बसंत पंचमी कब है ,इसका महत्व क्या है इस दिन क्या क्या करना चाहिए किस तरीके से हम बसंत पंचमी की खुशियाँ मनाते है |
बसंत पंचमी हिन्दू धर्म में हर साल माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी को बसन्त पंचमी का पर्व मनाया जाता है |
इस वर्ष शनिवार 5 फरवरी 2022 को मनाया जाएगा |वास्तवमें सरस्वती का विस्तार ही बसंत है बसंत पंचमी को सरस्वती के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है |
इस दिन विद्या की देवी माँ सरस्वती की पूजा अर्चना की जाती है |
बसंत पंचमी का महत्त्व
बसंत पंचमी बसंत ऋतू के आगमन का प्रतीक है | यह त्योहार उत्तर दक्षिण भारत के सात सात नेपाल में भी सभी हिन्दुओ के द्वारा मनाया जाता है |
बसंत तो सारे विश्व में मनाया जाता है पर भारत में बसंत केवल फाल्गुन में आता है |फागुन केवल भारत में ही आता है |
गोकुल ओर बरसाना में फागुन का फाग ,अयोध्या में गुलाल अबीर में उमड़ते बादल खेतो में पीली पीली सरसों के फूल खिलते है |केसरिया पुष्पो से लदे टेसू की झाड़िया होली की उमंग भरी मस्ती केवल भारत में ही बहती है |1
बसंत पंचमी पर माँ सरस्वती की पूजा की जाती है ओर उनसे ज्ञान वान की प्रार्थना करते है इस दिन विद्यालो में माँ शारदे की स्तुति पूजा आराधना की जाती है |
माँ की नयी मिटटी की मूर्ति लाते है फिर उनकी पूजा की जाती है पीले फूल पीले फुल की माला चन्दन आदि से उनका पूजन होता है|
माँ को भी पीले वस्त पहनाते है पीले रंग की चीजो का ही भोग लगाया जाता है इस दिन सभी लोग चाहे लेखक ,गायक वादक, नाट्यकार सभी अपने उपकरणों की पूजा करते है |
ज्योतिषशास्त्र में बसंत पंचमी को अत्यंत शुभ दिन माना जाता है |
बसंत पंचमी का दिन गृह प्रवेश विवाह नये उधोग प्रारम्भ करने ओर विधा आरम्भ के लिये यह दिन मगलकारी है बच्चो को पहला अक्षर भी इस दिन सीखाया जाता है |
इस दिन माँ के मस्तक पर भी हल्दी चन्दन का तिलक लगाना चाहिए ओर अपने मस्तक पर भी लगाना चाहिए बसंत पंचमी के दिन वृन्दावन के श्री बांके बिहारी ओर साह जी के मन्दिरों के बसंती कक्ष खुलते है |
पीले चावल ओर अन्य प्रकार के पीले रंग के पकवान का भोग लगता है |
चासनी केसरिया भात बनते है भगवान को पीले वस्त पहनाते है बसंत पंचमी के दिन ही होली का डंडा गढ़ जाता है ओर होली की तेयारी भी चालू हो जाती है
माँ सरस्वती विद्या ज्ञान दायनी |
माँ भगवती सरस्वती विधा बुधि ज्ञान ओर वाणी की अधिष्ठात्री देवी है विधा को सभी धनो में प्रधान धन कहा गया है |उनका तेज दिव्य एव अपरिमे है |
भगवती सरस्वती की उत्पति सत्वगुण से हुई है |भगवान श्री कृषण के विभिन्न अंगो से प्रकट हुई है |
उस समय श्री कृष्ण के कंठ से उत्पन होने वाली देवी का नाम सरस्वती हुआ | इस दिन सभी लोग अपने घर ऑफिस स्कूल मंदिरों में पूजा करते है माँ शारदेवीणा बजाती है r
ऋतू परिवर्तन ओर खुशिया
बसंत पंचमी ये त्योहार कपकपाती शीत ऋतू के दी जाने ओर ख़ुस नुमा मौसम आने की ख़ुशी में मनाया जाता है |
बसंत को ऋतुओ का राजा ऋतुराज भी कहा जाता है |यह पर्वो के आगमन का सूचक है | पेड़ो पर कोयल की कूक गुजने लगती है |
पीले पीले फूल खिलते है बिहार में यह फसल उत्सव है | पंजाब में इस उत्सव पर पतंग उड़ाई जाती है |हर जगह पीले रंग की एक चादर से बिछ जाती है |
पिला रंग सकारत्मक उर्जा को दर्शाता है | होली के हुरंगा भी शुरू हो जाता है | ब्रज में त्योहार को बहुत धूम धाम से मनाया जाता है |
बसंत के आते ही हिन्दुओ के सभी त्योहार सुरु हो जाते है एक साल में एक बार बसंत पंचमी को ही वृन्दावन में बसंती कक्ष खुलता है कृष्ण ओर राधा के दर्शन होते है पीले ही रंग की सभी चीज होती है |
यही हमारे ब्रज की खास बात है वहा त्योहार बहुत ख़ुशी के सात मनाते है | आप सभी एक बार ब्रज में जाओ ओर त्योहार की भरपूरखुशियाँ मनाओ | जय श्री कृष्ण राधे राधे |