भारत के 12 ज्योतिर्लिंग के नाम फोटो सहित | 12 Jyotirlinga Name with picture

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भारत के 12 (बारह) ज्योतिर्लिंग के नाम फोटो सहित और स्थान के नाम | 12 Jyotirlinga Name with picture and place

आज हम चर्चा करेंगे भारत में 12 ज्योतिर्लिंग कहाँ कहाँ पर है और स्थानों के नाम क्या है इसके अलावा 12 ज्योतिर्लिंग के फोटो के साथ दर्शन भी करायेंगे|

दोस्तो, हिन्दू धर्म में अनेक मान्यताएं हैं| मुख्यतः हिन्दू धर्म को तीन भागों में विभाजित कर सकते हैं| वैष्णव, शैव और शक्ति

वैष्णव विष्णु और इनके अवतारों की पूजा करते हैं| शक्ति सम्प्रदाय के अनुयायी माँ पार्वती और इनके स्वरूपों की पूजा करते हैं|

शैव संप्रदाय के लोग भगवान शिव और इनके अवतारों की पूजा करते हैं| शिवलिंग भगवान् शिव का प्रतीक माना जाता है|

लेकिन दोस्तो, वर्तमान में सभी हिन्दू तीनों संप्रदाय के भगवानों की पूजा करते हैं|

वैसे तो भगवान् शिव के पुरे भारत में अनेकों मंदिर हैं और ज्यादातर मंदिरों में शिव परिवार की प्रतिमा तो होती ही हैं|

लेकिन यदि हम भगवान् शिव के प्रमुख ज्योतिर्लिंगों की बात करें तो वह प्रमुख रूप से 12 माने जाते हैं|

शिव पुराण में 64 ज्योतिर्लिंगों का वर्णन है लेकिन प्रमुख 12 ज्योतिर्लिंगों की ही ज्यादा मान्यता है|

आइये जानते हैं भगवान् शिव के ये 12 ज्योतिर्लिंग कहाँ पर हैं और इनका महत्त्व क्या है|

ज्योतिर्लिंग का मतलब क्या है

ज्योतिर्लिंग भगवान् शिव का प्रतीक है| ज्योति का मतलब है रोशनी और लिंगम का अर्थ है प्रतीक| अर्थात भगवान् शंकर का प्रकाश का प्रतीक|

शिव ज्योतिर्लिंग की पौराणिक कथा

एक बार की बात है, ब्रह्मा और विष्णु में इस बात पर विवाद हो गया की दोनों से में से श्रेष्ठ कौन है| अपने विवाद का फेसला करने के लिए दोनों भगवान् शिव के पास गए|

शंकर ने तीनों लोकों को बांधकर एक ज्योतिपुंज का निर्माण किया और ब्रह्मा और विष्णु को बोला की जो इस प्रकाश स्तम्भ के अंतिम छोर का पता लगा लेगा वही श्रेष्ठ है|

विष्णु नीचे की तरफ और ब्रह्मा ऊपर के छोर का पता लगाने के लिए निकल पड़े|

वैसे तो दोनों ही अंतिम छोर का पता नहीं लगा पायें लेकिन ब्रह्मा ने झूठ बोला की उन्हें अंतिम छोर मिल गया है इस पर भगवान् विष्णु ने अपनी हार मान ली|

लेकिन भगवान् शिव को पता था की इस ज्योति स्तम्भ तीनों लोकों से मिलकर बना है और इसका कोई आदि (शुरुआत) और अंत नहीं है|

ब्रह्मा के झूठ से भगवान् शिव क्रोधित हो गए और उन्हें श्राप दिया की तुम इस जगत के रचियता होते हुए भी तुम्हारी कहीं पर भी पूजा नहीं होगी|

माना जाता है भगवान् शिव के इसी प्रकाश स्तम्भ, जो की तीनों लोकों का प्रतीक है, शिव के प्रतीक के रूप में पूजा जाता है|

शिव पुराण के अनुसार वैसे तो 64 ज्योतिर्लिंग भारतीय महाद्वीप के अलग अलग क्षेत्रों में स्तिथ हैं लेकिन 16 ज्योतिर्लिंग सबसे ज्यादा प्रमुख माने जाते हैं|

आइये क्रमबद्ध एक एक करते सभी 16 ज्योतिर्लिंगों के बारे में जानते है|

1. सोमनाथ ज्योतिर्लिंग गुजरात ( Gujrat ka Somnath Temple in Hindi)

12 ज्योतिर्लिंग के नाम फोटो सहित

सोमनाथ ज्योतिर्लिंग गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र में स्तिथ है और 12 ज्योतिर्लिंग में सबसे पहला ज्योतिर्लिंग माना जाता है|

