भगवान श्री गणेश के 8 अवतार | 8 Incarnation Avtar of Lord Ganesha 

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8 Incarnation Avtar of Lord Ganesha : Hindi Story अब तक आपने भगवान् शिव के 19 अवतारों और भगवान् विष्णु के 24 अबतारों के बारे में पढ़ा और सुना होगा| आज हम बात करेंगे श्री गणेश के 8 अवतारों की| इन 8 अवतारों में भगवान् गणेश ने असुरों का संहार करके ऋषि मुनियों और मानव जाती की रक्षा की है|

श्रीगणेश के इन अवतारों का वर्णन गणेश पुराण, गणेश अंक और मुद्गल पुराण, आदि ग्रंथो में मिलता है। आइये जानते हैं श्री गणेश के इन 8 अवतारों के बारे में-

8 Incarnation Avtar of Lord Ganesha

1. वक्रतुंड (Vakratunda) –

श्री गणेश ने वक्रतुंड का अवतार मत्सरासुर राक्षस को मारने के लिए लिया था| गणेश जी के इस रूप का वहां सिंह(शेर) है| श्री गणेश का वक्रतुंड अवतार ब्रह्मरूप से सारे शरीरों को धारण करने वाला है| पुराणों के अनुसार देव राज इंद्रा के प्रमाद से मत्सरासुर का जन्म हुआ था| मत्सरासुर भगवान् शिव का अनन्य भक्त था|

शिव की कठोर तपस्या करके उसने वरदान पा लिया था की उसे किसी से भी भय न लगे| शुक्राचार्य जी ने उसे देत्यों का राजा बना दिया| मत्सरासुर के दो पुत्र थे, सुंदर प्रिय और विषय प्रिय| ये दोनों भी बहुत अत्याचारी थे|

इनके अत्याचारों से परेशान होकर देवता गण शिव के पास गए और उनसे इस देत्य से उनकी रक्षा करने की प्रार्थना की|

शंकर ने देवताओं को गणेश की आराधना और आव्हान करने की सलाह दी| सारे देवताओं ने विधिवत श्री गणेश का आव्हान किया|

गणेश वक्रतुंड का अवतार लेकर अवतरित हुए| वक्रतुंड भगवान् और उनके गणों ने देत्य के दोनों पुत्रों को मार दिया| और मत्सरासुर को भी पराजित कर दिया| मत्सरासुर श्री गणेश के आदेश पर पातळ चला गया और भगवान् का अनन्य भक्त बन गया|

2. एकदंत (Ekadanta)-

श्री गणेश का यह स्वरुप ब्रह्मा का धारक है| इस स्वरुप का वाहन मूषक है| गणपति के इस स्वरुप का अवतार मदासुर राक्षस को मारने के लिए हुआ था| महर्षि च्यवन के पुत्र मदासुर ने भगवती की कठोर तपस्या कर प्रसन्न किया और सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड का शासक बनने का वरदान प्राप्त किया|

मदासुर इतना शक्तिशाली था की उसने भगवान् शिव को भी पराजित कर दिया| सरे देवताओं ने मिलकर गणेश का आव्हान किया| गणेश ने एकदंता के रूप में अवतार लिया

उनकी चार भुजाएं थीं, एक दांत था, पेट बड़ा था और उनका सिर हाथी के समान था। उनके हाथ में पाश, परशु और एक खिला हुआ कमल था।

एकदन्त ने मदासुर सा संहार किया और पातळ लोक भेज दिया|

3. महोदर (Mahodar)-

गणेश का यह अवतार ब्रह्मा रूपी है| श्री गणेश के इस स्वरुप का वाहन मूषक है| मोहासुर नाम के देत्य को शस्त्र विद्या देकर देवताओं के आगे खड़ा कर दिया|

देवताओं को हरा कर उसने तीनों लोकों पर अधिकार कर लिया| देवताओं ने श्री गणेश का आव्हान किया| श्री गणेश ने महोदर के रूप में अवतार लिया| मोहासुर दो दंड देने के लिए उसके नगर पहुचे| गणपति को देखते ही, मोहासुर ने आत्मसमर्पण कर दिया और गणेश का भक्त बन गया

इस तरह भगवान् ने देवताओं और मानवता की रक्षा की|

4. गजानन (Gajanan)-

भगवान् गणेश का यह स्वरुप सांख्यब्रह्मा का धारक है| एक बार धन के राजा कुबेर शिव और माँ प्रवति के दर्शन करने हिमालय गए| पार्वती के रूप के देखकर उनके मन में काम क्रीडा करने का विचार आया| इसी विचार के फलस्वरूप लोभासुर का जन्म हुआ|

