Chauri Chaura (Chora Chori) kand in hindi | चौरी चौरा कांड कब और कहाँ घटित हुआ था इसके कारण और किससे सम्बंधित है
भारत के इतिहास में 4 फरबरी 1922 का दिन जो चौरा चौरी कांड के तौर पर जाना जाता है, इसी हिंसक घटना के बाद महात्मा गाँधी जी ने असहयोग आन्दोलन को वापस लेने का फेसला किया|
यही वह काण्ड था जिससे कांग्रेस दो खेमों में बट गई नरम दल और गरम दल, यही वह घटना है जिसने भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव जैसे क्रांतिकारियों का जन्म हुआ|
जिनका मानना था अहिंसा से कभी भी आजादी नहीं मिल सकती, हिंसा ही एक मात्र रास्ता है अंग्रेजों से आज़ादी पाने का|
आइये चर्चा करते हैं क्या था चौरा चौरी कांड कब हुआ था, चौरा चौरी कांड के क्या कारण थे और इसके परिणाम
Chauri Chaura Kand in Hindi
घटना का नाम | चौरी चौरा |
जगह | चौरी चौरा गोरखपुर उत्तर प्रदेश |
तारीख | 4 फरबरी 1922 |
किस आन्दोलन का हिस्सा | असहयोग आन्दोलन |
कारण | शांतिपूर्ण आन्दोलनकारियों पर पुलिस द्वारा गोली चलाना |
परिणाम | 12 फरबरी को असहयोग आन्दोलन वापस ले लिया गया |
अन्य परिणाम | कांग्रेस पार्टी दो भागों में बात गई नरम दल और गरम दल, आन्दोलनकारियों को फांसी की सजा |
प्रष्ठभूमि:-
1920 की शुरुआत में महात्मा गाँधी जी ने अंग्रेजों के अत्याचार और शोषण के खिलाफ असहयोग आन्दोलन की शुरुआत की|
जिसके अंतर्गत अंग्रेज सरकार को किसी भी तरह का सहयोग न करने का भारत की जनता से आव्हान किया गया|
इसके अलावा विदेशी कपड़ों का वहिष्कार, सरकारी नौकरी, स्कूल, कॉलेज और शिक्षा का बहिष्कार इत्यादि शामिल थे|
इन आन्दोलन का प्रमुख कारणों में से एक अंग्रेजों के द्वारा बनाया गया Rowlatt Act था और अंग्रेजों से स्वराज प्राप्त करना था|
चौरा चौरी काण्ड का मुख्य कारण
2 फरबरी 1922 को असहयोग आन्दोलन के तहत गोरखपुर उत्तर प्रदेश स्थित चौरा चौरी (Chauri Chaura) स्थान पर किसान शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे थे|
इसी दिन आन्दोलनकारियों में से कुछ लोगों को अंग्रेजों की पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया|
इसी गिरफ़्तारी का विरोध करने के लिए 4 फरबरी 1922 को स्थानीय किसान पुलिस के खिलाफ प्रदर्शन करने के लिए इकठ्ठा हुए और अपने साथियों की रिहाई की मांग करने लगे|
प्रदर्शनकारियों को डराने के लिए पुलिस चौकी से हवाई फायरिंग की गई| लेकिन इससे भीड़ भड़क गई और पुलिस चौकी और पुलिस पर पथराव कर दिया|
लेकिन अचानक पुलिस चौकी के थानेदार गुप्तेश्वर सिंह ने किसानों पर सीधे गोली चलाने का आर्डर दे दिया जिससे कई किसानों की जान चली गई|
इससे भीड़ ने बहुत ही उग्र रूप ले लिया, और पुलिस भी भीड़ पर लगातार गोलियां चलती रही| जब थाने की गोलियां ख़त्म हो गई तो चौकी का थानेदार और सिपाही थाने में छुप गए|
लेकिन भीड़ इतनी ज्यादा भड़की हुई थी की किसी भी कीमत पर सिपाहियों को छोड़ना नहीं चाहती थी| भीड़ ने पास की दूकान से केरोसिन का कनस्तर लिया और जूट की दरियां थाने में बिछाकर आग लगा दी|
थानेदार और कुछ सिपाहियों ने भागने की कोशिश की लेकिन भीड़ ने उन्हें भी पकड़ कर आग में दाल दिया|
कुछ इतिहासकार बताते हैं, कई सिपाहियों को भीड़ ने पीट पीट कर भी मार डाला था| खेर इस काण्ड में सभी 23 पुलिस वालों की मौत हो गई और करीब कई प्रदर्शनकारी भी मारे गए|
क्या हुआ चौरा चौरी आन्दोलन के बाद
इस घटना के बाद ब्रिटिश सरकार ने मार्शल लॉ लगा दिया| करीब सेकड़ों लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया|
गोरखपुर जिला कांग्रेस कमेटी के उपसभापति प. दशरथ प्रसाद द्विवेदी ने घटना की सूचना गांधी जी को चिट्ठी लिखकर दी थी।
गांधीजी ने इस घटना के विरोध में 5 दिन का अनशन किया उनका मानना था यह आन्दोलन उनके अहिंसा की नीति के विरुद्ध था|
12 फरबरी 1922 को इंडियन नेशनल कांग्रेस ने असहयोग आन्दोलन को वापस ले लिया| मार्च की शुरुआत में गांधीजी को गिरिफ्तार कर लिया गया और 6 साल के लिए जेल में डाल दिया|
गांधीजी के इस निर्णय से कैसे बदली राजनीती की हवा