पूरा पता है, सौराष्ट्र के गिर सोमनाथ जिले में प्रभास पाटन, के गुजरात के पश्चिमी समुद्री किनारे पर स्तिथ है| यह क्षेत्र वेरावल इलाके के समीप है|

ऐसा माना जाता है यह सबसे प्राचीन और पहला भगवान् शिव का ज्योतिर्लिंग है|

अब तक 17 बार मुस्लिम आक्रमणकारियों के द्वारा इसे तोडा गया और पुनः हिन्दुओं के द्वारा इसका पुनःनिर्माण किया गया|

आखिरी बार आजादी के बाद सर्वप्रथम सोमनाथ मंदिर का ही पुनःनिर्माण किया गया था|

सोमनाथ मंदिर की पौराणिक कथा

हिन्दू पौराणिक कथा के अनुसार प्रजापति दक्ष की 21 कन्याओं का विवाह चन्द्रमा के साथ हुआ था| लेकिन चन्द्र देव का झुकाव अपनी पत्नी रोहिणी की तरफ ज्यादा था|

इससे इनकी अन्य पत्नियाँ बहुत उदास रहती थी|

इस बात की शिकायत इन्होने अपनी पिता दक्ष से की| प्रजापति ने चंद्रदेव को समझाने की बहुत कोशिश की लेकिन इन्होने इस बात को ज्यादा तबज्जो नहीं दी|

इससे क्रोधित होकर प्रजापति दक्ष ने चंद्रदेव को प्रकाश हीन होने का श्राप दे दिया|

चन्द्र देव के प्रकाशहीन होते ही पूरी प्रथ्वी पर हाहाकार मच गया| और सभी देवता भी बहुत दुखी हो गए|

इस समस्या से मुक्ति पाने के लिए देवता और चंद्रदेव ब्रह्मा के पास गए | ब्रह्माजी ने चंद्रदेव को सुझाव दिया की आप प्रभास पाटन क्षेत्र में भगवान् शिव की महाम्रत्युन्ज्य मन्त्र जाप से उपासना करें|

चंद्रदेव ने घोर तपस्या करते हुए 10 करोड़ बार महाम्रत्युन्ज्य मन्त्र का जाप किया| भगवान् शिव प्रसन्न होकर प्रकट हुए और चंद्रदेव को श्राप मुक्त करने का वचन दिया|

लेकिन वह प्रजापति के वचन की भी रक्षा करनी थी| इसलिए उन्होंने चंद्रदेव को वरदान दिया की कृष्ण पक्ष में एक एक कला के साथ तुम्हारा प्रकाश कम होता जाएगा और अमावश को तुम्हारा प्रकाश पूर्णतय नष्ट हो जाएगा|

लेकिन शुक्लपक्ष में हर एक कला के साथ तुम्हारा प्रकाश बढेगा और पूर्णिमा के दिन तुम्हारा प्रकाश पूर्णतया पर होगा|

वरदान पाकर चंद्रदेव ने राहत की सांस ली और भगवान् शिव से तपस्या वाले स्थान पर भक्तों का कल्याण करने के लिए निवास करने का आग्रह किया|

इसी स्थान पर चंद्रदेव ने भगवान् शिव का भव्य मंदिर बनवाया| चंद्रदेव को सोम भी कहा जाता है इसलिए इस मंदिर का नाम सोमनाथ रखा गया|

2. मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग आंध्र प्रदेश ( Andhra Pradesh Mallikarjun Temple in Hindi)

मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग आंध्र प्रदेश के कृष्णा नदी के तट पर श्री सैलम पर्वत पर स्थित है| इस मंदिर में शिव और पार्वती दोनों विराजमान हैं|

यह मंदिर श्री भ्रमराम्बा मल्लिकार्जुन मंदिर और श्री सैलम मंदिर के नाम से भी जाना जाता है|

यह मंदिर 12 ज्योतिर्लिंग में से एक होने के साथ साथ 18वां शक्ति पीठ भी है|

यहाँ शिव लिंग मल्लिकार्जुन के नाम से और पार्वती ब्रह्मराम्बा के नाम से पूजी जाती हैं|

मल्लिकार्जुन मंदिर की पौराणिक कथा

एक बार की बात है, शिव पार्वती के पुत्र कार्तिकेय और गणेश में कौन श्रेष्ठ है इस बात पर विवाद हो गया| अपने विवाद को सुलझाने के लिए वह शिव पार्वती के पास गए|

