।।

हिंदी अर्थ:- आशय यह है कि समाज में भाई-बन्धुओं के बीच गरीबी में जीना अच्छा नहीं है। इससे अच्छा है कि व्यक्ति भयंकर शेरों, बाघों, हाथियों वाले वन में चला जाए और वहां किसी वृक्ष के नीचे घास-फूस पर सोये, जंगली फल खाये, वहीं का पानी पिये और पेड़ की छाल के कपड़े पहने। निर्धन होकर समाज में जीने से वनवास अच्छा है।

English Meaning:- Its better to live in a jungle than living in society with no money.

17. मीठे बोल

प्रियवाक्यप्रदानेन सर्वे तुष्यन्ति मानवाः।
तस्मात् तदेव वक्तव्यं वचने का दरिद्रता।।17।।

हिंदी अर्थ:- आचार्य चाणक्य कहते हैं कि प्रिय मधुर वाणी बोलने से सभी मनुष्य संतुष्ट हो जाते हैं। अतः मधुर ही बोलना चाहिए। वचनों का गरीब कोई नहीं होता।

आशय यह है कि मधुर वचन बोलना, दान के समान है। इससे सभी मनुष्यों को आनंद मिलता है। अतः मधुर ही
बोलना चाहिए। बोलने में कैसी गरीबी ।

English Meaning:- One must not act like a miser when it comes to speaking politely. A polite talker is appreciated by all and speaking politely costs you nothing.

18. संसार में जीने का नियम

संसार कटु वृक्षस्य द्वे फले ह्यमृतोपमे।
सुभाषितं च सुस्वादुः संगति सज्जने जने।।18।।

हिंदी अर्थ:- आचार्य चाणक्य कहते हैं कि इस संसार रूपी वृक्ष के अमृत के समान दो फल हैं-सुंदर बोलना तथा सज्जनों की संगति करना। आशय यह है कि सबके साथ मधुरता से बोलना और महापुरुषों की संगति करना इस संसार में व्यक्ति के हाथों ये ही दो चीजें लगती हैं। अतः सबके साथ मधुरता से बोलना चाहिए और सज्जनों की संगति करनी चाहिए।

English Meaning:- This world is like a tree with two life-giving fruits hanging from it. One is to speak politely and other is to be in the company of good people.

19. अभ्यास

जन्मजन्मनि चाभ्यस्तं दानमध्ययनं तपः।
तेनैवाभ्यासयोगेन देही वाऽभ्यस्यते।।19।।

हिंदी अर्थ:- आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जन्म-जन्म तक अभ्यास करने पर ही मनुष्य को दान, अध्ययन और तप प्राप्त होते हैं। इसी अभ्यास से प्राणी बार-बार इन्हें करता है।

आशय यह है कि कई जन्मों तक दान, अध्ययन तथा तपस्या करने पर ही मनुष्य दानी बनता है, अध्ययन करता है और
तपस्वी बनता है। ये गुण किसी एक जन्म में नहीं आते; कई जन्मों के अभ्यास से ही इनकी प्राप्ति होती है।

English meaning:- Chanakya says, behavior of doing charity, Education, and perseverance are inculcated in behavior after practice of many birth.

20. विद्या और धन समय के

पुस्तकेषु च या विद्या परहस्तेषु च यद्धनम्।
उत्पन्नेषु च कार्येषु न सा विद्या न तद्धनम्।।20।।

हिंदी अर्थ:- आचार्य चाणक्य समय पर काम न आने वालों के बारे में बताते हुए कहते हैं कि जो विद्या पुस्तक में ही है, और जो धन दूसरे के हाथ में चला गया है, ये दोनों चीजें समय पर काम नहीं आतीं।

आशय यह है कि अपनी याद विद्या तथा अपने हाथ का धन ही समय पर काम आते हैं। कर्ज दिया हुआ धन
और पुस्तकों में लिखी विद्या एकाएक काम पड़ जाने पर साथ नहीं देते।

English Meaning:- chanakya says, learning closed in books and money given to others as a loan, never help in your need. Hence learn and revise your skill and knowledge and if you have limited money, do not lend to others.

आशा करते हैं चाणक्य निति के सोलहवें अध्याय के हिंदी और अंग्रेजी अर्थ सहित अनुवाद से (Chanakya Niti Chapter 16 in Hindi and English) आपका ज्ञानवर्धन जरुर हुआ होगा| हमारी कोशिश आपको पसंद आई हो तो इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर जरुर करें

यह भी पढ़ें

चाणक्य निति पन्द्रहवां अध्याय अर्थ सहित

चाणक्य नीति सत्रहवां अध्याय अर्थ सहित

Share your love
Anurag Pathak
Anurag Pathak

इनका नाम अनुराग पाठक है| इन्होने बीकॉम और फाइनेंस में एमबीए किया हुआ है| वर्तमान में शिक्षक के रूप में कार्यरत हैं| अपने मूल विषय के अलावा धर्म, राजनीती, इतिहास और अन्य विषयों में रूचि है| इसी तरह के विषयों पर लिखने के लिए viralfactsindia.com की शुरुआत की और यह प्रयास लगातार जारी है और हिंदी पाठकों के लिए सटीक और विस्तृत जानकारी उपलब्ध कराते रहेंगे

Articles: 553

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *