आज हम भाषा के बारे में बात करेगे कि भाषा क्या है और भाषा किसे कहते हैं इसके कितने भेद है और इनके उदहारण क्या है
आज समाज में भाषा का बहुत महत्त्व है| भाषा एक माध्यम जिसके जरिये विचार भावनाएं और सन्देश का आदान प्रदान किया जा सकता है| भाषा के अपने नियम होते हैं जिसे व्याकरण और grammar कहा जाता है|
अलग अलग देशों में अलग अलग भाषा है और उसके अपने नियम (व्याकरण) है|
उदहारण स्वरुप हिंदी एक भाषा है और हिंदी भाषा को बोलने के जो नियम है वो हिंदी व्याकरण है| अंग्रेजी एक भाषा है और अंग्रेजी को बोलने के जो नियम है उसे हम इंग्लिश ग्रामर कहते हैं|
सबसे पहले जान लेते हैं भाषा किसे कहते हैं
भाषा किसे कहते हैं

भाषा भावों के तथा विचारो के आदान प्रदान का माध्यम है| भाषा वह साधन है, जिसके द्वारा मनुष्य बोलकर, सुनकर, लिखकर व पढ़कर अपने मन के भावों या विचारों का आदान-प्रदान करता है।
भाषा की परिभाषा | Definition of Bhasha
भाषा वह साधन, जिसके माध्यम से हम सोचते हैं और पाने विचारों को व्यक्त करते हैं| मनुष्य अपने विचार, भावनाओं एवं अनुभूतियों को भाषा के माध्यम से ही व्यक्त करता है|
भाषा मुख से उच्चारित होने वल्ले शब्दों और वाक्यों आदि का वह समूह है जिनके द्वारा मन की बात बतलाई जाती है|
भाषा के भेद और प्रकार

भाषा के तीन भेद होते हैं–
- मोखिक भाषा
- लिखित भाषा
- सांकेतिक भाषा
मोखिक भाषा
मोखिक भाषा बोलना और सुनना भाषा का मोखिक रूप है जब व्यक्ति विचारो का आदान प्रदान बोल कर करते हैं तब वह भाषा मौखिक भाषा कहलाती है।
अर्थात् जब व्यक्ति अपने भावों, अपने विचारो को सामने वाले के सामने बोलकर प्रकट करता है और सामने वाला सुनकर उसे ग्रहण करता है तब यह भाषा मौखिक भाषा कहलाती है।
मोखिक भाषा का उदहारण
जैसे फ़ोन पर एक दूसरे से बाते करना और उनको अपने तरीके |से बताना
बडो का आदर करना .एक गिलास पानी देना .माज द्वारा स्वीकृत जिन ध्वनि संकेतों के माध्यम से मानव अपने ह्रदय के भावों को प्रकट करता है, उसे मौखिक भाषा कहते हैं.|
मौखिक भाषा का प्रयोग दैनिक जीवन में आदेश, बातचीत करने तथा भाषण देने में किया जाता हैं| प्रारंभ में मनुष्य मौखिक भाषा के द्वारा ही अपने भावों एवं विचारों को व्यक्त करता है
लिखित भाषा
जब व्यक्ति अपने विचारो को लिखकर प्रकट करता है तो वह भाषा लिखित भाषा कहलाती है |
भाषा के लिखित रूप के द्वारा मनुष्य के विचार भविष्य के लिए सुरक्षित रखे जा सकते है|
भाषा के इस रूप में व्यक्ति अपनी भावनाओ, इच्छाओ, मनोदशा, स्थिति, परिस्थिति, और विचारों को लिख कर किसी अन्य व्यक्ति को व्यक्त करता है|
लिखने की प्रक्रिया को लिपि कहते है| लिपि वो साधन है जिसकी सहायता से व्यक्ति अपनी मनोदशा को कागज पर लिख सकता है|
लिपि की सहायता से व्यक्ति अपनी भावनाए लिखता है. जिसे पाठक पढ़ कर लिखने वाले व्यक्ति की स्थिति और मनोदशा को समझता है.
लिखित भाषा का उदाहरण
लिखित भाषा का एक अच्छा उदाहरण पत्र लेखन है. पुराने ज़माने में जब टेलीफोन नहीं हुआ करते थे. तब दूर बैठे व्यक्ति को कोई समाचार या घटना की जानकारी पहुचाने के लिए लोग पत्र लिखते थे. पत्र में जरुरी जानकारी होती थी. तथा ये पत्र डाक के द्वारा पाठक के पास पहूचता था. पाठक पत्र को पढता था और समाचार को प्राप्त करता था.
सांकेतिक भाषा
सांकेतिक भाषा वह भाषा है, जिसमें किसी चीज को समझाने के लिए विभिन्न प्रकार के हाथोऔर उंगलियों के इशारो से लोग आपस में बात करते है इसे लोगो को सांकेतिक भाषा का प्रशिक्षण दिया जाता है और अपनी भावना और मनोदासा प्रकट करते है हमारे देस में जिस सांकेतिक भाषा का उपयोग किया जाता है
इस भाषा का प्रयोग अधिकतर वे लोग करते हैं जो मुख बधिर होते हैं। मुखबधिर बच्चों को अलग प्रकार से प्रशिक्षित किया जाता है जिनसे वह इस भाषा का प्रयोग करके अपने बेहतर भविष्य का निर्माण कर सकें। सांकेतिक भाषाओं में एक ही इशारों के कई मतलब होते हैं।
सांकेतिक भाषा का उदाहरण
बोली क्या है
भाषा के जिस रूप को चेत्रिय स्तर पर बोला जाता है| उसे बोली कहते है
जैसे उत्तर प्रदेश के छेत्र बुन्देल खंड में बोली जाने वाली बुन्देलखंडी है |इसके अलावा भोजपुरी .मिथिली रजिस्थानी बोलिया अपने अपने छेत्रो में बोली जाती है |
बोली और भाषा में अंतर
बोली किसी विशेष छेत्र तक सीमित होतो है .जबकि भाषा बहुत बड़े स्तर पर बोली जाती है बोली का साहित्य मोखिक तथा भाषा का साहित्य लिखित रूप में होता है बोली भाषा का छेत्रिय रूप है
भाषा का छेत्र (मान्यता प्राप्त भाषाएँ )
पहले हमारे देश में अठारह भाषाओ को मान्यता मिली थी .लेकिन चार बोलियां बोडो .डोगरी .मैथिली तथा कोंकणी को अब भाषा के रूप में मान लिया गया है |इस प्रकार अब भारत में बाईस भाषाओं को मान्यता प्राप्त है
हिंदी
संस्कृत
उर्दू
तेलुगु
ओडिया
असमी
तमिल
मराठी
नेपाली
पंजाबी
कोंकोदी
सिंधी
मणिपुरी
बंगाली
मलयालम
कश्मीरी
कन्नड़
बोडो
डोंगरी
गुजराती
मैथली
संथाली
जिस प्रकार भारत में अनेक भाषाए बोली जाती है उसी प्रकार विश्व भर में अनेक भाषाएँ बोली जाती है