शंकर ने दोनों को एक लक्ष्य दिया जो इस प्रथ्वी के 7 चक्कर लगा कर सबसे पहले आ जाएगा वही श्रेष्ठ कहलायेगा|

कार्तिकेय अपने वाहन मयूर पर बेठकर प्रथ्वी की परिक्रमा पर निकल गए| लेकिन गणेश का शरीर स्थूल है और उनका वाहन भी मूषक उनके लिए यह कार्य बहुत मुश्किल था|

लेकिन गणेश बुद्धि के देवता भी बोले जाते हैं इन्होने एक युक्ति सोची और अपने माता पिता को प्रणाम कर उनकी साथ परिक्रमा पूरी कर ली|

शास्त्रों के अनुसार अपने माता पिता की 7 परिक्रमा प्रथ्वी की 7 परिक्रमा के बराबर होती हैं| गणेश इस लक्ष्य को जीत गए और श्रेष्ठ का खिताब इन्हें मिल गिया|

जब कर्तिक्य वापस आये तो अपने अनुकूल परिणाम न पाकर दुखी हुए और नाराज होकर क्रौन्जा पर्वत पर ब्रह्मचारी बनकर रहने चले गए|

शिव और माँ पार्वती को उनकी चिंता हुई और उन्हें ढूंढने के लिए वह क्रौन्जा पर्वत के पास शैल पर्वत पर अवतरित हुए|

तब से इस जगह पर इनका मंदिर बनवाया गया| यहाँ भगवान् शिव की मल्लिका (जैसमिन) के फूलों से पूजा की जाती है इसलिए इनका नाम मल्लिकार्जुन पड़ा है|

3. महाकालेश्वर मंदिर उज्जैन (Mahakaleshwar Temple Ujjain in Hindi)

महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मध्यप्रदेश उज्जैन में क्षिप्रा नदी के पास स्थित है| ऐसा माना जाता है यहाँ शिवलिंग स्वम्भू है| यह सभी ज्योतिर्लिंगों में अकेला ऐसा मंदिर है जो दक्षिणमुखी है|

गर्भगृह में ज्योतिर्लिंग के ऊपर वाली छत पर श्री रूद्र यंत्र बना हुआ है| इस मंदिर में माता का शक्ति पीठ और ज्योतिर्लिंग एक साथ हैं|

यह मंदिर 12 ज्योतिर्लिंग में सबसे प्रसिद्ध मंदिर है|

इस मंदिर की भस्म आरती पुरे भारत में बहुत प्रसिद्द है|

महाकालेश्वर मंदिर की पौराणिक कथा

एक बार की बात है, उजैन नगरी पर राजा चंद्रसेन का राज्य था| वह भगवान् शंकर का बहुत बड़ा भक्त था|

एक दिन एक किसान का बेटा श्रिखर राजमहल के पास से जा रहा था| उसी समय उसने राजा को मन्त्रों के साथ भगवान् शिव की पूजा करते हुए सुना|

उत्सुकता वस वह राजमहल की और बढ़ा लेकिन द्वारपालों ने उसे वहां से भगा दिया| इस व्यवहार से वह मन ही मन बहुत दुखी हुआ|

बालक ने शिप्रा नदी के पास से एक पत्थर उठा कर उसे ही भगवान् शिव का प्रतीक मान कर श्रद्धा से पूजा करने लगा|

उधर चंद्रसेन के पडोसी राजा, रिपुदमन और सिंघादित्य उज्जैन पर आक्रमण कर दिया| उन्होंने एक राक्षस दूषण को भी अपने साथ मिला लिया था| उजैन में चारों तरफ हाहाकार मच गया|

श्रिखर और उसके पिता वृद्धि ने शिप्रा नदी के पास भगवान् शिव की तपस्या की| प्रसन्न होकर भगवान् शिव महाकाल के रूप में प्रकट हुए और दुश्मन सेना और राक्षस का संहार कर, उज्जैन नगरी की रक्षा की|

अंततः श्रिखर ने भगवान् शिव से उज्जैन की रक्षा के लिए वही वास करने का आग्रह किया और इस तरह उज्जैन में भगवान् शिव महाकाल के रूप में वास करने लगे|

4. ओम्कारेश्वर मंदिर उज्जैन (Omkareshwar Temple Ujjain)

ओम्कारेश्वर मंदिर मध्यप्रदेश खंडवा जिले में स्थित है| यह स्थान इन्दौर से करीब 80 Km दूर है|

यहाँ नर्मदा नदी के 2 धाराओं में बंट जाने से नदी में एक टापू है जिसका नाम है मंधाता और शिवपुरी| इसी टापू पर महाकालेश्वर का मंदिर बना हुआ है|