उस समय के ज्यादातर नेता गांधीजी के इस निर्णय से बहुत नाराज थे| उनका मानना था, गांधीजी ने एक ऐसे समय पर आन्दोलन वापस ले लिया जब यह अपनी चरम सीमा पर था|
पूरा भारत, अंग्रेजों के अत्याचार के खिलाफ और दिल में आजादी का सपना लिए आंदोलित था| ऐसा लग रहा था की अब आजादी मिलना निश्चित है|
ऐसे समय में आन्दोलन को वापस लेना कई नेताओं को गांधीजी का मूर्खतापूर्ण निर्णय लगा|
जवाहर लाल नेहेरू इस समय जेल में थे इन्होने भी अपनी नाराज़गी जाहिर की|
सुभाष चन्द्र बोस ने भी लिखा था, असहयोग आन्दोलन को वापस लेना जब पूरा भारत आज़ादी की तरंगों से आंदोलित था इससे बड़ा संकट किसी भी देश के लिए नहीं हो सकता है|
सी.आर दास ने भी गांधीजी के इस निर्णय की भरसक निंदा की|
वहीं इस कांड के बाद आज़ादी के आंदोलन में शामिल क्रांतिकारियों के दो दल बन गए थे. एक था नरम दल और दूसरा गरम दल|
शहीद-ए-आजम भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु, राम प्रसाद बिस्मिल और चंद्रशेखर आजाद जैसे कई क्रांतिकारी गरम दल के नायक बने|
थाने में हुई 23 पुलिस वालों की जल कर मौत
थानेदार गुप्तेश्वर सिंह, उप निरिक्षक सशस्त्र पुलिस बल पृथ्वी पाल सिंह, हेड कांस्टेबल वशीर खां, कपिलदेव सिंह, लखई सिंह, रघुवीर सिंह, विषेशर राम यादव, मुहम्मद अली, हसन खां, गदाबख्श खां, जमा खां, मगरू चौबे, रामबली पाण्डेय, कपिल देव, इन्द्रासन सिंह, रामलखन सिंह, मर्दाना खां, जगदेव सिंह, जगई सिंह, और उस दिन वेतन लेने थाने पर आए चौकीदार बजीर, घिंसई,जथई व कतवारू राम की मौत हुई थी।
228 लोगों पर चला मुक़दमा
करीब 228 लोगों को गिरफ्तार कर हत्या का मुक़दमा चलाया गया| 6 लोग कस्टडी में ही मर गए, नयायाधीश एचई होल्मस 172 लोगों को फांसी की सजा सुनाई गई|
कोर्ट के इस निर्णय के विरोध में देश भर में प्रदर्शन शुरू हो गए, एम्. एन रॉय ने इसे लीगल मर्डर करार दिया, इन्होने पूरे भारत के कामगारों को हड़ताल पर जाने के आह्वान किया|
मदन मोहन मालवीय ने बचाया 151 को फांसी की सजा से
जिला कांग्रेस कमेटी गोरखपुर ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में अभियुक्तों की तरफ से अपील दाखिल की जिसका क्रमांक 51 सन 1923 था| इस अपील की पेरवी की पंडित मदन मोहन मालवीय ने
मुख्या नयायाधीश सरग्रीमउड पियर्स और न्यायमूर्ति पीगट ने सुनवाई शुरू की| 30 अप्रैल 1923 को आये फेसले के तहत 19 अभियुक्तों को म्रत्यु दंड, 16 को काले पानी की सजा और 38 को छोड़ दिया गया|
सिपाहियों की याद में बनाया गया चौरा चौरी (chauri Chaura) स्मारक
1923 में ब्रिटिश सरकार ने चौकी के पुलिस वालों की याद में एक स्मारक बनाया और उन्हें शहीद का दर्जा दिया|
इस स्मारक पर जय हिन्द लिखा गया और जगदम्बा प्रसाद मिश्रा के द्वारा लिखित एक कविता का अंश भी
“शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मे”
आन्दोलनकारियों की याद में भी बनाया गया शहीद स्मारक
लेकिन चौरा चौरी स्थान के लोग अभी भी अपने साथियों की शहादत भूल नहीं पाए थे| आजादी के बाद 1971 में यहाँ के लोगों ने एक समिति चौरी चौरा शहीद स्मारक समिति बनाई|
इस समिति ने इसी साल एक झील के किनाने त्रिभुजाकार आकार का 12.2 मीटर ऊँचा शहीद श्मारक बनाया, इस स्मारक को बनाने में 13,500 रूपए लगे|
6 फरबरी 1982 को पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी जी ने चौरा चौरी में इस एक अलग स्थान पर शहीद स्मारक का शिलान्यास रखा|
जिसका लोकार्पण पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हाराव ने 19 जुलाई 1993 में किया था| इस स्मारक के पास ही एक लाइब्रेरी और एक म्यूजियम भी बनाया गया है|
लेकिन आज यह स्मारक बहुत ही बदतर स्थिति में है सरकार इस पर कोई भी ध्यान नहीं दे रही है|
चौरा चौरी एक्सप्रेस ट्रेन (Chauri Chaura Express Train)
भारतीय रेल मंत्रालय ने शहीदों की याद में एक ट्रेन का नाम भी चौरी चौरा एक्सप्रेस रखा जो गोरखपुर से कानपुर तक चलती है|
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