लोभासुर गुरु शंकराचार्य के पास गया| गुरु की सलाह पर उसने भगवान् शिव की घोर तपस्या की और शिव से निर्भय होने का वरदान ले लिया|

इसके बाद उसने सारे लोकों पर कब्ज़ा कर लिया| शंकर को भी हिमालय छोड कर जाना पड़ा| तब देवों ने गणेश का आव्हान किया| गणेश ने गजानन के रूप में अबतार लिया और लोभासुर को पराजित कर तीनो लीकों को देत्यों के अत्याचार से बचाया|

5. लंबोदर (Lambodar)- 

श्री गणेश का यह स्वरुप सत्स्वरूप शकित ब्रह्मा का धारक है| सुमद्र मंथन के समय जब भगवान् विष्णु ने मोहिनी का रूप धरा| शिव उनके रूप को देख कर मोहित हो गए|

इससे शिव का शुक्र स्खलित हो गया| उस शुक्र से क्रोधासुर का जन्म हुआ| क्रोधासुर ने सूर्य की उपासना करके उनसे अभय होने का वरदान पा लिया|

क्रोधासुर ने सारे देवताओं और गण को हरा कर तीनो लोकों पर अधिकार कर लिया| देवताओं ने श्री गणेश का आव्हान किया|

गणेश ने लम्बोदर के रूप में अवतार लिया| लम्बोदर और क्रोधासुर में भयंकर युद्ध हुआ और इस युद्ध में क्रोधासुर पराजित हुआ| अंत में वह पातळ लोक चला गया और लम्बोदर का भक्त बन गया|

6. विकट (Vikata)-

एक बार की बात है, जालंधर को परास्त करने के लिए बह्ग्वान विष्णु ने उनकी पत्नी वृंदा का सतीत्व भंग किया| जिससे एक राक्षस कामासुर का जन्म हुआ|

उसने भगवान् शिव की आराधना की और तीनो लोकों पे राज करने का वरदान प्राप्त कर लिया| तीनो लोको पर अधिपत्य जमाने के बाद वो देवताओं पर अत्याचार करने लगा|

देवताओं ने प्रताड़ित होकर श्री गणेश का आव्हान किया| गणेश ने विकट रूप में अवतार लिया| कामासुर को पराजित कर देवताओं की रक्षा की|

7. विघ्नराज (Vighnaraj)-

शेष वाहन पर सवार श्री गणेश का यह अवतार विष्णु ब्रह्मा का वाचक है| शम्बरासुर के शिष्य ममतासुर ने गणेश की आराधना करके तीनों लोकों पर आधिपत्य का वरदान प्राप्त कर लिया|

तीनों लोकों पर आखिकार करके ममातासुर ने देवताओं पर अत्याचार शुरू कर दिया| इस दमन से परेशान होकर देवताओं ने गणेश का आव्हान किया|

श्री गणेश ने विघ्नराज के रूप में अवतार लिया और ममतासुर का वध किया| और देवताओं की रक्षा की|

8. धूम्रवर्ण (Dhoomvarna)-

श्री गणेश का यह अवतार शिव ब्रह्मा स्वरुप है| अहंतासुर ने भगवान् गणेश से वरदान पाकर तीनो लोकों पर अधिकार कर लिया|

देवताओं पर अत्याचार होने लगे| देवताओं ने परेशान होकर श्री गणेश का आव्हान किया| श्री गणेश ने धुम्रवर्ण के रूप में अवतार लिया| अहंतासुर और धुम्रवर्ण में भयंकर युद्ध हुआ|

अंत में धुम्रवर्ण ने अहंतासुर का वध कर जगर का कल्याण किया|

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Anurag Pathak
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इनका नाम अनुराग पाठक है| इन्होने बीकॉम और फाइनेंस में एमबीए किया हुआ है| वर्तमान में शिक्षक के रूप में कार्यरत हैं| अपने मूल विषय के अलावा धर्म, राजनीती, इतिहास और अन्य विषयों में रूचि है| इसी तरह के विषयों पर लिखने के लिए viralfactsindia.com की शुरुआत की और यह प्रयास लगातार जारी है और हिंदी पाठकों के लिए सटीक और विस्तृत जानकारी उपलब्ध कराते रहेंगे

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