यहाँ नर्मदा नदी के दक्षिण किनारे पर एक और शिव मंदिर है| यह मंदिर 12 ज्योतिर्लिंग में अमरेश्वर के नाम से जाना जाता है|

ओम्कारेश्वर की पौराणिक कथा

एक बार की बात है, विन्ध्य ( विन्ध्याचल पर्वत) देवता ने अपने पापों से मुक्ति पाने के लिए भगवान् शिव की तपस्या प्रारंभ की|

इन्होने भगवान् शिव का बालू से शिवलिंग बनाया| भगवान् शंकर विन्ध्य की भक्ति से प्रसन्न होकर प्रकट हुए| जी जगह विन्ध्य ने नर्मदा नदी पर शिवलिंग का आधार बनाया था वह यही ॐ के आकार का टापू है|

यहाँ भगवान् शिव 2 अवतारों में प्रकट हुए ओम्कारेश्वर और अमलेश्वर| ओम्कारेश्वर जी का मंदिर इसी टापू पर है और अमलेश्वर जी का मंदिर नर्मदा नदी के दक्षिण किनारे पर स्तिथ है|

5. केदारनाथ ज्योतिर्लिंग उत्तराखंड (Kedarnath jyotirling Uttarakhand)

केदारनाथ मंदिर उत्तराखंड के गढ़वाल हिमालय पर्वतमाला में मंदाकिनी नदी के पास स्थित है| केदारनाथ की यात्रा सालभर में कुछ ही महीने के लिए खोली जाती है|

अप्रैल अक्षय तृतीय पर और नवम्बर के महीने में केदारनाथ के दर्शन के लिए आप जा सकते हैं|

केदारनाथ मंदिर के पास शिव के चार मंदिर और है|

तुंगनाथ
रुद्रनाथ
मध्यमहेश्वर
कल्पेश्वर

केदारनाथ को मिलकर यह पंचों मंदिर पञ्च केद्वार कहलाते हैं|

केदारनाथ की पौराणिक कथा

पौराणिक कथाओं के अनुसार इस मंदिर की स्थापना पांच पांडवों ने की थी|

महाभारत युद्ध के बाद अपने संगे सम्बन्धियों की हत्या के पाप से मुक्ति के लिए अपने गुरु वेदव्यास की सलाह पर पाँचों पांडव भगवान् शिव की आराधना के लिए हिमालय पर आये|

लेकिन भगवान् शिव उन्हें माफ नहीं करना चाहते थे इसलिए एक भालू का भेष बदलकर पशुओं के झुण्ड में छुप गए| लेकिन जब पांडवों ने उन्हें खोज निकाला तो प्रथ्वी के अन्दर छुपने की कोशिश की|

शंकर ने अपना मुख पहले प्रथ्वी के अन्दर कर लिया लेकिन उनकी पीठ के दर्शन पांडवों को हो गए और उन्हें अपने पापों से मुक्ति मिल गई|

केदारनाथ में भी भगवान् शिव का ज्योतिर्लिंग भालू के पीठ की तरह ही है|

इसके अलावा बाद में जहाँ जहाँ से भगवान् शिव के भालू के रूप में बाकी अंग बाहर आये वह बाकी चार मंदिर हैं जो हमने ऊपर बताएं हैं इन पाँचों मंदिरों को मिलकर ही पञ्च केदार बोला जाता है|

6. भीमशंकर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र

भीमशंकर ज्योतिर्लिंग पुणे के पास खेड़ (राजगुरु नगर) से 50 km दूर है| यह मंदिर सहमाद्री पहाड़ी (Shayadri Hills) घाट क्षेत्र पर स्थित है|

इस पहाड़ी से भीम नदी भी निकलती है यह नदी आगे जाकर कृष्णा नदी में मिल जाती है|

वैसे तो मुख्यतः इसी मंदिर को भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग के नाम से जाना जाता है लेकिन कई इतिहासकार अन्य मंदिरों को भी भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग बताते हैं|

उत्तराखंड के काशीपुर में स्थित मोतेश्वर महादेव मंदिर भी भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग माना जाता है|

असम गुवाहाटी में भी एक शिव ज्योतिर्लिंग है जिसे भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग के नाम से जाना जाता है|

दक्षिण ओड़िसा के रायगड जिले में गुनुपुर के पास भीमपुर जिले में भी एक भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग है ऐसा माना जाता है|

लेकिन प्रमुख भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग पुणे वाला ही माना जाता है|

भीमाशंकर की पौराणिक कथा

एक बार की बात है कुम्भकर्ण का बीटा भीम, ब्रह्मा के वर से बहुत बलशाली हो गया था| उसे सभी देवताओं को हराकर इंद्र को भी परास्त कर दिया और फिर कामरूप के महाराजा सुर्दाक्षण को कैद कर लिया|

सुर्दाक्षण शिव भक्त थे| उन्होंने कारागार में पार्थिव लिंग बनाकर पूजा पाठ करना आरम्भ कर दिया|

भीम ने क्रुद्ध होकर शिवलिंग को तोडना चाह तो शिव प्रकट हुए और कुम्भकर्ण पुत्र भीम का वध करके भीमेश्वर ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रतिष्ठित हुए|

7. काशी-विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग

source:- facebook

यह ज्योतिर्लिंग उत्तर प्रदेश वाराणसी में स्तिथ है| विश्वनाथ का मंदिर गंगा के पश्चिमी किनारे पर स्थित है| यह ज्योतिर्लिंग के साथ साथ शक्ति पीठ भी माना जाता है|

वाराणसी भारत का सबसे पुराना शहर माना जाता है| इसके सबसे पुराना शहर होने के 3500 साल पुराने दस्तावेज मौजूद हैं|

इस शहर को काशी और बनारस के नाम से भी जाना जाता है|

काशी-विश्वनाथ की पौराणिक कथा

8. त्रिम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र नासिक

यह ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के नासिक जिले के त्रिम्बकेश्वर तहसील के त्रिम्बक गाँव में स्थित है| इसी स्थान से गोदावरी नदी का उद्गम है|

कुसवार्ता कुंड जो की मंदिर के पास ही स्थित है वहीँ से गोदावरी नदी का निकास हुआ है|

यह मंदिर पेशवा बालाजी बाजी राव ने बनवाया था| यह मंदिर तीन पहाड़ियों ब्रह्मगिरी, निलगिरी और कलागिरी पहाड़ियों के बीच स्थित है|त्रिम्ब्केश्वर ज्योतिर्लिंग की पौराणिक कथा

9. नागेश्वर ज्योतिर्लिंग गुजरात जामनगर

यह ज्योतिर्लिंग गुजरात के जामनगर के पास स्थित है| यहाँ पहुँचने के लिए द्वारका आ जाएँ वहां से 20 किलोमीटर पूर्व उत्तर दिशा में यह मंदिर पड़ता है|

इसके अलावा भी कई इतिहासकार बताते हैं की महाराष्ट्र के हिंगोली जिले का मंदिर Aundha Naganath और उत्तराखंड के अलमोरा जिले में पड़ने वाला जागेश्वर मंदिर भी नागेश्वर ज्योतिर्लिंग है|

नागेश्वर ज्योतिर्लिंग की पौराणिक कथा

10. बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग झारखंड देवघर

बैधनाथ (बैजनाथ) ज्योतिर्लिंग को बाबा वैद्यनाथ धाम के नाम से भी जाना जाता है| यह झारखण्ड में संथल परगना डिवीज़न के देवघर में स्थित है|

ऐसा माना जाता है यहाँ सभी भक्तों की हर कामना पूरी होती है इसलिए इसे कामना लिंग भी बोला जाता है|

बैधनाथ की पौराणिक कथा

11. रामेश्वर ज्योतिर्लिंग तमिलनाडु

यह ज्योतिर्लिंग तमिलनाडु के रामेश्वरम में स्थित है| यह भारत के सबसे दक्षिण छोर पर स्थित है|

बैधनाथ की पौराणिक कथा

12. घुमेश्वर ज्योतिर्लिंग अल्लोरा महाराष्ट्र

यह ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के दौलताबाद से बारह मील दूर वेरुल गाँव में स्थित है| दौलताबाद रेल और सड़क मार्ग से पुरे देश से जुड़ा हुआ है|

यह औरंगाबाद एलोरा सड़क पर राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 211 के समीप है|

आशा करते हैं हमारे द्वारा दी गई 12 ज्योतिर्लिंग की जानकारी आपको पसंद आई होगी|

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Anurag Pathak
Anurag Pathak

इनका नाम अनुराग पाठक है| इन्होने बीकॉम और फाइनेंस में एमबीए किया हुआ है| वर्तमान में शिक्षक के रूप में कार्यरत हैं| अपने मूल विषय के अलावा धर्म, राजनीती, इतिहास और अन्य विषयों में रूचि है| इसी तरह के विषयों पर लिखने के लिए viralfactsindia.com की शुरुआत की और यह प्रयास लगातार जारी है और हिंदी पाठकों के लिए सटीक और विस्तृत जानकारी उपलब्ध कराते रहेंगे

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